published by neha bajpai
नयी दिल्ली। न्यूजप्रिंट मैन्यूफैक्चरों के प्रमुख संगठन इंडियन न्यूज प्रिंट विनिर्माता संघ (इनमा) ने न्यूज प्रिंट के अनियंत्रित आयात और डंपिंग का हवाला देते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करने की अपील की है।
इनमा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री को भेजे अपने एक संदेश में कहा है कि अनियंत्रित आयात और डंपिंग घरेलू से उद्योग के लिए खतरा पैदा हो गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में न्यूजप्रिंट की 85 प्रतिशत मांग आयात से पूरी हुई, जबकि देश में गुणवत्ता एवं मात्रा दोनों आधार पर घरेलू मांग को पूरा करने की पूरी क्षमता है।
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इनमा ने कहा कि डंपिंग का दुष्प्रभाव इतना गंभीर है कि इस समय घरेलू उद्योगों के लिए अपने कारखाने चलाते रहने के लिए कोई नया ऑर्डर नहीं है, जिससे गंभीर वित्तीय दबाव पड़ रहा है और इन कारखानों को चलाते रहना एवं इससे जुड़े लोगों के रोजगार को बनाए रख पाना मुश्किल होता जा रहा है। संगठन का कहना है कि वित्त वर्ष 2014-15 में घरेलू न्यूजप्रिंट उत्पादन क्षमता 26 लाख टन थी, लेकिन कई कारखानों के बंद होने से यह क्षमता घटकर 22 लाख टन रह गई है। हालांकि अब भी यह क्षमता घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इस बात की तत्काल जरूरत है कि इस उद्योग में चल रही डंपिंग एवं अन्य अवैध कारोबारी गतिविधियों पर रोक लगाई जाए।
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वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में घरेलू बिक्री 12 लाख टन सालाना थी, जो डंपिंग के चलते वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 7 लाख टन पर आ गई। वित्त वर्ष 2017-18 में न्यूजप्रिंट की आयात की कीमत 800 डॉलर प्रति टन थी, जिसे अब मात्र 390 से 400 डॉलर प्रति टन की कीमत पर डंप किया जा रहा है, जो निर्यातक देशों में घरेलू बिक्री की कीमत से 250 से 300 डॉलर प्रति टन तक सस्ता है। कोविड महामारी के कारण दुनियाभर में मांग में कमी को देखते हुए यह आशंका है कि देश में 350 डॉलर प्रति टन की कम कीमत पर न्यूजप्रिंट डंप किया जा सकता है।
संगठन ने न्यूजप्रिंट आयात पर अगले पांच साल तक वास्तविक प्रयोगकर्ताओं के लिए ड्यूटी 10 प्रतिशत करने और अन्य के लिए डब्ल्यूटीओ द्वारा तय अधिकतम 32.5 प्रतिशत ड्यूटी लगाने की मांग की है।