कौन कहता है कि जाना ख़राब है मयखाने में,
उठा ला ऐ साकी जितनी शराब है मयखाने में।
गिन -गिन के न पिला ये मुद्दतों की प्यास है,
गर, मय नही तो ज़हर ही भर दे पैमाने में।
मिरे पीने के शऊर पर मसख़री न कर ज़ालिम,
तिरा सलीका ही खीच कर लाया है मयखाने में।
हुस्न-ओ-शबाब की शमा हर दम जलाये रखना,
वही यहां आता जिसे ठोकर मिलती है जमाने में।
साकी, इश्क का बुखार होता तो उतर भी जाता,
तिरस्कार की जलन ही रोज बुलाती मयखाने में।
वह शराबी है नही बस यूं ही बदनाम है ‘उजागर‘
पीता है तो उसकी तस्वीर नज़र आती है पैमाने में।
उसका कहना है कि मरने पर यहीं दफन करना,
ताकि मयखाने की मिट्टी मिल जाये मयखाने में।
©️®️ उजागर
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( * शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, सभी चित्र प्रतीकात्मक सिर्फ कृति के रचनात्मक सहयोग के लिए.)
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