Lucknow. गोवंशीय, छुट्टा या आवारा नहीं, निराश्रित और बेसहारा हैं जिसके जिम्मेदार भी हम लोग ही हैं। यह कहना है एडी-गोधन व उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के सीईओ डॉ. अरिविन्द कुमार सिंह का। देश के कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों और नीति आयोग के अधिकारियों की जूम मीटिंग के दौरान जब यूपी स्टेट को रिप्रिजेंट कर रहे डॉ. अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि, हमारे यहां इन्हे छुट्टा या आवारा नही कहते हम इन्हे निराश्रित और बेसहारा बोलते हैं तो कई वैज्ञानिकों के सिर सहमति से हिलते देखे गये और कईयों के चेहरों पर प्रसंसा के भाव थे।
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हम आपको बता दें कि बुधवार 16 जून को आईसीएआर, सेन्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च ऑन कैटिल के तत्वाधान में काउ बेस्ड एकनॉमी इन द कन्ट्री विषय पर देश के कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों और नीति आयोग के अधिकारियों ने मंथन किया।
जूम मीट के जरिए देश भर की प्रमुख संस्थाओं से जुड़े वैज्ञानिकों ने गोवंशीय के संरक्षण के साथ-साथ उन्हे देश की अर्थव्यवस्था का प्रमुख हिस्सा कैसे बनाया जाये इस पर घ्ण्टो मंथन किया।
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काउ बेस्ड एकनॉमी इन द कन्ट्री विषय पर आयोजित ऑनलाईन सेममिनार में IREDA (आईआरईडीए ) के चेयरमैन प्रो. वीरेन्द्र कुमार विजय प्रमुख वक्ता की हैसियत से मौजूद थे।
प्रो. वी.के विजय ने देश में Cow आधारित उद्योगों को विशेष दर्जा दिये जाने पर जोर दिया। उन्होने गोवंशियों के गोबर और मूत्र से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने और उन्हे आम जनमानस को उपयोग में लाने के लिए प्रोत्साहित व जागरूक करने संबन्घी कार्ययोजना तैयार करने की बात कही।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ संजीव कुमार वर्मा ने गोवंशियों को उचित न्यूट्रिशियन, उन्नत ब्रीडिंग और उन्नत चारे के प्रबंधन पर अपने विचार रखे।
डॉ. अमिताभ भटनागर ने कहा कि देश में काउबेस्ड इन्डस्ट्री और उद्योग लगने से गोवंशियों का महत्व बढ़ेगा और लोगों का इनके प्रति नज्रिया बदलेगा।
व्यापक नीति बनाने पर जोर
यूपी की तरफ से स्टेट को रिप्रिजेंट कर रहे एडी-गोधन डॉ अरविन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि, प्रदेश में मौजूदा 8.25 लाख गोवंश को अलग-अलग जनपदों में एक जगह इकट्ठा करना और 6 हजार स्थाई गोआश्रय स्थलों की स्थापना करने में काफी बड़ा फंड खर्च होता है।
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पिछले साल इस मद में यूपी का 7 अरब बजट खर्च हुआ था इस लिए एक ऐसी कार्ययोजना की जरूरत है जिससे आम लोगों में इनकी उपयोगिता दिखाई देने लग जाये।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ गोवंशियों के संरक्षण, रखरखाव और उनके संवर्धन के साथ-साथ उनके द्वारा किसानों की फसल को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर नीतियां और योजनाएं बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
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गौवंशियों की दशा सुधारने की दिशा में चल रहा मंथन
- उत्तर प्रदेश में जहां एक ओर नई सरकार गठन की प्रिक्रिया चल रही हैं वहीं ज्यादातर विभागों के सचिव, मण्डल व जनपद स्तर के अधिकारी गोवंश संरक्षण और किसानों की फसलों को बर्वादी से बचाने के उपायों पर रात दिन मंथन कर रहे हैं।
- देश की सरकार, वैज्ञानिक और प्रशासनिक अधिकारी गोवंश के संरक्षण पर रात-दिन एक्सरसाइज करने में लगे हुए हैं।
- ऐसे में उम्मीद की जा सकती कि गोवंशियो के दिन अब बहुरने वाले हैं।
- जो लोग अभी तक उन्हे अनुपयोगी मानकर बेसहारा छोड़ देते हैं कल वही गांवंशीय इतनी जरूरत की चीज हो जायेंगे कि इन्हे वापस हासिल करने के लिए लोग मशक्कत करते नजर आयेंगे।
उक्त के अलावा जूम मीटिंग में प्रो.एन.एस. कुमार शास़्त्री, डॉ. पुतान सिंह समेत अनेक संगठनों के वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
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