लखनऊ, (एस.वी.सिंह उजागर)। कंपलीट मेडिकल पैरिटी एवं पशुचिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित करने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश पशुचिकित्सा संघ के आह्वान पर प्रदेश भर के पशुचिकित्सकों ने पशुपालन निदेशालय पर धरना दिया।
संघ के प्रस्तावित धरने को निदेशक पशुपालन डॉ सन्तोष मालिक ने शासनादेश जारी कर अवैध घोषित करार दिया था, लेकिन पशुचिकित्सक धरना देने पर अड़े रहे।
बुधवार की सुबह से ही गोकरन नाथ रोड स्थित निदेशालय के दोनों मुख्य गेट पर पुलिस ने ताला जड़ दिया था। निदेशालय के अधिकारियों व कर्मचारियों को पीछे वाले गेट से आने को मिल रहा था। इस लिए पशुचिकित्सकों ने संघ भवन सभागार में एकत्रित होकर धरने को संबोधित किया।
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उप्र पशुचिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि मेडिकल पैरिटी उनका हक है जिसे वह लेकर रहेंगे। उन्होंने कहा कि पशुचिकित्सा को इमरजेंसी सेवा घोषित किया जाना चाहिए। जब पशुचिकित्सकों से इमरजेंसी सेवा ली जा सकती है तो इसे इमरजेंसी सेवा घोषित करने में क्या परेशानी है।
संघ के महामंत्री डॉ संजीव कुमार सिंह ने कहा कि पशु चिकित्सक अपनी जायज मांगो को लेकर निदेशालय पर धरना देने आये थे लेकिन दोनों गेट पर ताला डलवाना पशुचिकित्सकों की आवाज को कुचलना है।
संघ के उपाध्यक्ष डॉ आशीष सिंह ने कहा कि संवैधानिक प्रदेर्शन सभी का मौलिक अधिकार है। 2017 में वर्तमान सरकार ने मेडिकल पैरिटी दिए जाने की बात स्वीकार कर ली थी लेकिन अभी तक यह समझौता लागू नही हुआ। उन्होंने कहा यदि उनकी मांग नही मानी गयी तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
उधर प्रदेश भर से आये सैकड़ों पशुचिकित्सकों ने एक सुर में एकजुट रहने का संकल्प लिया। इसके बाद आंदोलन की रूप रेखा क्या होगी इसको लेकर संघ सीघ्र बैठक करेगा। धरने में तकरीबन 5सौ से 7सौ पशुचिकत्सकों के भाग लेने की सूचना है।
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निदेशक ने दोनो गेट पर जड़वाया ताला, पुलिस रही तैनात
गोकरन नाथ रोड स्थित पशुपालन निदेशालय के दोनो गेटों पर ताला लटका रहा। पुलिस कर्मी व वहां के गार्ड पीछे वाले गेट से निदेशालय में कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को आने दे रहे थे। निदेशालय के बाहर पशुचिकिसकों का जमावड़ा रहा जबकि अन्दर पूरी तरह से सन्नाटा पसरा था। प्रदर्शन की काल को देखते हुए प्रशासन काफी अलर्ट रहा। उ.प्र.पशु चिकित्सा संघ के कार्यालय में भी सन्नाटा रहा।
उप्र. पशुचिकित्सा संघ भवन में हुआ प्रदर्शन
निदेशालय के गेट पर ताला लगा होने के बाद पशु चिकित्सकों ने संघ भवन पर सभा की और वहीं से धरने को संबोधित किया। निदेशक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन की अनुमति न दिए जाने से पशुचिकित्सका खासे नाराज दिखे। उन्होने निदेशक प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि निदेशक उनकी जायज मांगो का समर्थन करने की बजाय विरोध कर रहे हैं।
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उनकी तानाशाही नही चलेगी। संघ की मांग सरकार और शासन से है ऐसे में निदेशालय का संघ के विरोध में रहना कतई उचित नही है। उन्होने कहा कि दोना निदेशक संघ के संरक्षक भी हैं। इस लिए शासन तक जो भी बात जाती है उसमें निदेशक की बड़ी भूमिका होती है।
धरने को उप्र पशु चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार के अलावा उपाध्यक्ष डॉ. आशीष सिंह, महामंत्री डॉ. संजीव कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार राजपूत, संयुक्त मंत्री डॉ. दिग्विजय यादव, डॉ. सरस्वती, डॉ. राजीव, डॉ. गीता एवं डॉ. नीलम समेत अनेक पशु चिकित्सकों ने संबोधित किया।