ये इस देश की विडंबना है जनता का दुर्भाग्य। यहां चाहे अधिकारी बदले या सरकार उसके हालात एक जैसे ही रहते है। बरसात आने यूपी सरकार के मंत्री से लेकर अधिकारी सभी एक सुर में राग अलाप रहे थे कि सभी तटबंध सुरक्षित हैं। बाढ़ से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम कर लिए गये हैं। लेकिन जरा सी बरसात होने या किसी दूसरे राज्य से पानी छोड़े जाने से इनकी पोल पट्टी खुल जाती है।
इस समय मध्य यूपी का यमुना और चंबल का किनारा बुरी तरह से बाढ़ की चपेट है। लोगों को एयर लिपिटंग के द्वारा सुरक्षित स्थानों पर भेजे जा रहे हैं। सूबे के मंत्री और संबन्धित अधिकारियों ने यहां के तटबंध भी सुरक्षित बताये होेेंगे।
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औरैया जनपद में तीन दिन जोर का पानी बरस गया वहां के जमौली गांव समेत आस-पास के गावों की सैकड़ों एकड फसल बरबाद हो गयी। वहां कोई नदी भी नही थी। लेकिन वहां बने 3 दशक पुराने नाले की कभी सफाई नही होती। जिससे जरा सी ज्यादा बारिस होने पर वहां बाढ़ की स्थित बन जाती है। इटावा, औरैया, भिण्ड, मुरैना का क्षेत्र इस समय भीषण जल त्रास्दी की स्थित से गुजर रहा है।
झूठी रिपोर्ट और फर्जी घोषणाओं के जरिए अखवार की सुर्खियां बटोरने वाले मंत्री और अधिकारियों पर सीएम योगी ने जरूर जवाब तलबी करनी चाहिए। उनसे यह सवाल तो बनता ही है कि जब सभी तटबंध सुरक्षित थे तो बाढ़ कैसे आ गयी। आपदा के वक्त हमेशा सेना को ही जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। जरूरत अब इस बात की है बाढ़ ये होने वाले नुकसान की जब भी समीक्षा हो उसकी भरपाई और जवाब देही संबन्धित अधिकारियों और मंत्रियों से की जानी चाहिए।