लखनऊ, (एस.वी. सिंह उजागर )। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ईमानदार छवि को एक बार फिर धक्का पहुंचाने की कोशिश की गयी है। उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गये हैं।
अपने कारनामों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाला पशुपालन विभाग अब हालिया सम्पन्न हुयी ट्रांसफर प्रक्रिया में अपनाये गए तौर तरीकों को लेकर चर्चा में हैं। विश्वस्त सूत्रों की माने तो इस बार निदेशक प्रशासन एवं विकास द्वारा जमकर ट्रांसफर प्रिक्रिया का वॉयलेशन किया गया। एक ही व्यक्ति के लिए एक ही दिन में तीन-तीन आदेश जारी करने के मामले भी सामने आये हैं।
”ट्रांसफर प्रक्रिया में पूरी तरह से शासन के नियमों का पालन किया गया है, जो शासन से दिशा निर्देश प्राप्त हुए, निदेशालय ने उन्ही दिशानिर्देशों का पालन किया. डॉ खुशीराम का ट्रांसफर शासन से हुआ है उसका निदेशालय से कोई लेना-देना नहीं है-” डॉ. संतोष मलिक (निदेशक प्रशासन एवं विकास)
सूत्रों के अनुसार इस बार निदेशक प्रशासन एवं विकास संतोष मलिक ने बिना कोई कमेटी गठित किये अकेले ही सारे ट्रांसफर के सन्दर्भ में निर्णय लिए। यही नही निदेशक ने इस मुख्यालय के किसी अधिकारी या बाबू को इस काम में नही लगाया बल्कि इसके लिए उन्होने अलीगढ़ से अपने एक विस्वस्त बाबू को बुलाकर यह प्रक्रिया पूरी करायी।
दस्तावेजों के लिहाज से संदिग्ध लगने लगी है ट्रांसफर प्रक्रिया
योगी सरकार की कोशिश ट्रांसफर प्रिक्रिया की सुचिता बनाये रखने की थी इस लिए इस बार कहा गया था कि सभी ट्रांसफर ऑल लाइन प्रक्रिया से होंगे तथा हर अपडेट की जानकारी ऑललाइन उपलब्ध रहेगी। लेकिन पशुपालन विभाग में ऐसा नही हुआ। विश्वस्त सूत्रों की माने तो इस विभाग में 31 जुलाई तक ऑफलाइन ट्रांसफर होते रहे, लेकन उनके ट्रांसफर लेटर में डेट 15 जुलाई ही डाली गयी।
शासन और निदेशालय स्तर पर कई ऐसे ट्रांसफर के केस सामने आये हैं जिनमे ट्रंसफर नियमावली का दूर – दूर तक पालन नहीं किया गया। हम अपने पाठकों को सिल सिलेवार एक -एक घटनाक्रम से अवगत कराएंगे और बताएंगें कि एक ईमानदार मुख्यमंत्री की छवि को किस तरह से विभाग के जिम्मेदार अधिकारी बट्टा लगा रहे हैं।
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केस संख्या- 01 का घटना क्रम
-15 जुलाई 2021 को आदेश संख्या 401, के हवाले से राज्यपाल महोदय के यहां से स्वीकृत लिस्ट के अनुसार क्रम संख्या 3 पर अंकित कासगंज में तैनात मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (ब्टव्) डॉ. खुशीराम का ट्रांसफर सेल्फ रिक्वेस्ट पर संयुक्त निदेशक के पद पर हापुड़ कर दिया गया।
– 15 जुलाई 2021, उत्तर प्रदेश शासन के पशुधन अनुभाग-1, विशेष सचिव के हस्ताक्षर से आदेश संख्या- 1332/37-1-2021 के अनुसार पशुधन अनुभाग के कार्यालय आदेश संख्या- 1323/37-1-2021-2(1)/2019टी.सी. के क्रम में क्रम संख्या-3 पर डॉ. खुशीराम को ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत सीवीओ कासगंज से संयुक्त निदेशक, गायनों सहारनपुर स्थानांतरण का आदेश जारी किया गया।
– 15 जुलाई 2021 को ही पशुधन अनुभाग-1, के आदेश संख्या- 1332/37-1-2021, के अनुसार डॉ. खुशीराम का ट्रांसफर सहारनपुर से रद्द कर संयुक्त निदेशक गायनों मेरठ कर दिया गया। जिस पद पर डॉ. खुशीराम मेरठ ट्रांसफर किया गया वह पद आगामी 31 जुलाई 2021 को रिक्त होना था। शासनादेश के अनुसार डॉ. खुशीराम को 01 आगस्त 2021 को वहां ज्वाइनिंग लेनी थी।
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– 26 अगस्त 2021, को कार्यालय निदेशक, प्रशासन एवं विकास डॉ. संतोष मलिक द्वारा जारी आदेश संख्या-4888/स्था0-1/एक-क/15(08)/21/2013/2020-21-111 में बताया गया कि डॉ. खुशीराम की तैनाती शासन के आदेश संख्या- आदेश संख्या- 1332/37-1-2021, के अनुसार 15 जुलाई को पहले ही कर दी गयी है।
-24 अगस्त 2021 को डॉ. खुशीराम ने संयुक्त निदेशक गायनों मेरठ का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। ऐसी स्थित में सीवीओ मेरठ डॉ.अनिल कंसल को संयुक्त निदेशक गायनों मेरठ का प्रभार हस्तगत नही किया जाना है।
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ट्रांसफर प्रक्रिया सवालों के घेरे में
- 15 जुलाई को राज्यपाल महोदय के आदेश से डॉ. खुशीराम का ट्रांसफर कासगंज से हापुड़ किया गया।
- 15 जुलाई को ही विशेष सचिव के आदेश से डॉ. खुशीराम का ट्रांसफर सहारनपुर किया गया।
- 15 जुलाई को ही विशेष सचिव के अन्य आदेश के अनुसार डॉ. खुशीराम का ट्रांसफर सहारनपुर से रद्द कर मेरठ कर दिया गया।
- डॉ. खुशीराम के ट्रांसफर मामले में एक तारीख यानि 15 जुलाई में तीन-तीन आदेश पारदर्शी ट्रांसफर प्रक्रिया का खुला वायलेशन है।
- राज्यपााल के यहां से जारी ट्रांस्फर सूची के अनुसार डॉ. खुशीराम को सेल्फ रिक्वेस्ट पर हापुड़ भेजा गया था। फिर ऐसा क्या हुआ कि उन्हे उसी दिन सहारनपुर औ
- फिर उसी दिन मेरठ अगले शासनादेश में मेरठ कर दिया गया।
- डॉ. खुशीराम ने एक महीने का वेतन भी सहारनपुर से उठा लिया।
- सवाल है कि डॉ. खुशीराम को हापुड़ की चिट्टी मिली या नही।
- सवाल है कि डॉ. खुशीराम को कब ट्रांसफर ऑर्डर मिला, कब उन्होने उस पर आपत्ति दर्ज कराई, और कब उनकी अपत्ति पर शासन ने निर्णय लेकर अगला आदेश जारी कर दिया।
- ट्रांसफर होने रद्द होने की एक प्रापर चौनल के तहत प्रक्रिया है। इस मामले में ट्रांसफर की मूलभावना को तोड़ा मरोड़ा गया है। जिससे भ्रष्टाचार पनपता है।
उक्त प्रकरण एक बानगी भर है, यदि ठीक से पड़ताल कर ली गयी तो डिस्पैच से लेकर लेटर रिसीविंग तक हर जगह गड़बड़ घोटाला सामने जायेगा।