धान की पराली से पैसा कमाने के लिए किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल पर करवाना होगा रजिस्ट्रेशन, उद्योगों में होगी इसकी खपत. खरीदने वाले भी कृषि विभाग में ऑनलाइन करवाएंगे रजिस्ट्रेशन.
Lucknow. (SV Singh Ujagar ). सबसे ज्यादा पराली जलाने (Stubble burning) वाले राज्यों में शामिल हरियाणा ने धान की रोपाई के साथ ही इसके निस्तारण का भी प्लान तैयार कर लिया है. ताकि प्रदूषण न हो. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वे फसल अवशेष प्रबंधन अपनाए तांकि पराली जलाने की नौबत ही न आए. यही नहीं आर्थिक लाभ भी हो. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तरह 2021-22 में भी किसानों (Farmers) को पराली से पैसा कमाने का मौका है.
जो किसान स्ट्रॉ बेलर द्वारा पराली की गांठ या बेल बनाकर या बनवाकर उसका निष्पादन किसी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम व अन्य औद्योगिक इकाईयों में करेगा उसे 1000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. यह राशि 20 से 50 क्विंटल प्रति एकड़ पराली उत्पादन को मानते हुए दी जाएगी. इस योजना के लिए सरकार ने 230 करोड़ रुपये का बजट तय कर दिया है.
यहां करवाना होगा रजिस्ट्रेशन
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल https://agriharyana.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. किसान पोर्टल पर क्रॉप रेसिड्यूस मैनेजमेंट लिंक पर जाकर ‘पराली की गांठ या बेल के उचित निष्पादन के लिए ‘पंजीकरण’ शीर्षक पर क्लिक करके पंजीकरण कर सकते हैं.
अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकटतम कृषि अधिकारी या टोल फ्री नंबर 1800 180 2117 पर संपर्क कर सकते हैं. यह पोर्टल किसानों और उद्योगों को पराली की मांग और आपूर्ति के लिए मंच देता है. इस पोर्टल पर किसान और उद्योग (Industry) पराली की गाठों या बेलों का क्रय-विक्रय दोनों कर सकते हैं.
पिछले साल उद्योग जगत ने बताई थी पराली की जरूरत
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2020-21 में 24,409 किसानों ने इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया था. जबकि 147 औद्योगिक इकाईयों ने 8,96,963 मीट्रिक टन पराली की आवश्यकता के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाया था. उन्होंने बताया कि पराली की गाठें बनाने वाली स्ट्रा बेलर यूनिट भी किसानों को अनुदान पर उपलब्ध होगी.
मिश्रा ने बताया कि उद्योगपतियों से भी कहा है कि वे 2021-22 में पराली की गांठो या बेलों की आवश्यकता अनुसार पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवा लें, ताकि समय पर उन्हें पराली की उपलब्धता हो सके. उन्होंने बताया कि इस प्रकार पराली जलाने की समस्या से निजात मिलेगी और प्रदूषण (Pollution) में कमी आ सकती है.