रिपोर्ट-एस.वी.सिंह उजागर। देशी मुर्गियों में गर्दन ऐंठने, मरोड़नेे, तारेे देखने और खाना छोड़ दोड़ देना एक गंभीर समस्या है। यह विषाणु जनित बीमारी है, यदि इसक लक्षण पोल्ट्री बर्ड्स में दिखाई दे तो तत्काल उसका इसका उपचार करायें। ऐसा न करने पर पोल्ट्री पालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह बात उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग में तैनात उपनिदेशक कुक्कुट रोग नियंत्रण डॉ. अनिल सोलंकी ने रत्नशिखा टाइम्स के साथ एक खास बात चीत में कही।
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इस बीमारी के दो प्रमुख कारण हैं
डॉ. सोलंकी के अनुसार पोल्ट्री बर्ड्स में उक्त बीमारी के दो प्रमुख कारण होते हैं।
पहला यदि फार्म में रानी खेत बीमारी आयी है तो मोर्टेलिटी के बाद बचे हुए पक्षियों में यह समस्या आ जाती है।
इस बीमारी का दूसरा कारण होता है, उन्हे पोषणयुक्त अहार न मिलने के कारण। डॉ. सोलंकी के अनुसार यदि देशी बर्ड्स में पोषणयुक्त अहार न मिलने के कारण भी यह समस्या आ जाती है।
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पोल्ट्री फार्मर रखें यह सावधानी
- डॉ. सोलंकी के अनुसार उक्त लक्षण दिखाई देने पर किसान पहले इन्फेक्टिड वर्ड्स केा दूसरे पक्षियों से अलग कर लें।
- फार्म में फीडिंग क्वालिटी में सुधार करें। तथा अवांछित लोगों के आवागमन पर रोंक लगायें।
- पानी का ट्रीटमेंट करें। देंखे कर्ही बर्ड्स के वर्तन गंदे तो नही हैं।
- यदि एक ब्लॉक निकाला जा चुका है है तो अगला ब्लॉक कम से कम 15 दिन के बाद ही फार्म की उचित साफ-सफाई और ट्रीटमेंट के बाद ही डालें।
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बीमारी होने पर यह करें उपचार
- रानीखेत और अन्य विषाणु जनित बीमारी से बचाव का प्रमुख उपाया वर्ड्स का वैक्सिीनेसान ही है। इस लिए उनका समय-’समय पर वैक्सिीनेशन कराते रहें।
- पहली वैक्सीन 5 से 7 दिनों के बीच, दुसरी 8 सप्ताह के बीच और इसके बाद 16 से 18 सप्ताह के बीच लगानी चाहिए।
- इसके अलावा लक्षण दिखाई देने पर मल्टी स्टार और विमरौल के नाम से बाजार में उपलब्ध दवा का 5 एमएल प्रति 100 बर्ड्स के हिसाब से पानी में घोलकर दें।
- एक सप्ताह तक यह उपचार करने पर पक्षियों की मोर्टेलिटी में कमी आ जाती है।
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लक्षण दिखाई देने पर पशुपालन विभाग को करें सूचित
डॉ. सोलंकी के अनुसार यदि किसी फार्म पर रानीखेत अथवा किसी अन्य विषाणु जनित बीमारी के लक्षण दिखाई दे तो वह किसान अपने जनपद को मुख्य पशुचिकित्साधिकारी से तत्काल संपर्क कर सकता है। विभाग की तरफ से उसे हर संभव उपचार संबन्धी सलाह मुहैया कराई जायेगी।
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