published by neha bajpai
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह घोषित बिजली दरों में कमी करने के लिये उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है जिसमें घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज समेत वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करते हुये तीन करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देने की मांग की गयी है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बुधवार को कहा कि विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर अब तक निकल रहे कुल 19535 करोड का लाभ उपभोक्ताओं को दिलाने के लिये परिषद ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। बिजली कम्पनियाे पर इस भारी भरकम धनराशि के भुगतान का बोझ न पड़े, इसलिये तीन वर्षों में उसका समायोजन के लिये प्रस्ताव दिया गया है।
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चॅूंकि उदय और ट्रूअप के मद में पूर्व में उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर 13337 करोड रूपये निकला था। उस पर वर्ष 2018-19 से अब तक कैरिंग कास्ट 12 प्रतिशत के अनुसार लगभग 5400 करोड ब्याज बनेगा। वर्ष 2020-21 में भी उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 800 करोड निकला है। इस प्रकार विद्युत उपभोक्ताअेां को कुल 19535 करोड रूपये पर लाभ मिलना उनका संवैधानिक हक है। इस पूरी रकम का लाभ एक साथ उपभोक्ताओं को देने से प्रदेश के बिजली कम्पनियों की आर्थिक स्थिति बिगड सकती है।
उन्होने कहा कि इसका समायोजन तभी संभव होगा जब तीन वर्षों तक प्रदेश के घरेलू ग्रामीण शहरी विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज को पूर्णतया समाप्त किया जाये। वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करते हुये फिक्स डिमाण्ड चार्ज में 10 प्रतिशत की कटौती की जाये।