लखनऊ, (एस वी सिंह उजागर) । पशुपालन निदेशालय में निदेशक प्रशासन की नाक के नीचे पशुधन प्रसार अधिकारियों के अधिवेशन और चुनाव के दौरान कारोना गॉइडलाइन का जमकर मखौल उड़ाया गया। कोरोना संक्रमण के काल में जब शादी और जनाजे में 100 से 200 लोगों के ही महज इकट्ठा होने की इजाजत है, ऐसे में निदेशक पशुपालन ने किस नियम के तहत इतनी बड़ी तादात में लोगों को इकट्ठा होने दिया।
बताते चलें कि कोरोना कॉल में पूरे प्रदेश से तकरीबन 3 दर्जन पशुचकित्सकों तथा दजनों अन्य स्टाफ की मौत कोरोना से हो चुकी है। निदेशालय में ही कई ज्वाइंट डायरेक्टर लेवल के अधिकारियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। ऐसे में पशुधन प्रसार अधिकारियों को इतनी बड़ी संख्या में अधिवेशन और चुनाव कराने की छूट देना भारी जोखिम भरा कदम हो सकता है।
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गौर तलब है कि चुनाव के दौरान न तो लोगों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन किया और न ही इससे बचने के लिए आवश्यक संसाधन अपनाये गये। और तो और जिस हॉल में अधिवेशन और चुनाव सम्पन्न हुआ निदेशालय के अनुसार उसकी छमता मात्र 200 लोगों से ज्यादा इकट्ठा होने की नही है।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी के अनुसार इस तरह के आयोजन के लिए स्थानीय पुलिस व मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से परमीशन लेनी अनिवार्य होती है। पशुपालन निदेशालय में यदि बिना परमीशन इतनी बड़ी भीड़ इकट्ठा हुई है तो यह घोर लापरवपाही है।
निदेशक प्रशासन कार्यालय से संपूर्ण कारोना गाइड लाइन का पालन करते व कराते हुए अधिवेशन व चुनाव कराने की परमीशन दी गयी थी। वहां कितनी संख्या में लोग कैसे इकट्ठा हो गये इसके बारे में पता किया जायेगा। – डॉ जेपी वर्मा (संयुक्त निदेशक प्रशासन पशुपालन विभाग उ.प्र.)
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निदेशक प्रशासन एवं विकास डॉ. संतोष मलिक से भी फोन पर बात करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क स्थापित नहीं हो सका।