कृषि कानूनों की तरह ही खाद-बीज के बाजार को ई कॉमर्स कंपनियों के लिए खोले जाने विरोध भी शुरू हो गया है।
लखनऊ, (एस.वी.सिंह उजागर )। गांव-कस्बों के अंदर व्यापार कर रहे छोटे कृषि कारोबारियों पर जीविका छिन जाने का खतरा मंडराने लगा है। कृषि कानूनों को लेकर चारो तरफ से घिरी सरकार ने खाद बीज के बाजार को भी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए खोल दिया है। एमेजॉन जैसी दिग्गज ई कॉमर्स कंपनी ने एग्रीबिजनेस के नाम पर लगभग 73 लाख करोड़ के इस बाजार में एंट्री भी मार दी है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वयं एमेजॉन के किसान स्टोर का हाल ही में उद्घाटन किया है। वहीं कृषि कानूनों की तरह ही खाद-बीज के बाजार को ई कॉमर्स कंपनियों के लिए खोले जाने का विरोध भी शुरू हो गया है।
एमेजॉन इंडिया ने खाद-बीज, कीटनाशक और अन्य कृषि आधारित करीब आठ हजार उत्पादों की ऑनलाइन बेचना शुरू किया है। एमेजॉन ने इसके लिए अपने किसान स्टोर भी खोलना शुरू कर दिए हैं। ऐसे में गांव कस्बों में खाद बीज और कीटनाशक के छोटे व्यापारियों के धंधे चौपट होने की आशंका जताई जाने लगी है।
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गौरतलब है कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एमेजॉन के कृषि स्टोर को लेकर कहा है कि एमेजॉन इंडिया की यह पहल डिजिटल अर्थव्यवस्था के आधुनिक दौर में भारतीय किसानों को शामिल करने, कृषि उपज की उत्पादकता बढ़ाने, लाजिस्टिक्स उद्योग जैसी सेवाएं उपलब्ध कराने को लेकर किसानों तथा खेती-किसानी से जुड़े लोगों के लिए लाभकारी साबित होगी।
एमेजॉन कर रही दावा अग्रणी तकनीक कृषि उपज, फलों और सब्जियों की गुणवत्ता में सुधार लायेगी
वहीं एमेजॉन का दावा है कि उनके स्टोर्स से किसानों को आसानी से उनके दरवाज़े पर कृषि उपकरण, एक्सेसरीज, न्यूट्रिशन, उर्वरक, बीज, आदि जैसी वस्तुऐं किफायती दाम पर उपलब्ध होंगी। एमेजॉन इंडिया ने एग्रीकल्चर से जुड़े 8000 उत्पादों को अपनी ऑनलाइन बिक्री में शामिल किया है। एमेजॉन के मुताबिक अग्रणी तकनीक के माध्यम से भारतीय किसानों और कृषि समुदाय को सशक्त बनाएगा और उसकी इस पहल से कृषि उपज, फलों और सब्जियों की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
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जानकारों का मानना इस तरह होगा व्यवस्था का नुकसान
- खाद और बीज को ई कामर्स सेक्टर के हवाले करने से छोटे या कस्बाई दुकानदारों के सामने भुखमरी की समस्या बढ़ जायेगी।
- विभिन्न मान्यताओं वाले भारत देश में हर वर्ग की रोजी रोटी एक दूसरे के साथ जुड़ी होती है।
- बड़ी कंपनियां शुरूआत में बहुत कम मुनाफे पर या घाटे में व्यापार कर लेती हैं।
- जब बाजार से उनके प्रतिद्वंदी समाप्त हो जाते हैं तो फिर वहीं कंपनियां ऊंची कीमत में सामान बाजार में बेंचती हैं।
- सरसों के तेल, प्याज आदि ऐेसे कई उदाहरण हैं
- कॉरपोरेट कंपनियां डीलर व डिस्ट्रीबूटर के थ्रो बाजार में आतीं थी, जिससे व्यापार की एक चेन बनी हुई थी।
- इनके डायरेक्ट बाजार में उतरने से वह चैन समाप्त हो जायेगी।
- ई कॉमर्स कंपनियों का साइज इतना बड़ा है कि यहां का दुकानदार उससे किसी भी दशा में मुकाबला नही कर सकता।
- लोगों का मानना है कि किसानों को गुलाम बनाने की दिशा में काम शुरू हो चुका है जिसका असर बहुत जल्दी दिखने लग जायेगा।
- शहरों में पिज्जा बर्गर और तमाम जंक फूड की इंट्री भारतीय खान पान के मुकाबले इसी पैटर्न पर कर दी गयी।
- इस व्यवस्था के आने के बाद भारतीय खाने के व्यवसाय को लाखों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा।
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(अपील- राजधानी लखनऊ से प्रकाशित रत्नशिखा टाइम्स, समाचार पत्र व पोर्टल कृषि व किसानों से संबन्धित मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहा है। देश वासियों से इस मिशन के साथ जुड़ने की अपील। अपने क्षेत्र की जन समस्याएं कृपया हमारे ईमेल- ratnashikhatimes@gmail.com पर प्रेषित करें। हम उसका प्रकाशन और प्रसारण दोनो करेंगे।
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