लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बढ़े बिल का झटका लग सकता है। नियामक आयोग ने सभी बिजली कंपनियों से अगले दस दिन में स्लैबवार टैरिफ प्लान दाखिल करने को कहा है। आयोग ने इसको लेकर निर्देश जारी कर दिया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जून महीने से बिजली दरों का बढ़ना तय है। चुनाव और लॉकडाउन की वजह से पिछले तीन साल से यूपी में बिजली दरें नहीं बढ़ीं हैं। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में एक दिन पहले ही बिजली दर बढ़ाने का फैसला लिया गया है।
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दरें बढ़ीं तो उपभोक्ता परिषद करेगा विरोध
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बढ़ोरी के प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया है। उनकी दलील है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का पहले ही “20,500 करोड़ निकल रहा है। ऐसे में दरें बढ़ाने की बजाए उसको कम करना चाहिए। बिजली कंपनियों और पावर कॉरपोरेशन से 10 दिन में जवाब दाखिल करने के निर्देश के बाद माना जा रहा है कि इसके बाद बिजली दरें बढ़ेगी। इससे पहले पिछले साल भी प्रस्ताव दिया गया था लेकिन तब कोविड और आर्थिक मंदी की वजह से इसको खारिज कर दिया गया था। नियामक आयोग ने बिना सब्सिडी के बिजली दर का प्रस्ताव दाखिल करने का आदेश दिया है। इस बार बिजली कंपनियों ने कुल वितरण हानियां लगभग 17 प्रतिशत मानी हैं। सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता(एआरआर) लगभग 85,500 करोड़ का है।
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मीटर न लगने का मामला भी उठा
कर्मचारियों के पास अभी तक मीटर नहीं लग पाया है। आदेश के बाद भी उनके यहां अभी तक मीटर नहीं लगा है। इसके अलावा सिक्यॉरिटी पर ब्याज के मामले में भी रिपोर्ट मांगी गई है। पूर्व में चलाए गए ओटीएस के बारे में भी रिपोर्ट मांगी गई है।
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