एस.वी. सिंह उजागर
लखनऊ। किसान भाई जुलाई माह में टमाटर की बुवाई कर सकते हैं। कुछ देसी को किस्मों को छोड़कर टमाटर की संकर किस्म हर प्रकार की भूमि में पैदा हो सकती है। आज कर संकर किस्म की खेती ही ज्यादा मात्रा में हो रही है। ऐसे में किसान संकर किस्मों की सफल खेती कर ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
खरीफ फसलों की रोपाई-बुवाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब कुछ दिन बाद किसान निराई में लग जाएंगे। लेकिन अभी किसान भाइयों के पास टमाटर की खेती से अतिरिक्त कमाई करने का मौका है। अगर वैज्ञानिक तरीके से टमाटर की खेती की जाए तो किसान अच्छा लाभ हासिल कर सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसान भाई जुलाई माह में टमाटर की बुवाई कर सकते हैं। कुछ देसी को किस्मों को छोड़कर टमाटर की संकर किस्म हर प्रकार की भूमि में पैदा हो सकती है। आज कर संकर किस्म की खेती ही ज्यादा मात्रा में हो रही है। ऐसे में किसान संकर किस्मों की सफल खेती कर ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली जमीन की जरूरत होती है। जल जमाव होने वाले खेत में टमाटर की खेती नहीं करनी चाहिए। खेत में पानी भर जाने से पौध बर्बाद हो जाती है और किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में किसान भाई ऊंची जमीन पर ही टमाटर की खेती करें उनके लिए लाभप्रद है।
इन बातों का रखना होता है ध्यान
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, टमाटर की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6-7 रहे तो उपयुक्त होता है. टमाटर की खेती के लिए भूमि की तीन से चार बार गहरी जुताई कर एक हेक्टेयर खेत में 25-30 टन गोबर की सड़ी हुई खाद डालनी चाहिए. बुवाई के बाद ऊपरी सतह पर गोबर की खाद की पतली परत बिछा देनी चाहिए। क्यारी को धूप, ठंड या बरसात से बचाने के लिए घास फूस से ढका जा सकता है।
टमाटर की खेती के दौरान सिंचाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। पहली सिंचाई रोपण के बाद की जाती है। बाकी इसके बाद आवश्यकतानुसार 20 से 25 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना उचित रहता है। अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए समय-समय पर निराई भी जरूरी होती है। अगर फसल में कीट वगैरह लगते हैं तो किसान भाई कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं।
किसानों के लिए बैंगन भी एक बेहतर विकल्प
टमाटर के अलावा जुलाई के महीने में बैंगन की खेती भी एक बेहतर विकल्प है। इसके दो महीने बाद बैंगन की फसल तैयार हो जाती है। अगर आप बैंगन की खेती करने जा रहे हैं और अधिक उत्पादन की चाह रखते हैं तो आपको दो पौधों के बीच दूरी का खास ध्यान रखना होगा. दो पौधों और दो कतार के बीच 60 सेंटी मीटर होनी ही चाहिए।
खाद और उर्वरक का इस्तेमाल मिट्टी की जांच के हिसाब से ही करना चाहिए. अगर आपने मिट्टी की जांच नहीं कराई है तो खेत तैयार करते वक्त 25 से 30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए। इससे अच्छी पैदावार मिलती है और उत्पाद के रंग और आकार भी सही रहते हैं। रंग और आकार ठीक न हो तो किसानों को बाजार में सही भाव नहीं मिल पाता है।
कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि बैंगन के फल जब मुलायम हों और उनमें ज्यादा बीज न बनें हों तब ही उन्हें तोड़ लेना चाहिए. ज्यादा बड़ा हो जाने पर इनमें बीज पड़ जाते हैं और तब ये उतने स्वादिष्ट नहीं रह जाते। अगर किसान भाइ जुलाई महीने में इन दो फसलों की खेती करते हैं तो यह उनके लिए एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बन जाता है।