बाराबंकी। घाघरा नदी में बाढ़ के चलते बेघर हुए किसानों के पशुओं के इलाज के लिए पशुपालन विभाग की ओर से डाॅ.जी.सी. यादव के नेतृव्व में बाराबंकी के हेतमापुर में पशु चिकित्सा कैंप का संचालन किया जा रहा है। जहां पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसान अपने पशुओं का इलाज करा रहे है।
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विगत एक सप्ताह से कैंप का संचालन कर रहे पशुचिकित्सक डाॅ जीसी यादव ने बताया कि, उनके इलाके में आने वाले 13 मजरा ऐसे हैं जहां हर साल बाढ़ आती है। इस लिए मवेशियों के टीकारण का काम घर-घर जाकर पहले ही सम्पन्न किया जा चुका है। छूट गये पशुओं का कैंप लगाकर टीकारण तथा अन्य बीमारियों का इलाज किया जा रहा है।
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घाघरा में आयी बाढ़ के चलते टेंट में रह रहे लोग
घाघरा में आयी बाढ़ के बाद एक दर्जन से ज्यादा गावों में पानी भर गया है, जिससे वहां के लोग ऊंचे स्थानों पर टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं। ऐसे में मवेशियों के लिए और भी विकट स्थित उत्पन्न हो गयी है। पशुपालन विभाग के चिकित्सक व फार्मासिस्ट उनके लिए इलाज का इंतजाम कर रहें है।
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बाढ़ से हो गयी चारे की आफत
खेत और घर पानी में डूबने के कारण मवेशियों के सामने बीमारियों के साथ-साथ चारे की विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है। अभी तक ग्रामीणों ने जैसे तैसे चारे का प्रबंध किया लेकिन जल्द ही यह व्यवस्था नाकाफी होगी। ऐसे में सभी की निगाहें जिला प्रशासन की तरफ टिकी हैं।
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जल्द होगा भूसा वितरण
डाॅ. जीसी यादव ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा स्थानीय जिला प्रशासन को चारे की कमी के संदर्भ में सूचना देदी गयी है, दो-चार दिन के अन्दर यहां राजस्व की टीम भूसा वितरण का कार्य सम्पन्न करायेगी। बाढ़-आपदा के दौरान जिलाप्रशासन की ओर से प्रति जानवर को प्रतिदिन 5 किलो के हिसाब से भूसा दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश पशुचिकित्सा संघ ने की लेवी माफ करने की मांग
सरकारी रोस्टर के अनुसार इलाज व टीकाकरण के वक्त बड़े जानवर से 5 रूपये तथा छोटे जानवर से 2 रूपये लेवी शुल्क लिया जाता है, बाढ़ के दौरान जब जान बचाने और पेट भरने की आफत हो ऐसे में 5 या 2 रूपये जैसी छोटी रकम भी भारी लगने लगती है। उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा संघ के अध्यक्ष डा.राकेश कुमार ने स्थानीय जिला प्रशासन से बाढ़ के दौरान लेवी शुल्क माफ करने की अपील की है।
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