लखनऊ। राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार दादा पी के राय नहीं रहे, वे 89 वर्ष के थे। दादा पीके राय ने मुम्बई के एक चिकित्सलाय में आज पूर्वान्ह 11 बजे अंतिम सांस ली। वे कई माह से बीमार थे और मुम्बई में बेटे के साथ रहकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। दादा पी.के राय के परिवार में एक बेटा एक बेटी और उनका परिवार है। दादा की पत्नी का निधन लगभग पांच वर्ष पूर्व हो गया था। वे यहां गोमती नगर स्थित पत्रकार पुरम में रहते थे।
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उनका जन्म अविभाजित भारत में बंगाल में हुआ था। उनका जन्म स्थान विभाजन के बाद बंगलादेश में चला गया। उनकी शिक्षा दीक्षा उत्तर प्रदेश में हुई। प्रारम्भिक शिक्षा उन्होंने लखीमपुर खीरी में ली। यहां उनके पिता रेलवे में अधिकारी के पद पर तैनात थे। तदुपरान्त उन्होंने उच्च शिक्षा लखनऊ में प्राप्त की। शिक्षा के दौरान ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। संघ द्वारा हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी की स्थापना के समय वे इससे जुड़े और कई स्थानों पर संवाददाता रहे। हिन्दुस्थान समाचार में उन्हें नेपाल, पूर्वोत्तर के राज्यों में भी नियुक्त किया गया। तदुपरान्त वे उत्तर प्रदेश लौट आये और यहां प्रतिष्ठित अंग्रेजी समाचार पत्र द हिन्दू के संवाददाता बने। वे कई दशक तक हिन्दू के उत्तर प्रदेश में विशेष संवाददाता रहे। यहीं से सेवानिवृत् हुए। हिन्दू के संवाददाता रहते हुए दादा ने अयोध्या आंदोलन की महत्वपूर्ण कवरेज की। जिससे उन्हें देश भर मे विशेष पहचान मिली।
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वरिष्ठ पत्रकार दादा पी.के.राय ने पत्रकारिता के साथ-साथ पत्रकार संगठनों की स्थापना और उनके संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स इण्डिया के संस्थापक सदस्य थे। बाद में इस संगठन के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। एनयूजे की राज्य शाखा उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ( उपजा ) के दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे।
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उन्होंने सांस्कृतिक गतिविधियों में भी योगदान दिया। वे संस्कार भारती अवध प्रांत के भी अध्यक्ष रहे। दादा पत्रकार संगठनों के साथ सामाजिक संगठनों में भी सक्रिय रहते थे। उन्होंने बंगला भाषा के प्रचार प्रसार के लिए भी राजधानी में बहुत कार्य किया। वे बंगला भाषा प्रसार समिति के भी अध्यक्ष रहे। इस समिति के तत्वावधान में उहोंने ही पौष मेला की परंपरा प्रारम्भ की थी। अत्यधिक मिनसार और सदैव प्रसन्न रहने वाले दादा पीके राय के निधन से राजधानी के पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके शुभचिन्तकों, मित्रों, पत्रकारों ने दादा को भावभीना श्रद्धांजलि अर्पित की है।
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