अलवर, (राज्य संवाददाता )। राजस्थान में सरिस्का टाईगर रिजर्व की बाघिन अब अपनी मां से अलग होकर अपनी नई पहचान बनाने जा रही है। अभी तक वह अपनी मां एसटी-10 की शावक (फीमेल) के रूप में जानी आती थी। लेकिन अब उसे स्वयं की पहचान मिल चुकी है। सरिस्का बाघ परियोजना के अधिकारीयों ने उसकी नई पहचान बाघिन एसटी-22 के रूप में व्यक्तिगत आईडी जारी कर दी है।
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बाघिन एसटी-22 की आयु लगभग डेढ वर्ष हो चुकी है। वह अब अपनी मां से पृथक होकर अपनी नई टैरिटरी स्थापित करने जा रही है।सरिस्का बाघ परियोजना अलवर के वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक आर.एन मीना ने आज बताया कि, इस शावक की सरिस्का टाईगर रिजर्व में बाघिन एसटी-22 की आईडी आज जारी की गई।
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सरिस्का में 23 बाघ-बाघिन करते हैं विचरण
उन्होंने बताया कि वर्तमान में बाघ परियोजना सरिस्का में शावकों सहित कुल 23 बाघ-बाघिन विचरण कर रहे हैं। गौर तलब है कि सरिस्का’ बाघ अभयारण्य भारत में सब से प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है।
1955 में इसे वन्यजीव आरक्षित भूमि घोषित किया गया
- सरिस्का टाईगर रिजर्व राजस्थान के राज्य के अलवर जिले में स्थित है।
- इस क्षेत्र का शिकार पूर्व अलवर राज्य की शोभा थी।
- यह 1955 में इसे वन्यजीव आरक्षित भूमि घोषित किया गया था।
- 1978 में बाघों की परियोजना योजना रिजर्व का दर्जा दिया गया।
- पार्क वर्तमान क्षेत्र 866 वर्ग किमी में फैला है।
- पार्क जयपुर से 107 किमी और दिल्ली से 200 किमी दूरी पर् है।
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