मथुरा, (आरटी न्यूज़ )। राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि, अन्नदाता के विरोधियों से अगले साल विधानसभा चुनाव में हिसाब चुकता किया जाएगा।
श्री दीक्षित ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि पिछले आठ माह से किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली के दरवाजे पर देश का अन्नदाता बैठा है, लेकिन सरकार अनदेखी कर रही है।
शेखर ने कहा कि किसानों की अनदेखी करने वालों पर अब वोट की चोट करने का समय आ गया है। इसके लिए किसान संगठन चार अगस्त को एक बैठक कर व्यापक रणनीति तैयार करेंगे।
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आंदोलन को और दी जाएगी धार
- शेखर दीक्षित ने कहा, बैठक में होने वाले निर्णय के अनुरूप ही आगे आन्दोलन को धार दी जाएगी।
- उनका कहना था कि अपनी मांगों को लेकर किसी भी हालत में किसान अब पीछे हटने वाला नहीं है।
- अपना हक लेकर ही दिल्ली से वापस अपने घर जायेगा।
- किसान हितैषी बनने का स्वांग करने वालों की हकीकत किसानों के आठ माह के आंदोलन में सबके सामने आ चुकी है।
- सरकार बातचीत के नाम पर केवल खानापूरी कर रही है।
- कृषि मंत्री बातचीत का न्यौता तो देते हैं पर किसानों के बिन्दुओं पर बात करने से पीछे हटते हुए उनकी बात को खारिज कर देते हैं।
- उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा किसान को गुलाम और कर्जदार बनाने की लगती है।
निजीकरण के नाम पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की चल रही साजिश
एक सवाल पर शेखर दीक्षित ने कहा कि जब किसान इन तीनों कानूनों को नहीं चाहता है तो सरकार किसानों के हितों के नाम पर उन्हें अन्नदाता के पर क्यों थोप रही है। अब तो इसके पीछे की असल मंशा भी सबके सामने आ रही है।
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दीक्षित ने आरोप लगाया कि निजीकरण के नाम पर उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की राजनीतिक दलों की नीति ने किसानों का नुकसान ही किया है। उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि देश में अभी तक जितने कारीडोर अथवा एक्सप्रेस वे बने हैं उनके किनारों पर किसानों के लिए क्या विकास कार्य हुए हैं। सरकार के पास अगर कुछ भी आंकड़े हैं तो उन्हे सार्वजनिक करें ।
फसल बीमा योजना भी पूरी तरह से फेल
किसान नेता से जब यह पूछा गया कि सरकार तोे किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करने के प्रयास करने का दावा कर रही है ,तो उन्होंने सरकारी दावे को कागजी बताते हुए कहा कि pmfby फसल बीमा योजना भी पूरी तरह फेल है। वास्तव में यह नए मंडी कानूनों की फोटो कॉपी है, जो किसानों के नाम पर केवल उद्योगपतियों के हितों के लिए चलाई जा रही है।
खेती की लागत निकालने को तरस रहे किसान
उनका कहना था कि किसानों के नाम पर ऐसा प्रचार हो रहा है, जैसे किसान की दुनिया ही बदल गई हो लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। किसान आज भी खेती की लागत तक निकालने को तरस रहा है। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को आज भी भुगतान नहीं हो रहा है।
लेकिन सरकार भुगतान के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर समय रहते गन्ना किसानों का भुगतान नहीं हुआ तो मंच विधानसभा का घेराव करने को मजबूर होगा।