लखनऊ, (एस.वी.सिंह उजागर)। पशुपालन विभाग में चलने वाली कई स्कीमों पर इन दिनों ग्रहण लग चुका है। कुछ योजनाएं बजट के अभाव में रूकी पड़ीं हैं तो कुछ संसोधन प्रक्रिया के चक्रव्यू में उलझकर रह गयीं हैं। यहां योजनाएं बेसक न हो पर आला अधिकारियों के पास काम की व्यस्तता बहुत देखने को मिलेगी। विभाग द्वारा संचालित कुक्कुट पालन से संबन्घित कई योजनाओं की फाइलें इन दिनों धूल फांक रही है।
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पशुपालन विभाग द्वारा प्रदेश की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2013 में उ0प्र0 कुक्कुट विकास नीति का अनुमोदन कराया गया। उस समय प्रदेश में प्रतिदिन लगभग एक करोड़ अण्डा अन्य प्रदेशों से आयात किया जाता था। प्रदेश में प्रतिदिन आयात किये जा रहे अण्डों का उत्पादन प्रदेश में कराया जाय इसलिए कुक्कुट पालन को उद्यमिता विकास की तरह स्थापित करने का प्रयास किया गया।
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कामर्शियल लेयर फार्म की योजनार्न्तगत अण्डों के उत्पादन हेतु, 5 वर्षाे में 410 इकाईयॉं, प्रति इकाई 30000 पक्षी की इकाई के रुप में कुल 123 लाख पक्षी पाले जाने का लक्ष्य रखा गया था। ब्रायलर चूजों के उत्पादन हेतु 06 लाख पक्षी क्षमता के ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की अवस्थापना का लक्ष्य रखा गया।
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प्रदेश में तीन योजनाओं का हो रहा था संचालन
उत्तर प्रदेश में कुक्कुट पालन से संबन्धित इस समय 3 योजनाओं का संचालन प्रमुख रूप से किया जा रहा था। जिनमें-
- 30,000 पक्षी क्षमता वाली कामर्शियल लेयर इकाई अनुमानित लागत 1 करोड़ 80 लाख रूपये
- 10,000 पक्षी क्षमता वाली कामर्शियल लेयर इकाई अनुमानित लागत 70 लाख रूपये
- 10,000 पक्षी क्षमता वाली ब्रायलर पेरेंट्स इकाई, अनुमानित लागत 2 करोड़ 6 लाख रूपये।
यह था योजना संचालन का उद्देश्य-
- उत्तर प्रदेश को अण्डा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना।
- यूपी को ब्रायलर चूजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना।
- ब्रायलर उत्पादन को अधिक लाभकारी बनाना।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना। - कृषि उत्पादन हेतु जैविक खाद्य की उपलब्धता को बढ़ावा देना।
- खाद्य पदार्थाे में प्रोटीन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देना।
- सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोत्तरी में सहयोग करना।
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पांच करोड़ के निवेश पर मण्डी शुल्क व सेस पर मिलती है छूट
खाद्य प्रसंस्करण नीति 2012 में निहित प्राविधानों के अनुसार नवीन स्थापित प्लान्ट, मशीनरी एवं स्पेयर पार्ट्स आदि के रू0 5.00 करोड़ या उससे अधिक पूंजी निवेश पर पांच वर्षों तक मण्डी शुल्क व विकास सेस की छूट की सुविधा योजना के लाभार्थियों को प्रावधानित थी।
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योजना संसोधन की चल रही कार्यवाही: डॉ.सोलंकी
स्ंयुक्त निदेशक कुक्कुट डॉ. अनिल सोलंकी के अनुसार कुक्कुट पालन विकास नीति-2013 इन दिनों बजट रिलीज न होने के चलते रूकी हुई है। उन्होने बताया कि योजना लांचिंग की अवधि पूरी हो चुकी थी जिसके कारण यह संसोधन प्रक्रिया से गुजर रही है। वैसे तो यह योजना 2018 तक के लिए थी लेकिन उस दौरान इसे 5 साल के एक्सटेंड कर दिया गया था इस लिए इसकी अवधि 2022 तक हो गयी थी। संसोधन प्रक्रिया का कार्य पूरा होते ही उक्त योजनाएं अपने संसोधित रूप में पुनः संचालित हो सकेंगी।