लखनऊ, ( एस.वी.सिंह उजागर) । पूरी दुनिया में अयोध्या और राम मंदिर की गूंज सुनाई दे रही है 22 जनवरी 2024 को रामलला अपने महल में विराजमान हो जायेंगे। आप में से ज्यादातर लोगों ने यह कविता सुनी होगी- महर्षि दधीचि का त्याग विश्व में अमरत्व का वरदान हो गया..शिल्प कलाकारों के द्वारा पत्थर भी भगवान हो गया..! कौन शिला शंकर बन जाए उन शिखरों को मालूम नहीं.. कौन बूंद मोती बन जाए मेघों को मालूम नहीं !!
अयोध्या में नेपाल से लायी गयी दो पत्थर की शिलाओं का राज्याभिषेक बिल्कुल राजा रामचंद्र की तरह वनवास में बदल गया। ऐसे में अब चर्चा उठ खड़ी हुई कि नेपाल से लायीं गयीं उन शिलाओं का क्या होगा जिनके विषय में कहा गया था कि रामलला की मूर्तियां इन्ही शिलाओं से बनाईं जायेंगी।
देखें यह वीडियो-
Read this : मौसम के बदलते मिजाज पर उपकार ने जारी की एडवाइजरी
शिलाओं को लेकर लोगों का बढ़ रहा रूझान
जैसे-जैसे अयोध्या में बनाए गए राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा का दिन करीब आ रहा है, वैसे – वैसे इस मंदिर में राम की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से आईं शिलाओं को लेकर रुझान बढ़ता जा रहा है। राम मंदिर के निर्माण का काम पूरा होने के बाद फरवरी में नेपाल के कालीगंडकी तट से दो शिलाएं अयोध्या लाई गईं थीं।
Watch this video :
लोग इन शिलाओं का भाग्य राजा रामचन्द्र के भाग्य से जोड़कर चल रहे हैं। जिस तरह से राजा रामचन्द्र का राजतिलक होने जा रहा था लेकिन छड़भर में स्थिति बदल गई और राजा की जगह उन्हे सन्यासी होना पड़ा उसी तरह से इन शिलाओं को भी रामलला बनने का सौभाग्य नही मिल सका। कहां तो इन शिलाओं को मंदिर में विराजमान होना था लेकिन अब यह मंदिर परिसर में एक ओर रखी हुईं हैं।
इसे भी पढ़ें- झोंझी और टेसू की प्रेम कहानी क्यों रही अधूरी?
शिलाओं को लेकर बीबीसी की पड़ताल
इस संदर्भ में नेपाल से बीबीसी संवाददाता विष्णु पोखरेल ने अपने लेख में लिखा कि इन दो शिलाओं का वजन 14 और 27 टन था. कालीनदी तट से संकलित इन शिलाओं को जनकपुर के जानकी मंदिर के माध्यम से अयोध्या भेजा गया था.
शुरुआत में इन शिलाओं से राम मूर्ति बनाए जाने की बात सामने आई. लेकिन बाद में पता चला कि इन शिलाओं को राम मूर्ति बनाने के लिए उचित नहीं पाया गया.
इसे भी देखें-
इस लिए नहीं बन सकी मूर्तियां
भारतीय मीडिया में छपी कुछ खबरों के मुताबिक, इन पत्थरों से मूर्ति नहीं बनाए जाने की एक वजह राम मंदिर से जुड़े संतों की ओर से जताई गई आपत्ति थी.
खबरों के मुताविक कुछ संतों का मानना था कि इन पत्थरों को मूर्ति निर्माण में इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि कालीनदी की चट्टानों को तोड़ा नहीं जाना चाहिए क्योंकि वे शालिग्राम के बराबर हैं। हालांकि, अयोध्या पहुंचे नेपाली प्रतिनिधियों के मुताबिक, इन शिलाओं की तकनीकी जांच के बाद मूर्तिकारों ने कहा कि ‘ऐसी शिला से मूर्ति तराशना संभव नहीं है.’ इसके बाद दूसरे पत्थरों से मूर्तियां बनाई गयीं.
नेपाली प्रतिनिधियों के मुताबिक, 27 टन वजनी शिला पर मूर्ति तराशने की कोशिश की गयी थी. क्योंकि 14 टन वजनी शिला को शालिग्राम माना गया.
शिलाओं को राम मंदिर निर्माण स्थल के पास रखा गया
लेकिन 27 टन वाली शिला भी उपयुक्त न पाए जाने के बाद दोनों शिलाओं को राम मंदिर निर्माण स्थल के पास रखा गया है.
भारतीय मीडिया के मुताबिक, राम मंदिर के गर्भगृह में रखने के लिए देश की अलग-अलग जगहों से लाए गए पत्थरों से तीन मूर्तियां बनाई गई हैं. इनमें से सबसे अच्छी मूर्ति का चयन कर उसे गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा।तो वही बात आ गई न कि
कौन शिला शंकर बन जाए उन शिखरों को मालूम नहीं..
कौन बूंद मोती बन जाए मेघों को मालूम नहीं !!
आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट्स में जरूर बतायें नमस्कार।
कृषि पत्रिकारिता का समर्थन करें-
RATNASHIKHA TIMES कृषि और किसान हित से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाता है। भारत में तकरीबन 150 मिलियन किसान हैं, जो हमारे जीडीपी में 14 % योगदान देते हैं। आपको बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि RATNASHIKHA TIMES अपने विभिन्न प्लेटफार्म जैसे- News Paper, Web Portal और YouTube चैनल के माध्यम से लाखों किसानों के साथ संपर्क और संवाद बनाने का कार्य कर रहा है। हमारे संवाददाता अथक परिश्रम और मेहनत के दम पर सरकार की नीतियों, उपलब्धियों और तमाम नवीनतम कृषि टैक्नॉलाजी को उन लाखों-लाख किसानों तक पहुंचा रहे हैं। साथ ही किसानों की समस्याओं को सरकार के कानों तक पहुंचाने का लगातार प्रयास करते रहते हैं। दोस्तो, आपकी जानकरी के लिए बता दें कि हम मुख्यधारा के मीडिया हाउस की तरह वित्त पोषित नहीं हैं। ऐसे में हम अपने सभी कार्यों को अनवरत तभी जारी रख सकते हैं जब आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें। आधुनिक भारत में कृषि और किसानों के हित में की जा रही निश्पक्ष,निर्भीक और स्वतंत्र पत्रकारिता को संरक्षण देने में अपना सहयोग प्रदान करें। शुभकामनाओं के साथ एस.वी.सिंह उजागर (संपादक)
Please Help us : Via Acount : RATNASHIKHA TIMES ACOUNT No. : 680020110000825 IFCSC CODE : BKID0006800 PLACE : LUCKNOW Via Paytm UPID: 9451988443108@paytm