लखीमपुर खीरी, (संवाददाता )। लखीमपुर कांड को लेकर उत्तर प्रदेश में मचे राजनीतिक घमासान के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी बहन एवं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को सीतापुर से साथ लेकर हिंसा प्रभावित जिले में जमीनी हकीकत का पता लगाने और पीड़ित किसान परिवारों को ढाढस बंधाने चल पड़े।
श्री गांधी बुधवार दोपहर पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरेजवाला,पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ लखीमपुर जाने के लिये लखनऊ पहुंचे थे जहां अधिकारियों ने उन्हे धारा 144 लागू होने और कानून व्यवस्था का हवाला देकर प्रभावित जिले जाने की जिद छोड़ने करने का अनुरोध किया था। काफी मान मनौव्वल के बावजूद श्री गांधी टस से मस नहीं हुये।
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प्रशासन झुका, देनी पड़ी लखीमपुर जाने की इजाजत
आखिरकार सरकार ने उनको सरकारी वाहन से लखीमपुर जाने की इजाजत दे दी मगर पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वह पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को सीतापुर से साथ लेकर जायेंगे और अपने ही वाहन से यात्रा करेंगे। इसके अलावा श्री गांधी को एयरपोर्ट के दूसरे गेट से निकालने की योजना था लेकिन उन्होंने कहा कि वह मेन गेट से ही जाएंगे। सरकार ने उनकी शर्त मानते हुये श्री गांधी एवं श्रीमती वाड्रा समेत पांच नेताओं को हिंसा प्रभावित जिला जाने की इजाजत दे दी।
चन्नी, सुरजेवाला और बघेल भी निकले लखीमपुर
इसके बाद पुलिस की निगरानी में श्री गांधी चरणजीत सिंह चन्नी, भूपेश बघेल और रणदीप सुरजेवाला के साथ अपने निजी वाहन से सीतापुर के लिये रवाना हो गये। इस बीच सरकार ने करीब 60 घंटे बाद श्रीमती वाड्रा को रिहा कर दिया और उन पर लगे सभी मामले वापस ले लिये।
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प्रियंका को साथ लेकर लखीमपुर के लिये हुए रवाना
इससे पहले लखनऊ एयरपोर्ट परिसर में और बाहर करीब चार घंटे तक हालात तनावपूर्ण रहे। एयरपोर्ट परिसर में अधिकारी श्री गांधी को मनाने का प्रयास कर रहे थे जबकि बाहर कांग्रेसी जमकर नारेबाजी कर रहे थे। इस अफरातफरी के चलते कानपुर लखनऊ राजमार्ग पर वाहन रेंग रेंग कर चले और पुलिस को हालात नियंत्रण में रखने के लिये खासी मशक्कत करनी पड़ी।