published by neha bajpai
नयी दिल्ली। दक्षिण कोरिया की डेवॉन्ग फार्मास्युटिकल कंपनी लिमिटेड की भारतीय इकाई और फर्मा कंपनी मैनकाइंड फार्मा ने निक्लोसमाइड के लंबे एक्टिंग इंट्रामस्क्युलर फॉर्म्युलेशन के चरण-एक के क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने की घोषणा की है।
यह भी पढ़ें – https://ratnashikhatimes.com/gorakhpur-cm-yogi-did-aerial-survey-of-flood-affected-areas/
कंपनी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इस परीक्षण को कोविड-19 के उपचार के लिए प्रीक्लिनिकल साक्ष्य को प्रोत्साहित करने के आधार पर नए फॉर्मूलेशन निक्लोसमाइड (डीडब्ल्यूआरएक्स2003) पर विज्ञान आधारित जांच की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
निक्लोसमाइड (डीडब्ल्यूआरएक्स2003) पहले से ही एक एन्थेलमिंटिक के रूप में क्लिनिकल उपयोग में है। हालाँकि, वर्तमान प्रारूप के इस वैकल्पिक क्लिनिकल संकेत के लिए एक लंबा एक्टिंग वैरिएंट होने की उम्मीद है। इसके द्वारा ओरल एडमिनिस्ट्रेशन के नकारात्मक पक्ष को खत्म करने की भी उम्मीद है।
यह भी पढ़ें –https://ratnashikhatimes.com/india-nepal-formal-meeting-to-be-held-on-august-17-amidst-map-disputes/
कंपनी ने कहा है कि इन विट्रो, निक्लोसमाइड (डीडब्ल्यूआरएक्स2003) एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ अपनी वायरल विरोधी प्रभाव के लिए क्रमशः रेमेडिसविर, क्लोरोक्वीन और सैक्लेसोनाइड की तुलना में 40, 26 और 15 गुना अधिक शक्तिशाली पाया गया है। इसके अलावा, निक्लोसमाइड के इंजेक्टेबल इंट्रामस्क्युलर (आईएम) फॉर्म्यूलेशन ने पशु परीक्षण में फेफड़ों से वायरस को सफलतापूर्वक हटा दिया, जिससे वायरस संक्रमण को रोका गया | इसके अलावा इसने साइटोकिन स्टॉर्म को रोका जो कोविड -19 के मध्यम से गंभीर मामलों में मृत्यु का प्रमुख कारण है।