लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने युवाओं से आत्मनिर्भरता हासिल करने का आह्वान करते हुए कहा कि जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनने का प्रयास करें युवा।बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत (Ninth convocation) समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने गुरूवार को कहा कि समतामूलक और सशक्त भारत के निर्माण के लिए युवा पीढ़ी को आज से ही जुटना होगा। हमें देश को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाकर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के सपनों को मिल कर पूरा करना होगा। युवाओं के प्रयास से भारत अपने शताब्दी वर्ष में हर तरह के भेदभाव से मुक्त एक विकसित देश के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
उन्होने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भारत एक समावेशी विश्व व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा सकेगा। उन्होने समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों से कहा कि वह आत्मनिर्भर बने और जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनने का प्रयास करें।
भारत को एक ‘शिक्षा महाशक्ति’ के रूप में स्थापित करने का अभियान शुरू
राष्ट्रपति ने भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि बाबा साहब के विचारों के अनुरूप शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के समावेशी विकास की दिशा में विश्वविद्यालय का योगदान प्रशंशनीय है। उन्होंने बताया कि लगभग एक वर्ष पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारत को एक ‘शिक्षा महाशक्ति’ के रूप में स्थापित करने का अभियान शुरू किया गया है। यह शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप आज की युवा पीढ़ी को सक्षम बनाने में सहायक सिद्ध होगी।
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उन्होने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा के साथ-साथ मनुष्य का शील भी सुधरना चाहिए। शील के बगैर शिक्षा की कीमत शून्य है। ज्ञान एक तलवार की तरह है। उसका सदुपयोग या दुरुपयोग करना उस व्यक्ति के शील पर निर्भर करता है।
संस्कृति, धर्म और अध्यात्म में बाबा साहब का अमूल्य योगदान
बाबा साहब के व्यक्तित्वा को दर्शाते हुए कोविंद ने कहा कि बाबा साहब संविधान के बड़े शिल्पकार होने के साथ-साथ उन्होंने बैंकिंग, सिंचाई, बिजली, श्रम प्रबंधन प्रणाली, राजस्व साझाकरण प्रणाली तथा शिक्षा आदि क्षेत्रों में मूलभूत योगदान दिया था। वह एक शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, विधि वेत्ता, राजनेता, पत्रकार, समाज सुधारक तथा समाजशास्त्री तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।
सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत उन्नति के लिए शिक्षा ही सबसे प्रभावी माध्यम
उन्होने शिक्षा महत्वता बताते हुए कहा कि सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत उन्नति के लिए शिक्षा ही सबसे प्रभावी माध्यम है। सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों से प्रेरणा प्राप्त करते हुए आधुनिक विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने का हमारा लक्ष्य तभी सिद्ध होगा जब सभी छात्र और शिक्षक पूरी निष्ठा के साथ कार्य करें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास सराहनी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की प्रशंषा करते हुये उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। उन्होने कहा “ अपनी यात्रा के दौरान मुझे यूपी में शिक्षा के क्षेत्र में उठाए जा रहे प्रयासों को करीब से जानने का मौका मिला। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप यहां बेहतर काम किया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में योगी सरकार ने अलख जगाई है। उसकी जितनी भी सराहाना की जाए वह कम है।”
राष्ट्रपति ने किया सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास
राष्ट्रपति ने कहा “ सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास करके मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा सावित्रीबाई फुले ने 175 वर्ष पहले बेटियों की शिक्षा के लिए जो क्रांतिकारी कदम उठाए। वह आज भी प्रासांगिक है। खासकर तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति के विषय में अध्ययन करने पर पता चलता है कि आज हमारी बेटियां समाज और देश का गौरव पूरे विश्व में बढ़ा रही हैं।”
टोक्यो ओलंपिक में देश की बेटियों ने किया गौरवान्वित
उन्होने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में देश की बेटियों के प्रदर्शन से संपूर्ण देश में गर्व की भावना का संचार हुआ है। प्रत्येक क्षेत्र में हमारी बेटियों ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा रही है। समान अवसर मिलने पर हमारी बेटियां बेटों से भी आगे निकल जाती हैं। दीक्षांत समारोह में पदक पाने वाले होनहारों में बेटियों की संख्या बेटो से अधिक है।
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विजेताओं में भी बेटियों की संख्या अधिक है इस परिवर्तन को एक स्वस्थ समाज और उन्नत राज्य राष्ट्र की दिशा में बढ़ते कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। यही बाबा साहब का मूल सपना था जो सच होता दिखाई दे रहा है।
कोविंद ने कहा कि यह पहला विवि है जहां वह दूसरी बार वह दीक्षांत समारोह में शामिल हुये हैं। इससे पहले वह दिसम्बर 2017 में दीक्षांत समारोह में शामिल होने यहां आये थे। यह विवि बाबा साहब के विचारों के अनुरूप समावेशी समाज की परिकल्पना को साकार कर रहा है। विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले अलग से पदक प्रदान करना सराहनीय समावेशी संस्कृति को मजबूत बनायेगी।
1424 छात्र हुए उपाधि से सम्मानित
इस मौके पर स्नातक, परास्नातक, पीएचडी तथा एमफिल एवं अन्य पाठ्यक्रमों के 1424 छात्र-छात्राओं को उपाधि से सम्मानित किया गया। उनमें से छह को राष्ट्रपति ने स्वर्ण पदक प्रदान किये। कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।