नई दिल्ली,( ब्यूरो )। ‘4 साल पहले बोले गए इस कथन ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है…’ से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया। जिसपर 27 मिनट बाद कोर्ट ने उन्हें 2 साल की जेल की सजा सुनाई और 15 हजार का जुर्माना भी लगाया। जिसके कुछ देर बाद ही कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी। इसके साथ ही सजा को 30 दिन के लिए स्थगित भी कर दिया गया। कोर्ट की सुनवाई के दौरान राहुल गाँधी वहां मौजूद रहे।
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राहुल ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष
राहुल ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उनके वकील के मुताबिक, ‘राहुल ने कहा कि बयान देते वक्त मेरी मंशा गलत नहीं थी। मैंने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।’ उधर, कोर्ट के बाहर विधायक और याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी और उनके समर्थकों ने भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारे लगाए।
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4 साल से चल रहा था मानहानि का मामला
राहुल पर पिछले 4 साल से मानहानि का मामला चल रहा था। कोर्ट ने 17 मार्च को इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेशी के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।
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कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता खतरे में ?
जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदालतों में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पाए जनप्रतिनिधियों (विधायकों-सांसदों) की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। इसी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जो सांसद या विधायक सजा को ऊपरी अदालत में चैलेंज करेंगे, उन पर सदस्यता रद्द करने का आदेश लागू नहीं होगा।
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राहुल गांधी को IPC की धारा 500 के तहत दोषी करार दिया गया है। उनके वकील ने कोर्ट में कहा- हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। हायर कोर्ट में अपील करने के लिए राहुल गांधी के पास 30 दिन का वक्त है। रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन 8 (3) के मुताबिक 2 साल की सजा होने के बाद टेक्निकली राहुल गांधी की सदस्यता जा सकती है। बशर्ते ये सजा सुप्रीम कोर्ट से भी बरकरार रहे।
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