एमएसएमई (MSME ) भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड है। हमारे देश में लघु और कुटीर उद्योग परंपरागत उद्योग है, क्यों कि इनमे कम पूंजी लगती है जिसे सुगमता से इकट्ठा करके उद्योग शुरू किया जा सकता है।
लघु उद्योग श्रेणी को नया नाम लघु उदयम दिया गया है। सरकार अब इन उद्योगों हेतु ऋण उपलब्ध करा रही है, जिससे उत्पादन बढ़ाने मे मदद मिल रही है। बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था मे लघु और कुटीर उद्योग का स्थान प्राचीन काल से ही सर्वोपरि रहा है।
इधर विश्विद्यालय शिक्षा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जीवन के महत्व को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि नगरों का विकास गावों से होता है और नगरवासी निरंतर ग्रामीण जीवन पर पनपते है, इसलिए बिना लघु और कुटीर उद्योगों के किसान का विकास नहीं है। बह केवल भूमि की उपज से खुद को सम्पूर्ण रूप से नहीं पाल सकता।
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी का भी यही मानना था कि गावों के विकास के लिए घरेलू उद्योग का विकास स्वतंत्र इकाइयों के रूप में किया जाना आवश्यक है। योजना आयोग के गठन के समय 1950 में स्पष्ट किया गया कि लघु और कुटीर उद्योग हमारी अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग है। देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
सरकारी नौकरिया बढ़ने की संभावना नहीं लगती ऐसी स्थिति में हर हाथ को काम देना आसान नहीं है। इसके लिए गाँव स्तर पर उद्योग कारखाना खोलने की स्थिति आन पडी है। 1948 में जब कुटीर उद्योग बोर्ड की स्थापना हुई और प्रथम पंचवर्षीय योजना में 42 करोड़ की धनराशि उद्योगों के विकास के लिए खर्च की गयी।
जाने क्या है एमएसएमई (MSME) ?
भारत जैसे विकाशशील देशों मे लघु उद्योगों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति के मन में उद्यमी बनने, सम्पत्ति कमाने, नाम कमाने व, आत्मनिर्भर बनने की प्रबल इच्छा है। गाँवों में लघु, सूक्ष्म, और मध्यम उद्योग ही ज्यादातर किए जाते है। जिन्हें MSME कहा जाता है। और भारत सरकार ने 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर पैकेज में सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये क्रेडिट फ्री मतलब गारंटी फ्री लोन की घोषणा की ।
♠ यह भी पढ़ें ⇒ कोविड टीकाकरण के चलते सिरिंज निर्यात पर तीन महीने तक रोक
इसमें एक खास बात रही कि आत्मनिर्भर पैकेज के बाद MSME की परिभाषा बदल दी गयी जो अब इन्वेस्टमेंट और टर्नओवर के आधार पर होगी। . नई परिभाषा में मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस यूनिट को एक केटेगरी में डाल दिया गया है ।
टर्नओवर के आधार पर बनेगी कैटेगरी
क्लासीफिकेसन इनवेस्टमेंट और टर्नओवर दोनों के आधार पर किया गया है । जैसे एक करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और पांच करोड़ तक टर्नओवर बाली कंपनियां माइक्रो केटेगरी मे आएँगी।
एक करोड़ से दस करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और पांच करोड़ से पचास करोड़ तक टर्नओवर बाली कंपनियां स्माल केटेगरी मे आएँगी । दस से बीस करोड़ तक इन्वेस्टमेंट और पचास से सौ करोड़ तक टर्नओवर बाली कंपनियां मध्यम (मीडियम) उद्योग की केटेगरी में आएँगी ।
♠ यह भी पढ़ें ⇒ लखनऊः एनसीपी के राष्ट्रीय महासचिव ने दी आत्मदाह की धमकी
अर्थव्यवस्था के रीड की हड्डी है एमएसएमई
MSME को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी कहा गया है क्यों कि MSME का देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 29 फीसदी का योगदान अकेला है। यह देश के रोजगार स्रजन का बहुत बड़ा माध्यम है एक अनुमान के आधार पर देश के लगभग 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
एम.एस.एम.ई. के विकास के लिए सरकार भी प्रयासरत है क्यों कि यह कम लोगों के बीच कम जगह में शुरू किया जा सकता है ये दो प्रकार से समझ सकते है। निर्माण और सेवा. निर्माण से तात्पर्य उत्पादन और सेवा से सर्विस करना है।
♠ यह भी पढ़ें ⇒ शहीद किसानों की निकलेगी अस्थि कलश यात्रा, दशहरा में पीम मोदी का पुतला दहन का ऐलान
सारथी ऐप के माघ्यम से लोगों को रोजगार से जोड़ने की शुरूआत
सरकार द्वारा उद्यम सारथी ऐप जारी किया गया इस ऐप के माध्यम से रोजगार के कार्यक्रमों को एक जगह लाकर स्वरोजगार प्रक्रिया असान की गयी । लाखो की संख्या में एम. एस.एम.ई. इकाईयों की स्थापना की गयी। जिससे एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला।
ओ.डी.ओ.पी. एक जिला एक उत्पाद के माध्यम से 25 लाख लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ। केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर एम.एस.एम.ई. को बढावा दे रही है जिससे आम जनमानस आत्मनिर्भर बन सके।
( *लेखक फेडरेशन ऑफ स्माल इन्डस्ट्रीज इण्डिया के वाइस चेयरमैन हैं )