कॉमर्स स्ट्रीम वाले 11 वीं और 12 वीं के छात्रों के लिए करियर परामर्श
कभी सोचा कि पेप्सिको अध्यक्ष एमएस इंद्रनोई, आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन श्री कुमार मंगलम बिड़ला और आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ एमएस चंदाकोचर में क्या आम बात है? दूरदर्शी नेताओं और उनके संबंधित उद्योगों के विशेषज्ञ होने के अलावा, उनमें से तीनों ने कॉमर्स में डिग्री ली है. हां, आपने इसे सही पढ़ा है! कॉमर्स स्ट्रीम जिसे आम तौर पर ‘गैर-स्मार्ट’ छात्रों के स्ट्रीम के रूप में जाना जाता है, भी दुनिया के साथ साझा करने के लिए कुछ सफल कहानियों का संग्रह अपने हिस्से में रखता है. वास्तव में, जब प्रोफेशनल कोर्सेज की बात आती है, तो छात्रों को उपलब्ध कई प्रोफेशनल करियर विकल्पों सहित सूची में शीर्ष पर कॉमर्स अवश्य दिखाई देता है.
इसलिए, यदि आप अपने हाईस्कूल के दौरान कॉमर्स स्ट्रीम लेने पर विचार कर रहे हैं, तो आपको अंतिम निर्णय लेने से पहले इससे जुड़े कुछ पहलुओं को अवश्य देखना चाहिए. आपकी मदद करने के लिए, प्रमुख विषयों और डोमेन समेत कॉमर्स स्ट्रीम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी और विवरण, आगे का अध्ययन क्षेत्र और करियर के अवसर आदि को नीचे सूचीबद्ध किया गया है.
कॉमर्स स्ट्रीम से जुड़े पूर्वाग्रह
आम तौर पर कॉमर्स स्ट्रीम को लेकर अधिकांश माता पिता तथा अभिभावक एक महान पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं तथा वे यह सोचते हैं कि कॉमर्स स्ट्रीम केवल ‘गैर-स्मार्ट’ छात्रों के लिए ही उपयुक्त है.
इसके अतिरिक्त टेक्नीकल और रिसर्च प्रवृति वाले स्टूडेंट्स के लिए साइंस तथा सैद्धांतिक अध्ययन और परफॉरमिंग आर्ट्स में रूचि रखने वाले छात्रों के लिए आर्ट्स विषय को उपयुक्त बताया जाता है. लेकिन कॉमर्स स्ट्रीम को उन छात्रों के लिए सही बताया जाता है जो ‘क्रंचिंग नंबर’ के साथ सहज हैं और भविष्य में एकाउंटेंट बनना चाहते हैं. इसीलिए कई छात्रों का ऐसा मानना है कि अन्य स्ट्रीम्स की तुलना में कॉमर्स स्ट्रीम के तहत अध्ययन का दायरा बहुत सीमित है. लेकिन यह एक आम बात है और इसे कॉमर्स या किसी अन्य स्ट्रीम्स के विषय में अक्षरशः सही नहीं कहा जा सकता है.कॉमर्स स्ट्रीम लेने वाले छात्रों के लिए कुछ विषयों तथा स्पेशलाइजेशन एवं स्टडी ऑप्शन की एक विस्तृत श्रृंखला पर आगे विस्तार से चर्चा की गयी है.
मुख्य विषय / सब-डोमेन
कॉमर्स स्ट्रीम्स से जुड़े पूर्वाग्रह के बावजूद भी पिछले कुछ दशक से इस विषय की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ रही है. बढ़ती अर्थव्यवस्था,प्रोफेशनल करियर का सुनहरा अवसर तथा उच्च स्कोरिंग की वजह से हाई स्कूल या उसके बाद इस सब्जेक्ट को लेने की प्रवृति छात्रों में बढ़ी है. पहले यह स्ट्रीम अकाउंटेंसी और अर्थशास्त्र से संबंधित कुछ विषयों तक ही सीमित था लेकिन आज इसके अंतर्गत कई विषयों का अध्ययन किया जा रहा है. उनमें से कुछ हैं –
अर्थशास्त्र (इकोनोमिक्स)
एक कॉमर्स स्ट्रीम वाले छात्र को कई वित्तीय और आर्थिक अवधारणाओं से रूबरू होना पड़ता है.11 वीं तथा 12 वीं कक्षा के दौरान छात्रों को मुखतः अर्थशास्त्र, भारतीय आर्थिक विकास, सांख्यिकी, सूक्ष्म अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र आदि का अध्ययन छात्रों को करना होता.इसके अतिरिक्त अर्थशास्त्र में बहुत अच्छा करने के लिए इस विषय की एक वैचारिक समझ विकसित करना और समस्याओं और न्यूमेरिकल्स का अभ्यास करना बहुत जरुरी होता है.
अंग्रेज़ी
प्रत्येक स्ट्रीम की तरह कॉमर्स स्ट्रीम में भी एक अनिवार्य भाषा के रूप में अंग्रेजी विषय को पढ़ना पड़ता है. कॉमर्स स्ट्रीम में जो अंग्रेजी छात्र सीखते हैं वह अन्य स्ट्रीम्स के अंग्रेजी से काफी अलग होता है तथा उसमें मुख्य रूप से व्याकरण, वाक्यविन्यास और शब्दावली विकास सहित भाषा की मूलभूत बातें पर ध्यान केंद्रित करना होता है. इसके अलावा छात्र बिजनेस कम्युनिकेशन और अन्य पहलुओं को भी सीखते हैं.
