लखनऊ, (समाधान डेस्क)। किसान भाई इस समय बारिश का मौसम है। इस मौसम की मुख्य फसल धान है। उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में अभी धान की रोपाई बाकी है। कई इलाकों में जलप्रबंधन ठीक न होने के कारण ज्यादा पानी भरने से किसानों की धान की फसल के साथ-साथ तैयार नर्सरी भी डूब गयीं हैं। कृषि वैज्ञानिक विभिन्न माध्यमों से किसानों को धान की आदर्श नर्सरी बनाने की तकनीक और सुझाव देते रहते हैं, फिर भी कई किसानों की तैयार नर्सरी पानी में डूब कर खराब हो जाती है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और मध्य यूपी के कई जिलों में बाढ़ की स्थित बेहद भयाभय हो चली है। कई इलाकों में किसानों द्वारा रोपी गई धान तो डूब ही गयी साथ ही धान रोपाई के लिए बोई गयी नर्सरी भी अत्यधिक पानी भरने से डूब गयी। ऐसे में किसान भाईयों का डबल नुकसान हुआ। रोपी गई धान खराब हो गयी और नर्सरी डूबने से दोबारा रोपाई की स्थिति भी नही रही। यहां हम कुछ उपाय सुझा रहे हैं जिस पर अमल करके न केवल किसान अपनी नर्सरी को सुरक्षित रख सकेंगे बल्कि बेहतर प्रबंधन से उसको संरक्षित भी कर सकेंगे।
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नर्सरी डालने से पूर्व की सावधानियां
- प्रत्येक वर्ष धान की खेती करने वाले किसानों को इसकी तैयारी मई और जून के महीने से ही प्रारंभ कर देनी चाहिए।
- जिन इलाकों में पानी भरने की संभावना अधिक रहती है, वहां नर्सरी के लिए पानी के अच्छे निकास वाली चयन करें।
- जिस खेत में नर्सरी बोनी है वह खेत रोपाई वाले खेत की तुलना में ऊंचाई पर स्थित होना चाहिए।
- ताकि ज्यादा बरसात होने पर उसका पानी बाहर निकाला जा सके।
- नर्सरी डालने से पूर्व खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करनी चाहिए, ताकि उसमें अच्छी धूप लग जाये।
- बीज हमेशा अच्छी और विश्वसनीय कंपनी का ही खरीदें।
- नर्सरी डालने से पूर्व बीज का सोधन कार्बन्डाजिम और स्टेप्टोसाइक्लिन से करें।
- नसरी बोने से पूर्व धान का अंकुरण कर ले तथा जुताई के बाद खेत की क्यारियों में पानी भर कर धान के बीज छिटक दें।
- ध्यान रहे क्यारियां छोटी होनी चाहिए ताकि एक हिस्से का पानी दूसरे हिस्से में आसानी से उतारा जा सके।
- नर्सरी डालने के दौरान क्लोरोपाईरी फाॅस का छिड़काव करने से उसमें दीमक या जड़ का कीड़ा लगने की संभावना खत्म हो जाती है।
- नर्सरी के लिए खेत चुनाव करते समय पानी के निकास का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
- खेत के बाहर की नाली हमेशा साफ रखनी चाहिए ताकि ज्यादा पानी होने की अवस्था में उसे निकाला जा सके।
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नर्सरी डूबने की स्थित में क्या करें
अत्यधिक बारिस या बरसात के चलते यदि धान की तैयार नर्सरी डूब जाती है तो ऐसे में किसान भाईयों द्वारा निम्न उपाय अपनाने से होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
- प्री प्रिपेरेशन में बतायी गयी तकनीक से नर्सरी का प्रबंधन करेंगे तो नुकसान की संभावना बहुत कम हो जाती है।
- यदि तैयार नर्सरी में अचानक पानी भर जाये तो सबसे पहले जल निकासी के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
- खेत से पानी उतारने से भी नही उतरता है तो उसे किसी माध्यम से उलीचने की व्यस्था की करनी चाहिए।
- यदि पानी निकालने से नर्सरी के पौधों की पुंछी दिखाई देने लग जाती है तो उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है।
- पानी निकालने की लगातार कोशिश करते रहें।
- नर्सरी की मेड़ को और ऊंचा करें तथा पानी को पुनः उलीचने या उतारने की कोशिश करें।
- दो-तीन दिन के प्रयास में आपकी नर्सरी का पानी काफी हद तक कम हो जायेगा।
- पौधे यदि पीले पड़ने लगें तो यूरिया और जिंक मिलाकर टाॅप डेªसिंग करें।
- फफूंदी या गलन से बचाने के लिए कार्बन्डाजिम अथवा अन्य फंगीसाइड कीटनाशकों का प्रयोग करें।
- इस तरह के उपायों से आपकी नर्सरी दोबारा जगमगा उठेगी।
- धान रोपाई के वक्त मरे हुए और बीमार पौधों को छांट दे।
- हमेशा स्वस्थ्य और निरोगी पौधों की ही रोपाई करनी चाहिए।
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दो बार में डालें नर्सरी
उक्त उपाय से आप अपनी धान की नर्सरी की बेहतर देखभाल कर सकते हैं। हमेशा दो पार्ट में नर्सरी डालनी चाहिए। अगेती और पछेती नर्सरी डालने के बेहतर परिणाम मिलते हैं। यदि रोपी गयी धान किसी कारण वश खराब हो जाती है तो आपकी बाद वाली नर्सरी दोबारा धान रोपने के काम में आ जायेगी। यदि पहले वाली रोपाई सफल रहती है तो बाद वाली नर्सरी को आप किसी अन्य को बेच सकते हैं। बची नर्सरी जानवरों के चारे के काम में भी आ जाती है।