लखनऊ, (विशेष संवाददाता )। सीएम योगी का सख्त फरमान है कि जो ‘नौकरी’ और ‘सीट’ नीलाम करेगा उसका परिवार तक बिक जायेगा। लेकिन पशुपालन विभाग उनके इस फरमान को नही मानता। बीते जुलाई माह में हुए ट्रां’सफर-पो’स्टिंग में जमकर खे’ला हुआ है। निदेशालय में इस बात को लेकर चर्चा आम है कि जैसा इस बार हुआ ऐसा तो कभी नही हुआ।
इस बार योगी सरकार ने ट्रांसफर में धन उ’गाही की व्यवस्था को खत्म करने के लिए आवेदन से लेकिन नि’युक्ति सब कुछ ऑन लाइन कर दिया था लेकिन विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मिली पु’ख्ता जानकारी के अनुसार पशु’पालन विभाग के नि’देशक, प्रशासन एवं विकास ने ट्रां’सफर की श्रेणी में आने वाले सभी कंडीडेट से ऑफ’लाईन प्रार्थना पत्र भी ले रखे थे।
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पशु’पालन विभाग में निदे’शालय स्तर पर उप मुख्य पशुचित्सिाधिकारियों, पशुचिकित्साधिकारियों, उप पशु चिकित्साधिकारियों समेत अन्य कर्मचारियों को अपने ऐच्छिक स्थान पर ट्रांसफर के लिए चयन की अंतिम तिथि 7 जुलाई निर्धारित की गयी थी।
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निदेशालय के रिकमेंडेशन और शासन स्तर पर ट्रांसफर प्रक्रिया पूरी करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई पूर्व से ही निर्धारित थी।
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सूत्र बताते हैं कि 14 जुलाई तक निदेशक प्रशासन एवं विकास के स्तर से कुछ नही किया गया।
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14 जुलाई तक सभी ऑनलाइन रिक्वेस्ट पेंडिग बनी रहीं।
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14 जुलाई के बाद आवेदकों से पहले से ही लिए गये प्रार्थना पत्रों के आधार पर मनमाने तरीके से शासनादेश में बैक डेट डालकर, 30 जुलाई तक ट्रांसफर किये जाते रहे।
जिसने च’ढ़ाया चढ़ावा उसे व’रदान मिला जो नही आया वह परे’शान हुआ
विभागीय सूत्रों की माने तो निदेशक प्रशासन एवं विकास ने पूरी ट्रांसफर प्रक्रिया के लिए अलग से अपनी टीम बैठा रखी थी। बाबू से लेकर लिस्ट बनाने और फाइनल करने वाले अफसर उन्होने बाहर से बुलवाये थे। सूत्र कहते हैं कि हर अस्पताल का रेट था जिसने आकर चढ़ावा चढ़ा दिया उसे वरदान मिल गया और जो नही आया उसे सजा।
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मनबढ़ बाबुओं ने भी की खूब मन’मानी
जब विभाग का मुखि’या बे’मानी का काढ़ा पीने लग जाये तो उसके मातहत भी चटनी चा’टने से पीछे नही रहते। विभागीय सूत्रों की माने तो ट्रांस’फर पो’स्टिंग के खेल में साहब के बाबू और उनके द्वारा लगाये गये दो चिकित्सा’धिकारियों ने निदेशक को बताए बिना भी जमकर मलाई चा’टी। एक बाबू के विषय में यहां तक चर्चा है कि उसने कुछ पशुचिकित्सा’धिकारियों का ट्रांसफर इस लिए रोक दिया क्यों कि वह लोग उसकी नियमित सेवा पानी करते रहते हैं।
किसी को मिला वर’दान तो कोई भुगत रहा स’जा
विभाग द्वारा ऑफ लाईन ट्रांसफर से जहां निदेशालय के मुखिया और उनके विश्वस्त मातहत तर हुए, वहीं कई लोगों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। धीरे-धीरे ऐसे कई केस खुलकर सामने आ रहे हैं जो निदेशालय पर मत्था टेकने के लिए नही गये तो उन्हे उसका खामियाजा भुगतना पड़ा।
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ऐसा ही एक केश लखनऊ जनपद के काकोरी ब्लॉक में तैनात एक पशुचिकित्सक डॉ. श्रीवास्तव का है जिन्हे, मण्डल में 10 वर्ष पूरे होने पर दोबारा उसी मण्डल के हरदोई जनपद स्थित काईखाई रूरल के अस्पताल में कर दिया। जहां न कोई सहायक है और न चपरासी।
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अन्य लोगों की तरह डॉ. श्री’वास्तव ने भी अपने ऐच्छिक चार स्थान जो कि पोर्टल में दिख रहे थे उनमें से किसी एक पर स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध किया था, लेकिन डॉ. श्रीवास्तव ने वह नही किया जिसकी निदेशालय को अपेक्षा थी। इस लिए उन्हे दोबारा उसी मण्डल के सबसे बददतर पशुचिकित्सालय में भेज दिया गया।
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डॉ. श्री’वास्तव जिस स्थान पर जाना चाहते थे वहां पहले से तैनात चिकित्सक अपनी ड्यूटी की बजाय निजी क्लीनिक के संचालन में व्यस्त रहते हैं और निदेशालय के बाबुओं का पूरा ख्याल भी रखते हैं इस लिए उनका ट्रांसफर रोक दिया गया। डॉ. श्री’वास्तव 2022 में फिर अपना बोरिया बिस्तर समेटते नजर आयेंगे क्यों कि उनका नाम ट्रांस्फर लिस्ट में फिर से होगा क्यों अब उनकी सेवा एक ही मण्डल में 11 साल की हो जायेगी।
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मुख्यमंत्री की ईमानदार छवि का विभाग नही कर रहा ख्याल
विभागीय भ्रष्टा’चार का इस विभाग से चोली दामन का साथ रहा है। इससे पहले भी यहां के तत्कालीन निदेशक रूद्र प्रताप सिंह से लेकर चरन सिंह यादव तक पर खूब आरोप लगे, जांच बैठी और सस्पेंड भी हुए। लेकिन तब के मुख्यमंत्री और अब के मुख्यमंत्री में जमीन आसमान का अंतर है। सीएम योगी जी ने अभी कुछ दिन पूर्व वाराणसी में ऐलान किया कि दूसरी सरकारों में नौकरी और पोस्ट की नीलामी होती थी लेकिन यदि उनकी सरकार में किसी ने ऐसा किया तो उसका घर तक बिक जायेगा।
मुख्यमंत्री जी रत्नशिखा टाइम्स किसानों और बेजुबान पशुओं की आवाज को लंबे समय से बुलंद करता आया है। आपकी ईमानदार छवि को देखते हुए हमारा काम समाचार लिखकर आपको बताना है। मुख्यमंत्री जी.! बेजुबान जानवरों के विभाग पशुपालन की भी जांच करा लीजिए यहां आपको हर चीज में खेला मिलेगा।
निदेशक प्रशासन पर नोएडा में पहले से दर्ज हैं दो एफ.आई.आर.
निदेशक प्रशासन एवं विकास पर नोएडा की कोतवाली फेज-3 में, अपने एक संबन्धी को ठगी मामले में सहयोग करने के आरोप में 2 एफआईआर दर्ज कराई गयीं हैं। इन एफआईआर को निदेशक प्रशासन एवं विकास उन्हे बदनाम करने की साजिश कह सकते हैं, लेकिन एक बात तो तय कि है बिना आग के धुआं नही उठता।