संस्कार डेस्क। ‘देश हमारा, धरती अपनी’ का संदेश देने वाली सृजन पीठ यात्रा 13वें दिन भी पड़ाव में रही। झमाझम बारिश आज सुबह धीमी हुई और बूंदाबांदी में बदलते हुए दोपहर बाद थम गयी।भारी बारिश के थमने के बाद उसका असर देर तक बना रहता है। गांव जाती सड़कें कीचड़ में सन गयी हैं। गांव जाना दुश्वार है, जोखिम भरा है। ऐसे में संदेश यात्रा की गतिविधियां आज तीसरे दिन भी पड़ाव में रहीं।
संदेश यात्रा ने निज़ामाबाद और आज़मगढ़ को जोड़ती सड़क पर संजरपुर गांव के बाहर डेरा डाला है। कुछेक राहगीरों से ज़रूर बात हुई। एक बार फिर सामने आया कि खास कर, खेती-किसानी करनेवालों के लिए नीलगाय, छुट्टा जानवर और जंगली सुअर बहुत बड़ी समस्या हैं जो उनकी फसलों को चट कर जाते हैं, रौंद डालते हैं। आलू, अरहर, धान, गन्ना- कोई फसल सुरक्षित नहीं।
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गांव की सड़कों की खस्ता हालत है। सड़कें या तो बनायी नहीं जातीं और अगर बनायी जाती हैं तो बारिश में टिक नहीं पातीं। क्षेत्र में रोजी रोजगार लगभग नहीं है। दोनों लाकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूरों का त्रासद पलायन यहां के लोगों ने भी झेला था। प्रसंगवश, क्षेत्र में तमाम कल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का बुरा हाल है।
खास कर वंचितों के बीच मनरेगा को लेकर बुनियादी जानकारी का अकाल है कि यह योजना नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों के लिए रोजगार की कानूनी गारंटी देता कार्यक्रम है।