कन्नौज, (ब्यूरो रिपोर्ट)। महीने भर के अंतराल में सोमवार की दोपहर से शुरू हुई बेमौसम बारिश एक बार फिर आलू किसानों के लिए कहर बन गयी है। हजारों एकड़ में बोयी गयी आलू की फसल पर मौसम के बदले मिजाज की मार ने अन्नदाता को तबाह करके रख दिया। कई दशकों का रिकार्ड तोड़कर हुई बारिश से खेत जलमग्न हो गए। जिससे खेतों में पकी खड़ी व मड़ाई के लिए खेतों में पड़ी हजारों बीघा धान की फ़सक बर्बाद हो गई ।
कन्नौज क्षेत्र के स्वतंत्र पत्रकार दिनेश दुबे के अनुसार, भारी बारिश से देश के सबसे बड़े आलू उत्पादक जिले के किसान इस बार तबाही की कागार पर पहुंच गये हैं । क्योंकि महीने भर के अंतराल में दुबारा हुई इस बार की भारी बारिश के कारण हजारों बीघे खेत में बोया गया आलू उगने से पहले ही बर्बाद हो गया है। इस बार किसानों ने पक्की फसल के लिए आलू बोया था।
उल्लेखनीय यह है कि सितम्बर के पहले सप्ताह में कन्नौज जिले के हजारों आलू उत्पादक किसान गेंहू, मक्का व जायद की फसल लेने के बाद परम्परागत तौर पर आलू की कच्ची फसल उगाने के लिए इसकी अगैती बुबाई करते हैं। जो नम्बबर महीने में दीपावली त्योहार के आसपास तैयार हो जाता है।
इस बार सितम्बर के मध्य हुई अचानक भारी बारिश ने कन्नौज जिले में किसानों द्वारा बोई गई आलू की कच्ची फसल बर्बाद कर दी थी। जिसके ठीक तीन हफ्ते बाद कन्नौज के किसानों ने पिछले हफ्ते से ही आलू की पक्की फसल पर दांव लगाकर बुबाई की थी जो इस समय जारी थी। लेकिन सोमवार की रात में हुई भारी बारिश के चलते जिले में किसानों द्वारा बोई गई हजारों बीघा आलू की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
खेतों में पकी खड़ी व मड़ाई के लिए कटी धान की फसल बर्बाद
स्वतंत्र पत्रकार दिनेश दुबे बताते हैं कि खेतो में पकी खड़ी व मड़ाई के लिए कटी पड़ी धान की फसल भी पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। बारिश से ग्रामीण इलाकों की सड़कें तो टूट ही गई, नगर क्षेत्र की गलियां और नालियां भी ध्वस्त हुई हैं । राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 91 जीटी रोड व कानपुर-कासगंज रेल मार्ग भी कई जगह धंस गया। जिससे यातायात भी प्रभावित हुआ।
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शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी ने भारी बारिश के चलते किसानों की बर्बाद हुई फसल का आंकलन करने के लिए राजस्व विभाग को निर्देश जारी किए हैं। और सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दिलाये जाने का आश्वासन भी दिया है।
कन्नौज के साथ ये जिले हुए भी प्रभावित
दिनेश दुबे के अनुसार, अपने पत्रकारिता कैरियर के 25 से 30 सालों में उन्होने वर्षा से आलू किसानों की इतनी बड़ी तबाही नही देखी। दिनेश बताते हैं कि कन्नौज के साथ-साथ मैनपुरी, फरूखाबाद, कासगंज, एटा, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर नगर की बिल्हौर तहसील, कानपुर देहात का रसूलाबाद क्षेत्र, औरैया जनपद की बिधूना तहसील व बेला टाउन से लेकर इटावा के सैफई तक आलू का जर्बदस्त उत्पादन होता है। बीते सोमवार को हुई भारी वर्षा ने इन आलू उत्पादकों के सामने विकट संकट उत्पन्न कर दिया है। अकेले कन्नौज जनपद में तकरीबन 5 से 6 हजार बीघा आलू की फसल बर्बाद होने का अनुमान है।
किसान पर कर्जे की पड़ेगी दोहरी मार
दिनेश दुबे बताते हैं कि मक्का की फसल का उचित दाम न मिलने के चलते ज्यादातर किसानों ने कर्ज लेकर अगस्त के अंतिम सप्ताह में अगेती आलू की फसल को बोया था। लेकिन सितंबर में हुई भारी बारिश ने उनकी कच्ची फसल को बर्बाद कर दिया।
इसके बाद किसानों ने फिर किसी तरह से अपना गहना, जानवर आदि बेचकर दोबारा पक्की फसल बो रहा था लेकिन सोमवार को हुई रिकार्ड तोड़ वर्षा ने उसके अरमानों पर दोबारा पानी फेर दिया। आलू किसान को पड़ी मौसम की दोहरी मार ने तबाही की कागार पर पहुंचा दिया है।
किसानों के साथ कोल्ड स्टोरेज मालिक भी हुए कंगाल
मौसम ने आलू किसानों पर तो आफत की बारिश की ही वहां के कोल्ड स्टोरेज के मालिक भी करोड़ों के चपेटे में आ गये हैं। बता दें कि आलू किसान का बड़ा लेन-देन कोल्ड स्टोरेज के मालिकों के साथ रहता है। कोल्ड स्टोर संचालक किसानों को आलू का बीज देने के साथ-साथ उन्हे लगायित पैसा भी देते हैं।
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इस सबके पीछे कोल्ड मालिका की मंशा रहती है कि जब फसल तैयार होगी तो किसान उनके कोल्ड में उसे रखवायेगा। इस तरह से कोल्ड मालिकों और किसानों के बीच अदला-बदली के इस लेनदेन से दोनो पार्टियों को सहूलियत हो जाती है। एक लंप- संप आंकड़े के मुताविक कन्नौज जनपद में ही 120 कोल्ड स्टोर हैं, मोटे तौर पर यदि हम आंकलन करें तो आलू की फसल तबाह होने से सैकडों करोड़ रूपया यहां के कोल्ड मालिकों का भी फस जायेगा।
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