एस.वी. सिंह उजागर
लखनऊ। जनता को आत्म’निर्भर बनाने का स’रकारी नारा हकी’कत कम ढों’ग ज्यादा नजर आता है। स’रकार समझती है कि बड़े-बड़े प्रचार तंत्र, होर्डिंग और विज्ञापनों में मुफ्त लिखा दो बस जनता मान लेगी कि उसे सबकुछ मुफ्त में मिल रहा है। कमोवेश आज कल हर सरकारी योजना में यही ज्यादा दिखाने की कोशिश की जा रही है कि सरकार जनता को हर चीज मुफ्त में बांट रही है। मु’फ्त के जाल में फसती जा रही जनता सायद ही कभी सोच पायेगी कि जो चीज उसे मुफ्त में दिया जाना बताया जा रहा है वह उसे खरीद रेट से भी कई गुना मंहगी पढ़ रही है।
यदि इस बात की सच्चाई जाननी है तो इसकी शुरूआत हम उज्जवला योजना से कर सकते हैं। उज्जवला योजना केन्द्र सरकार की महत्वकांछी योजना है। जिसके तहत महिलाओं को धुएं से आजादी दिलाने की बात का खूब जोर शोर से प्रचार हो रहा है।
केन्द्र की मोदी सरकार-1 में यह योजना 01मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से शुरू हुई थी। निसंदेह योजना महिलाओं की किस्मत बदलने वाली है लेकिन तब जब इसको लागू करने के पीछे वही नेकनियती और पारदर्शिता रखी जाये जैसा प्रचारित किया जा रहा है।
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योजना का उद्देश्य
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजनाश् की शुरुआत की थी.
- महिलाओं को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में भोजन पकाने की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इसे शुरू किया गया था।
- स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन टैगलाइन के साथ इस योजना के अंतर्गत गरीब परिवार की महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की शुरुआत की गई थी।
- इस योजना का बुनियादी उद्देश्य महिलाओं को धुएं से निकालकर साफ ईंधन उपलब्ध करा श्समावेशी विकास को सुनिश्चित करना था।
- डब्ल्यूएचओ भी अपनी एक रिपोर्ट में कहता है कि धुआं उत्पन्न करने वाले संसाधनों के बीच खाना बनाने से एक व्यक्ति प्रति दिन में तकरीबन 400 सिगरेट के बराबर का धुआं अंदर लेता है।
इन्हे माना गया लाभार्थी
इस योजना के अंतर्गत उन महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर कनेक्शन प्रदान किया जाता है जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है और जिनके पास बैंक खाता और बीपीएल कार्ड है.
यह योजना पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत चलाई जाती है.
इसके अलावा बीपीएल परिवारों को एक एलपीजी कनेक्शन के लिए 1,600 रुपये की वित्तीय सहायता भी सरकार उपलब्ध कराती है.
इस 1,600 रुपये प्रति कनेक्शन की कीमत में सिलेंडर, प्रेशर रेगुलेटर, बुकलेट, सेफ्टी हाउस आदि शामिल होता है. इसे सरकार वहन करती है।
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उज्ज्वला योजना के लक्ष्य
- प्रारंभिक चरण में इस योजना का लक्ष्य 5 करोड़ कनेक्शन उपलब्ध कराना था।
- यह लक्ष्य निर्धारित समय से पहले ही 2018 में पूरा कर लिया गया था।
- 2020 तक 7.4 करोड़ कनेक्शन दिए जा चुके थे और आठ करोड़ कनेक्शन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
मुफ्त रसोई गैस वितरण के मामले में यह विश्व का एक अनोखा रिकॉर्ड है। - डब्ल्यूएचओ और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संस्थान ने भी इस योजना की सराहना की है।
- 01 फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उज्ज्वला के विस्तार का एलान करते हुए कहा था कि एक करोड़ अतिरिक्त लाभार्थियों को भी इस योजना के दायरे में लाया जाएगा।
सरकार ने बताया 5000 करोड़ रुपये की लोगों ने छोड़ी स’ब्सिडी
इस योजना की बुनियाद गिव इट अप सब्सिडी कैंपेन के जरिये भी रखी गई थी। अभी तक इस कैंपेन के जरिये एक करोड़ से अधिक लोगों ने गैस सब्सिडी को अपने आप छोड़ा है। इसके जरिये तकरीबन 5000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। साथ ही गैस सिलेंडर वितरकों की संख्या को भी बढ़ाया गया है। ग्रामीण इलाकों में नए 10,000 वितरकों को अनुमति दी गई हैै।
कैग भी इस योजना के क्रियान्वयन पर उठा चुका है सवाल
- रिपोर्ट में कहा गया है कि उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 13.96 लाख उपभोक्ता ने 1 महीने में 3 से 41 बार तक एलपीजी सिलेंडर रीफिल कराए हैं। वहीं, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के आंकड़ों के मुताबिक, 3.44 लाख ऐसे उपभोक्ताओं का मामला सामने आया है जिन्होंने 1 दिन में 2 से 20 एलपीजी सिलेंडर रीफिल कराएं है. लेकिन, योजना के नियमों के मुताबिक कनेक्शन की वैधता केवल एक सिलेंडर तक ही सीमित हैं।
- आगे लिखा है कि इस योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान में भी लापरवाही बरती गई और सामाजिक आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना 2011 में पंजीकृत न होने वाले लोगों को भी लाभार्थी के रूप में योजना का लाभ दिया गया है। यह योजना बीपीएल परिवार की महिलाओं के लिए लाई गई थी। लेकिन, ऑडिट के दौरान पाया गया कि 1.88 लाख कनेक्शन पुरुषों को भी जारी किए गए हैं।
- इस योजना के अंतर्गत 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को ही कनेक्शन दिया जाना था। लेकिन, 8.59 लाख कनेक्शन उन लाभार्थियों को दिए गए जिनकी उम्र एसईसीसी-2011 के अनुसार 18 वर्ष से कम थी. 12, 465 तो ऐसे मामले रहे जहां एक ही लाभार्थी को दो बार कनेक्शन दिए गए।
- आगे रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 दिसंबर 2018 तक 3.18 करोड़ उज्ज्वला उपभोक्ताओं ने महज तीन सिलेंडर प्रतिवर्ष ही रीफिल कराया है. इसका आशय यह हुआ कि लोगों को इस योजना के तहत कनेक्शन तो मिल रहे हैं। लेकिन, आर्थिक कमजोरी की वजह से वे इसे रीफिल नहीं करा पा रहे हैं।
योजना को लेकर कैग के सुझाव
कैग ने सुझाव के रूप में कहा है कि सरकार को आधार संख्या के विवरण के आधार पर फर्जी और दोहरे कनेक्शनों की जांच करनी चाहिए और तीसरे पक्ष से समय-समय पर इसका ऑडिट करवाना चाहिए। सरकार को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए ई-केवाईसी जैसी किसी पहल की शुरुआत करनी चाहिए। जैसे बैंक केवाईसी के जरिये अपने उपभोक्ताओं की सामान्य जानकारी जुटाकर प्रमाणिकता को सुनिश्चित करते हैं। ठीक उसी तर्ज पर उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों का भी केवाईसी होना चाहिए।