published by neha bajpai
यह भी पढ़ें –https://ratnashikhatimes.com/central-government-orders-immediate-withdrawal-of-10000-soldiers-of-paramilitary-forces-from-jammu-and-kashmir/
नयी दिल्ली। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने शुक्रवार को कहा कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और नवाचार के प्रोत्साहन पर अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
डॉ. हर्ष वर्धन यहां समावेशी विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी)पर विशेष विचार-विमर्श की श्रृंखला ‘इन कंवर्सेशन विद्’ के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने माईगोव पोर्टल के पृष्ठ पर एसटीआईपी 2020 तथा स्कूली बच्चों के लिए लोकप्रिय क्विज का आज वर्चुअल समारोह में उद्घाटन किया। उन्हाेंने कहा कि एसटीआईपी 2020 के जरिए प्रौद्योगिकी स्वदेशी होगी और यह आत्मनिर्भर, मुख्यधारा की पारम्परिक ज्ञान प्रणाली के साथ पारम्परिक अनुसंधान और विकास, उद्योग और शिक्षा जगत की मजबूती, सरकार की अंतर संपर्ककारी और समानता को बढ़ावा देने वाली बनेगी। उन्होंने जोर दिया कि प्रभावी प्रौद्योगिकियां उभर रही हैं और लोगों को इनसे फायदा उठाया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें –https://ratnashikhatimes.com/poetry-beyond-borders-became-the-highlight-of-independence-day-celebrations/
उन्होंने कहा कि एसटीआई का समूचे ईको-सिस्टम में प्रासंगिकता, कार्यक्षेत्र और स्तर में हाल ही के वर्षों में तेजी से बदलाव आया है। इन बदलावों को नीति में स्थान दिया जाना चाहिए, ताकि देश के लिए दीर्घकालिक विकास पथ और विजन विकसित किया जा सके। इसके अलावा कोविड-19 ने एसटीआई प्रणाली में कुछ नई सीख शामिल की हैं और नये आयाम दिए हैं।
डॉ. हर्ष वर्धन ने स्पष्ट किया, ‘प्रस्तावित एसटीआई नीति से उम्मीद है कि यह हाल ही के वर्षों में एसटीआई सिस्टम में हुई शानदार प्रगति को बढ़ावा देगी और ऐसा दीर्घकालीन मार्ग तैयार करेगी, जो लाखों युवा भारतीय वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों की आकांक्षाओं और सपनों को साकार करने में सक्षम होगा। समावेशी और भागीदारी पूर्ण नीति बनाकर ऐसा किया जा सकता है।’
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि एसटीआईपी 2020 को तैयार किए जाने की पहल की गई है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है और पिछले कई दशकों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिनके कारण विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा नवाचार की नई नीति तैयार करने की जरूरत महसूस की गई।’