विदिशा, (राज्य संवाददाता )। आधुनिक समय में, उपग्रहों का उपयोग मौसम की स्थिति जानने के लिए किया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा क्षेत्र के किसान अभी भी प्राचीन भारतीय संस्कृति पर निर्भर हैं।
यहां सभी गुरु पूर्णिमा पर आत्माओं के मार्गदर्शन में मौसम का पूर्वानुमान दिया जाता है। यह परंपरा 80 साल पहले इस क्षेत्र में जारी है। फिलहाल किसानों की उम्मीदें गुरु पूर्णिमा के पूर्वानुमान पर टिकीं हैं। इस बार पर्यावरण मामलों के विभाग का पूर्वानुमान बार बार गलत साबित हो रहा है।
विदिशा शहर के केंद्र में, लगभग 100 मीटर ऊंची लुहांगी पहाड़ी पर स्थित, धर्माधिकारी शहर की तीसरी पीढ़ी अभी भी शाम को गुरु पूर्णिमा पर वार्षिक हवा के रुख को भांपने की परंपरा चली आ रही है। यहां हवा के रुख को देख कर अच्छी या सामान्य वर्षा और उपज की भविष्यवाणी की जाती है। किसान भी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।
हालांकि मौसम विज्ञानी इस भविष्यवाणी को अवैज्ञानिक मानते हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि यह सटीक है, इसलिए वे इस पर भरोसा करते हैं। एक ही परिवार पिछली तीन पीढ़ियों से हवा के रुख की गड़ना करता आ रहा है।
तब से वही परिवार आध्यात्मिक परीक्षण कर रहा है। तीसरी पीढ़ी के रूप में पंडित ब्रजराज चतुर्वेदी इस परंपरा का संचालन करते हैं। व्यवस्था को संरक्षित करने के लिए वह संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों को इसकी शिक्षा दे रहे हैं ताकि प्राचीन संस्कृति को संरक्षित किया जा सके।
विदिशा तहसील का किसान आज भी प्राचीन तरीके पर निर्भर
क्षेत्रीय किसान आज भी इस प्राचीन पद्धति को मानते हैं। विदिशा तहसील के जालहरी क्षेत्र के किसान वैभव दयाल सिंह का कहना है कि मौसम का पूर्वानुमान सटीक है। पिछले 30 साल से इसी के आधार पर हम कृषि की तैयारी कर रहे हैं। आप हर साल इस पूर्वानुमान का इंतजार करते हैं। वहीं, रावण के एक किसान रामखेलावन तिवारी ने कहा कि अविश्वास का कोई कारण नहीं था। यह वैदिक ज्ञान पर आधारित भविष्यवाणी है। अभी तक इस पद्धति की पहचान जलवायु परीक्षण में त्रुटि नहीं हुई है। पिछले साल कम वर्षा की भविष्यवाणी की गई थी, जो सही साबित हुई।
अभी तक की सभी भविष्यवाणियां होती आयीं सही
मौसम के भविष्यवाणी की शुरुआत करीब 80 साल पहले दादाजी पंडित उमाशंकर शास्त्री ने की थी। उनकी मृत्यु के बाद, उनके पिता श्री गोविंद प्रसाद शास्त्री ने हवाई परीक्षण करके भविष्यवाणियां करना जारी रखा। वर्तमान में मैं पिछले ३६ वर्षों से आध्यात्मिक परीक्षण करके अपनी भविष्यवाणियां कर रहा हूं । वैदिक ग्रंथों के अनुसार यह पूर्णता सत्य है। पंडित बृजराज चतुर्वेदी, विदिशा ने यहां विवरण प्रदान किया।
मौसम की भविष्यवाणी शैतान ज्ञान पर है आधारित
इसका उल्लेख वैदिक ग्रंथों में मिलता है, लेकिन वर्तमान शिक्षा प्रणाली में इसका कहीं उल्लेख नहीं है, ऐसे में इस पद्धति को समाप्त नहीं किया जा सकता है। पूर्वानुमान के बारे में सच्चाई केवल किसान ही बता सकते हैं। डॉ एसएस तोमर, मौसम विज्ञानी, क्रिस्पी विज्ञान केंद्र, सीहोर ने यह जानकारी दी।