लखनऊ, (एस.वी.सिंह उजागर )। मेडिकल पैरिटी को लेकर सरकार और शासन की उदासीनता के विरोध में प्रदेश भर के पशुचिकित्सकों ने निदेशक प्रशासन एवं विकास डॉ. संतोष मलिक का घेराव कर प्रदर्शन किया। उप्र. पशुचिकित्सा संघ के आह्वान पर प्रदेश भर से जुटे पशु चिकित्साधिकारियों ने मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव को संबोधित ज्ञापन निदेशक प्रशासन एवं विकास को सौंपा।
बताते चलें कि निदेशक की तरफ से संघ के प्रदर्शन को एक दिन पूर्व ही अवैध करार दे दिया गया था। यही नहीं उन्होने प्रदर्शन करने पर अड़े पशुचिकित्साधिकारियों पर कार्यवाही की चेतावनी भी दी थी। इस बात के अनुपालन में सुबह से ही निदेशालय के दोनो प्रमुख गेट पर ताला जड़ा रहा।
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यह रहा घटनाक्रम
- पशुचिकित्सा संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने निदेशालय के बगल में स्थित संघ के डॉ.गायत्री शर्मा सभागार में पशुचिकित्सकों के साथ सभा करनी शुरू कर दी।
- इसके बाद तकरीबन 3 बजे सभी पशु चिकत्सक ताला खुलवाकर निदेशक प्रशासन एवं विकास के कार्यालय के बाहर शसन के लिखाफ नारेबाजी करने लगे।
- पशुचिकित्सकों ने शासन के लिए निकल रहे निदेशक का घेराव किया।
- बाद में उप्र. पशुचिकित्सा संघ ने मुख्चमंत्री को संबोधित ज्ञापन निदेशक डॉ. संतोष मलिक को सौंप कर मेडिकल पैरिटी दिये जाने की मांग का समर्थन करने का अनुरोध किया।
- निदेशक ने अनुशासन दिया कि उनकी मांगों को शासन तक पहंुचाया जा रहा है जिसको लेकर निदेशालय स्तर से पत्रावली भी चलाई जा चुकी है।
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उप्र. पशु चिकित्सा संघ की ये हैं प्रमुख मांग
- कम्पलीट मेडिकल पैरिटी समझौता लागू किया जाये।
- पशु चिकित्सा सेवा को इमरजेंसी सेवा घोषित किया जाये।
7 अक्टूबर से करेंगे डिजिटल बायकॉट
उप्र. पशुचिकित्सा संघ ने पूर्व घोषित रणनीति के अनुसार कल 7 अक्टूबर से प्रदेश भर में पशुपालन विभाग की डिजिटल सेवाओं का बायकॉट करने का ऐलान किया है। संघ के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार के अनुसार प्रदेश भर के पशुचिकित्सक गुरूवार 7 अक्टूबर से विभाग की सभी तरह की डिजिटल सेवाओं का बहिष्कार करेंगे। उन्होने बताया कि फिलहाल एक सप्ताह तक डिजिटल सेवाओं का बहिष्कार रहेगा जिसके तहत किसी भी तरह की ईमेल, वॉट्सएप, आदि सेवाओं के द्वारा विभागीय जानकारी को साझा नही किया जायेगा।
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कार्य बहिष्कार का विकल्प भी खुला
संघ के महामंत्री डॉ. संजीव कुमार सिंह ने बताया कि यदि डिजिटल बहिष्कार के बाद भी उनकी मांग का उचित समाधान नही निकला तो वह गो आश्रया स्थलों पर पशुचिकित्सकों द्वारा दी जा रही सेवाओं को बाधित करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उन्होने कहा कि मेडिकल पैरिटी उनका मौलिक अधिकार है इसका दिया जाना विभाग व सरकार के हित में है।