(रिपोर्ट- एस.वी.सिंह उजागर)। लखीमपुर हिंसा मामले में ढुलमुल नीति अपनाने पर यूपी सरकार को देश की सर्वोच्च अदालत ने कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सीधे तौर पर कहा कि जाइए और आरोपियों को गिरफ्तार कीजिए।
बतां दें कि गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में यूपी सरकार से शुक्रवार को अब तक हुई कार्यवाही से अवगत कराने का आदेश दिया था। यूपी सरकार की ओर से देश के सबसे बड़े अधिवक्ता हरीश साल्वे को हायर किया गया था। वो कोर्ट में यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए।
उन्होने कहा कि ‘कोर्ट की नाराजगी से वह वाकिफ़ हैं।‘ जब कोर्ट ने पूछा कि ‘अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नही हुई..।‘ इस पर एडवोकेट साल्वे ने कहा कि पुलिस ने आशीष मिश्रा को शनिवार 11 बजे तक वक्त दिया है। कल 11 बजे तक हम इन्श्योर करेंगे कि उनकी गिरफ्तारी हो जाये या वह स्वयं सरेंडर कर दें। यदि नही करते तो वारंट भी इशू किया जा सकता है।‘
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कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा
- – जब 302 का मामला है तो गिरफ्तारी क्यों नही हुई।
- – जाइए और गिरफ्तार कीजिए।
- – कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच के दूसरे विकल्प पर भी विचार कीजिए।
- – अभी तक राज्य सरकार द्वारा की गयी कार्यवाई से वह संतुष्ठ नही है।
- – सरकार सही कदम उठाये और आरोपियों को पकड़े।
- – जो एसआईटी का गठन हुआ है वे सारे लोकल फील्ड ऑफीसर हैं। उनका अभी तक को जो रवैया रहा है उससे उम्मीद नही है कि वह जांच कर पायेंगे।
सुप्रीप कोर्ट ने बोली कई गंभीर बातें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जानबूझ कर 8 लोगों की हत्या की गयी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सारे लोगों के साथ एक जैसा व्यवहार होना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि आरोपी केन्द्रीय ग्रह राज्यमंत्री का बेटा है इसके साथ अलग तरह का व्यवहार हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि 302 के मामले में सामान्यतः पुलिस क्या करती है…। कोर्ट के कहने का मतलब था कि 302 के मामले में पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करती है, लेकिन यहां ऐसा नही किया जा रहा है। इससे आप क्या साबित करना चाहते हैं। जाइए और आरोपी को गिरफ्तार कीजिए।
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डीजीपी को दिए सबूत सुरक्षित और संरक्षित रखने के निर्देष
उच्चतम न्यायालय को इस बात का अंदेशा है कि यूपी पुलिस अपना काम ठीक से नही कर रही है इस लिए उसने प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया कि केश से संबन्धित सभी सबूत प्रोटेक्ट किए जायें और संरक्षित किए जायें। जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट यह जांच किसी और एजेंसी से करवाना अथवा किसी अलग तरह की एसआईटी गठित कर चांज करवा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पड़ी के गंभीर मायने
बतादें कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस कड़ाई से यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था उससे यूपी पुलिस में अफरा-तफरा मच गयी थी और वह यह भरसक दिखाने का प्रयास कर रही थी कि वह केस में लगी हुई है। उसके बाद पुलिस की तरफ से तमाम चीजें देखने को मिली थी।
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पुलिस ने आशीष मिश्रा के घर पर सम्मन भी चिपकाया था। सुप्रीयम कोर्ट की तल्ख टिप्पड़ी देखकर यही कहा जा सकता है कि सरकार की तरफ से तमाम प्रयास सुप्रीम कोर्ट के लिए पर्याप्त नही थे। (समाचार का श्रोत विभिन्न खबरिया चैनलों की टिप्पड़ी से )