आस्था डेस्क। देश हमारा, धरती अपनी अभियान के अंतर्गत आयोजित सृजन पीठ यात्रा के 19 वें दिन बनारस के बेला और चंद्रावत गांव में प्रेरणा कला मंच और लोक चेतना समिति के साथ साझा कार्यक्रम आयोजित हुए।
बेला दलित गांव हैं जबकि चंद्रावत में निषाद, नट, मुस्लिम आदि विभिन्न समुदाय हैं। चंद्रावत में बारिश के चलते कार्यक्रम बीच में रोक देना पड़ा।
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सृजन पीठ यात्रा के दौरान इन बिंदुओं पर हुयी खुलकर चर्चा
- पहले लाकडाउन के समय से रोजी-रोजगार का संकट गहराया।
- इस साल के दूसरे लाकडाउन ने हालात को बद से बदतर बना दिया।
- कमाई घटती गयी और मंहगाई बढ़ती गयी।
- ग्राम प्रधान गरीब-गुरबों के भले की बात नहीं सोचते, उनके लाभ के लिए कुछ नहीं करते।
- वही करते हैं जिसमें उनका हित सधता हो।
- दलित ब्राह्मणवाद से बुरी तरह प्रभावित हैं।
- जय भीम का नारा लगाते हैं,
- बाबा साहब की जयंती धूमधाम से मनाते हैं।
- लेकिन अंबेडकर साहब की शिक्षाओं से दूर हैं।
- सच तो यह है कि वे उनके बताये रास्तों से ही अनजान हैं।
- नशा आम बीमारी है जिसकी चपेट में गांव का हर तीसरा घर है।
- इसके कारण हिंसा, मारपीट, गाली-गलौच आयेदिन की बात है।
- मेहनत से की गयी कमाई नशे के नाम हो जाती है।
- इससे परिवारों में कलह होती रहती है।
- एक समुदाय दूसरे समुदाय से कटा रहता है।
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सृजन पीठ यात्रा के प्रमुख सूत्रधार आदि योग (गुरु जी ) ने बताया कि एक ही समुदाय के बीच भी मेलजोल और आपसी विश्वास की कमी है। सामाजिक बेहतरी के लिए सबसे ज़रूरी है सौहार्द और यह बिना आपसी सहयोग के संभव नहीं।