Published by Neha Bajpai
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकाॅन इंटरनेशनल ने आज कहा कि ईरान में चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान की सीमा स्थित जाहेदान तक रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना से उसे बाहर नहीं किया गया है और कोविड एवं अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण यह परियोजना अटकी हुई है।
चाबहार परियोजना में इरकान पूरी तरह से सहभागी- एस के चौधरी
इरकान के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एस के चौधरी ने यहां संवाददाताओं को जानकारी दी कि चाबहार परियोजना में इरकान पूरी तरह से सहभागी है। उनकी कंपनी ने ईरान में जिस कंपनी के साथ इस लाइन को बिछाने का करार किया है, उस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है। इरकान को ईरान सरकार की ओर से ऐसी कोई औपचारिक सूचना या पत्र नहीं मिला है जिसमें भारतीय कंपनी को रेल परियोजना से बाहर करने की बात कही गयी हाे।
श्री चौधरी ने माना कि चीन की कंपनियों ने इरकान को ना सिर्फ ईरान बल्कि मलेशिया, बंगलादेश एवं खाड़ी के कुछ देशों में प्रतिद्वंद्विता देने की कोशिश की है लेकिन भारतीय कंपनी की पारदर्शी प्रणाली तथा चीन की ऋणजाल फैलाने वाली कंपनियाें के कामकाज में अंतर होने की वजह से भारत का पलड़ा भारी रहता है। उन्होंने कहा कि ईरान की दो कंपनियों माफना और फराब के साथ इरकान ने करार किया है जिसके तहत ये कंपनियां इरकान के साथ मिल कर भारत एवं ईरान के अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी मिल कर काम करेंगीं।
उन्होंने कहा कि मलेशिया ने चीन की कंपनी को दिये गये कुछ ठेके रद्द भी किये हैं। जबकि वहां 50 प्रतिशत से अधिक काम इरकान को मिले हैं। श्रीलंका में भी जितनी भी रेल परियोजनाएं हैं, उन्हें इरकान ने तैयार किया है। विएतनाम, कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया के अलावा मालदीव में भी इरकान को ठेके मिले हुए हैं। फिलीपीन्स में अमेरिकी फंड के सहयोग से एक पुल एवं रेलवे लाइन बनाने के बारे में ठेका मिला है। उन्होंने यह भी बताया कि ब्रिटेन के उच्चायोग में एक कार्यक्रम के दौरान भारत ने स्पॉन्सरशिप या साझीदारी के मॉडल पर चर्चा की है जिसमें उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।
प्रथम एवं द्वितीय तिमाहियों में खराब प्रदर्शन के बाद तीसरी एवं चौथी तिमाही में जबरदस्त वृद्वि
कोविड महामारी के दौरान कामकाज पर प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए श्री चौधरी ने माना कि वर्ष 2020-21 में प्रथम एवं द्वितीय तिमाहियों में खराब प्रदर्शन के बाद तीसरी एवं चौथी तिमाही में जबरदस्त वृद्वि देखी गयी, पर कुछ परिणाम में करीब दस फीसदी की कमी आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में इरकान का कुल कारोबार करीब 4200-4300 करोड़ रुपए रहा था। उम्मीद है कि वर्ष 2021-22 में इरकान का टर्न ओवर 6000 करोड़ रुपए के पार जाएगा।
उन्होंने बताया कि इरकान की ऑर्डर बुक में 36 हजार 800 करोड़ रुपए का काम दर्ज है जिनमें से 4158 करोड़ रुपए के काम पूरे हो चुके हैं। इस काम में करीब 19 हजार करोड़ रुपए का रेलवे लाइन के विद्युतीकरण का ठेका शामिल है। दिल्ली मेरठ रैपिड रेल परियोजना में 830 करोड़ रुपए का काम इरकान कर रहा है।
यह भी पढ़ें- क्रूड आयल के दामों में आयी गिरावट, पेट्रोल 18 पैसे और डीजल 17 पैसे हुआ सस्ता