लखनऊ, (आरती ब्यूरो )। में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) काउंसिल की 45वीं बैठक खत्म हो गई है। बैठक में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल करने का प्रस्ताव नहीं रखा गया और न ही इस पर कोई चर्चा हुई। बताया जा रहा है कि बैठक में बायोडीजल पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी करने को मंजूरी मिली है। मेटल पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 18% करने पर भी फैसला हुआ है। अभी बैठक को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करने वाली हैं।
इससे पहले पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के नाम पर कई राज्य इसके विरोध में खड़े हो गए थे। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल समेत ज्यादातर राज्यों ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर ही रखने को कहा है। ऐसे में ये प्रस्ताव खारिज हो सकता है।
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दायरे में आता तो पेट्रोल 28 और डीजल 25 रुपए तक सस्ता हो जाता
अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में आता तो पेट्रोल 28 रुपए और डीजल 25 रुपए तक सस्ता हो जाता। अभी देश में कई जगहों पर पेट्रोल 110 और डीजल 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है। लेकिन ऐसा होने पर राज्यों के राजस्व में घाटा होगा है। यही कारण है कि कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं।
इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वित्त मंत्री से मिलने पहुंच गए हैं। जीएसटी काउंसिल की बैठक में 48 से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स दरों की समीक्षा की जा जा रही है। इसमें 11 कोविड दवाओं पर टैक्स छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाने का भी फैसला हो सकता है।
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दिल्ली, बिहार समेत 7 राज्यों के उप मुख्यमंत्री हुए शामिल
बैठक में 7 राज्यों के उप मुख्यमंत्री शामिल हुए हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश के चौना मेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री राज किशोर प्रसाद, दिल्ली के मनीष सिसोदिया, गुजरात के नितिन पटेल, हरियाणा के दुष्यंत चौटाला, मणिपुर के युमनाम जोए कुमार सिंह और त्रिपुरा के जिष्णु देव वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा कई राज्यों के वित्त या भी मुख्यमंत्री की ओर से नामित मंत्री भी शामिल हुए हैं।
यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्षधर नहीं थे
बैठक के संयोजक उत्तर प्रदेश सरकार के ही मंत्री इसके पक्ष में नहीं थे । उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के साथ में जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में शामिल छह अन्य राज्यों के वित्त मंत्री पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने पक्ष में नहीं थे । इससे यह तो तय था, कि बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने का प्रस्ताव अगर रखा भी जाता तो वह खारिज हो जाता।