Published by RT News
पारंपरिक कामगारों की कला को नई ऊंचाई देने देने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत लखनऊ समेत सूबे के 19 जिलों के पारंपरिक कारीगरों के काम को नई ऊंचाई दी जाएगी। मिट्टी का परंपरागत काम करने वाले कुम्हारों को बिजली चालित चाक देकर उनके हुनर की कला को बुलंदी दी जाएगी तो काष्ठ कला के कारीगरों को नई तकनीक का प्रशिक्षण देकर उनकी कलाकार देश विदेश तक चलाया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी खादी और ग्रामोद्योग आयोग को दी गई है।
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पहले मिलेगा तकनीकी प्रशिक्षण:
भारत सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग की पहल पर सूबे में पहले चरण में 19 जिलों में यह योजना लागू की जाएगी। इस चरण में कुम्हारी कला, शहद उत्पादन, लेदर क्राफ्ट और लकड़ी की कला को शामिल किया गया है। इनके कारीगरों को संक्रमण के चलते ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इन जिलों के कारीगरों को मिलेगा लाभ:
पहले चरण में लखनऊ समेत अयोध्या, हरदोई, जालौन, अमेठी,सीतापुर, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सुलतानपुर, उन्नाव,फतेहपुर, बांदा, जौनपुर, मिर्जापुर , सोनभद्र अंबेडकर नगर, प्रयागराज, बलिया, कौशांबी व प्रतापगढ़ में योजना की शुरुआत होगी। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सहायक निदेशक एके मिश्रा ने बताया कि निदेशक की पहल पर केंद्र सरकार की ओर से चयनित 19 जिलों में योजना की शुरुआत होगी। प्रवासी कामगारों को भी जोड़ा जाएगा।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के राज्य निदेशक डीएस भाटी के मुताबिक, केंद्र सरकार की योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। कोरोना काल में तकनीकी प्रशिक्षण देने पर मंथन चल रहा है। कामगारों को लघु उद्योगों से जोड़कर उनकी आर्थिक उन्नति का प्रयास आत्मनिर्भर भारत योजना कर रहा है। चयनित जिलों में चारो विधाओं में 200-200 कामगारों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा। कई चरणों में प्रशिक्षण की तैयारी चल रही है।
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