आरटी डेस्क। रबी की बुवाई का सीजन है। ऐसे में किसान भाई के मन में यह बात चलती रहती है कि कौन सी वैराइटी का गेंहूं बोयें जिससे उन्हे अच्छी पैदावार तो मिले साथ ही उसकी लागत में भी कमी आये।
गेंहूं एवं जौ अनुसांधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई किस्म करण वंदना एक ऐसी ही प्रजाति है जो अधिक पैदावार के साथ-साथ कई बीमारियों के लगने का खतरा भी कम रहता है। भारत गेंहू की खेती में लगभग आत्मनिर्भर है। किसान गेहूं की एक ऐसी उन्न्त किस्म की बुवाई कर सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक पैदावार तो मिलेगी ही, साथ ही फसल में ब्लास्ट और पीला रतुआ जैसी बीमारियों के लगने का खतरा भी कम होगा।
गेहूं की इस किस्म को करण वंदना के नाम से जाना जाता है। इस किस्म में अधिक पैदावार देने की क्षमता है। यह वैराइटी ब्लास्ट नामक बीमारी से भी लड़ने की सक्षम है। इसमें प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जस्ता, लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद होते है।
गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म करण वंदना क्ठॅ.187 विकसित की है। इस किस्म में रोग प्रतिरोधी क्षमता ज्यादा है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें, तो गेहूं की यह किस्म उत्तर-पूर्वी भारत के गंगा तटीय क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त मानी गई है।
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जाने गेहूं की करण वंदना किस्म की विशेषताएं
- इस किस्म में अधिक पैदावार देने की क्षमता है।
- ब्लास्ट नामक बीमारी से भी लड़ने की सक्षम है।
- इसमें प्रोटीन के अलावा जैविक रूप से जस्ता।
- लोहा और कई अन्य महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं।
ब्लास्ट रोग से लड़ने में सक्षम सामान्य तौर पर धान में ब्लास्ट नामक एक बीमारी देखी जाती थी, लेकिन अभी हाल में पहली बार दक्षिण पूर्व एशिया में गेहूं की फसल में इस रोग को पाया गया था। तभी से उत्तर पूर्वी भारत की स्थितियों को देखते हुए गेहूं की इस किस्म को विकसित करने के लिए शोध कार्य शुरू किया गया। इसके परिणामस्वरूप करन वन्दना किस्म को विकसित किया गया है। इस किस्म में कई रोगों से लड़ने की क्षमता पाई गई है।
इन क्षेत्रों में खेती के लिए है उपयुक्त गेहूं की यह किस्म
- पूर्वी उत्तर प्रदेश,
- बिहार,
- पश्चिम बंगाल,
- असम जैसे उत्तर पूर्वी क्षेत्र
♣ यह भी पढ़ें→ प्रदेश सरकार का वादा, नहीं बंद होने देंगे एक भी चीनी मिल: सुरेश राणाबताया गया है कि सामान्यता गेहूं में प्रोटीन कंटेंट 10 से 12 प्रतिशत होता है और आयरन कंटेंट 30 से 40 प्रतिशत होता है। मगर इस किस्म में 12 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन 42 प्रतिशत से ज्यादा आयरन कंटेंट पाया गया है।
120 दिनों में तैयार होती है फसल
इस नई किस्म की खासियत है कि गेहूं की बुवाई के बाद फसल की बालियां 77 दिनों में निकल आती है. इससे पूरी तरह फसल कुल 120 दिन तैयार हो जाती है.
उत्पादन क्षमता
गेहूं की क्ठॅ-187 किस्म की बुवाई से करीब 7.5 टन का उत्पादन होता है, तो वहीं दूसरी किस्मों से 6.5 टन का उत्पादन मिलता है.
करण वंदना के बीज के लिए किसान यहां करें संपर्क
अगर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम जैसे उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के किसान गेहूं की करण वंदना किस्म की बुवाई करने चाहते हैं, तो अपने क्षेत्र के कृषि विभाग या निजी कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल से भी संपर्क कर सकते हैं। (Input DD Kisan)
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