आया बसंत हुआ ऋतु परिवर्तन..
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ऋतु परिवर्तन
आया बसंत हुआ ऋतु परिवर्तन।
प्रकृति कर रही पीत वस्त्र में नर्तन।।
पतझड़ पीछे छोड़, उल्लासित हुआ मन,
धरा पल्लवित हो रही नित नूतन,
नई उमंगों से बढ़ चला जीवन।
आया बसंत हुआ ऋतु परिवर्तन।।
सरसों के फूल चहुं ओर मुस्काते है,
जिस दिशा झुके सुगंधित कर जाते हैं,
नए कलेवर से सुशोभित हुआ कण कण।।
आया बसंत हुआ ऋतु परिवर्तन।।
आई है शीत ऋतु तो बसंत भी आएगा,
क्या कभी मेघ सूरज को ढक पाएगा,
बस हम करते रहे संघर्ष का आलिंगन।
आया बसंत हुआ ऋतु परिवर्तन ।।
रचना – कंचन सिंह
(मूल स्वरूप में प्रकाशित)
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