अकाउंटेंसी (लेखाकर्म)
अकाउंटेंसी कॉमर्स स्ट्रीम का एक मुख्य विषय है और यह हाईस्कूल शिक्षा के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह विषय अकाउंटेंसी की मूलभूत बातें और इसकी सैद्धांतिक प्रक्रिया और फायनेंसियल एकाउंटेंसी, लेखा मानक अकाउंटिंग स्टैण्डर्ड, जीएसटी, व्यापार लेनदेन की रिकॉर्डिंग और इसी तरह के 11 वीं के कॉन्सेप्ट पर फोकस करता है. कक्षा 12 वीं में छात्रों को गैर-लाभकारी संगठनों के लिए एकाउंटेंसी,पार्टनरशिप फर्म्स,कम्पनियों के नकद प्रवाह विवरण और वित्तीय विवरणों का विश्लेषण तथा कंप्यूटराइज अकाउंटिंग का अध्ययन करना पड़ता है.
बिजनेस स्टडीज / ऑर्गेनाइजेशन ऑफ कॉमर्स
बिजनेस स्टडीज या कॉमर्स ऑर्गेनाइजेशन हाई स्कूल के दौरान कॉमर्स स्टूडेंट्स के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय होता है. 11 वी कक्षा में इस विषय के अंतर्गत व्यावसायिक संगठनों के प्रकार, उभरते व्यावसायिक मॉडल, इंडस्ट्री के प्रकार, सामाजिक जिम्मेदारी और बिजनेस एथिक्स, व्यापार वित्त के स्रोत, छोटे व्यवसाय, आंतरिक व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रकृति और उद्देश्य आदि का अध्ययन किया जाता है. कक्षा 12 वीं में मैनेजमेंट प्रिंसिपल्स,बिजनेस एनवायरमेंट,प्लानिंग, स्टाफिंग, ऑर्गेनाइजेशन, कंट्रोल, फायनांस मार्केट, फायनेंसियल मैनेजमेंट, मार्केटिंग मैनेजमेंट और उपभोक्ता संरक्षण आदि का गहन अध्ययन करना पड़ता है.
मैथमेटिक्स
मैथमेटिक्स कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए एक वैकल्पिक विषय होता है लेकिन यदि छात्र कोर एकाउंटेंसी या इसी तरह के डोमेन में करियर बनाना चाहते हैं तो यह बहुत महत्वपूर्ण है. कॉमर्स स्ट्रीम के मैथ्स में रिलेशंस एंड फंक्शन्स,अलजबरा,कैलकुलस, लाइनर,प्रोग्रामिंग,प्रोबेबिलिटी,वेक्टर और मैट्रिक्स का अध्ययन किया जाता है.
इन्फॉर्मेशन प्रैक्टिसेज
इन्फॉर्मेशन प्रैक्टिसेज कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए एक वैकल्पिक विषय होता है जिसे अपनी रूचि के अनुसार छात्र चुनते हैं. इस सब्जेक्ट में कंप्यूटिंग और डेटाबेस मैनेजमेंट की मूल बातें बताई जाती है. इसके अतिरिक्त इसमें बिजनेस कंप्यूटिंग थियरी, प्रोग्रामिंग और रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम जैसे विषयों पर फोकस किया जाता है.
आगे के अध्ययन का दायरा (स्कोप)
एक आम सवाल जो अधिकांश छात्रों को कॉमर्स स्ट्रीम से छात्रों को दूर रखता है वह यह है कि इस स्ट्रीम में आगे के अध्ययन का दायरा काफी सीमित है. हालांकि, ये केवल एक अटकलें है और शायद दूर के अतीत में सच हो सकती हैं. लेकिन आज इस स्ट्रीम का महत्व अन्य दो स्ट्रीम आर्ट्स तथा साइंस के बराबर ही है.
डिग्री लेवल कोर्सेज
कॉमर्स स्ट्रीम से 12 वीं पास करने के बाद छात्र डिग्री लेवल कई उपलब्ध कोर्सेज में से किसी एक चयन कर सकते हैं. मुख्य कोर्सेज का विवरण निम्नवत है-
बी.कॉम
ब.कॉम से अभिप्राय है बैचलर ऑफ कॉमर्स. कॉमर्स विषय के साथ 12 वीं कक्षा पास करने के बाद इस कोर्स का चयन किया जा सकता है. यह एक तीन वर्षीय डिग्री लेवल कोर्स है. इसके अंतर्गत एकाउंटिंग और फायनांस के फंडामेंटल प्रिंसिपल्स आदि का अध्ययन कराया जाता है. इस कोर्स के मुख्य विषय हैं
- इंटरप्रेन्योरशिप
- कॉर्पोरेट एकाउंटिंग
- बिजनेस रेगुलेटरी फ्रेमवर्क
- अर्थशास्त्र
- कंप्यूटर एप्लीकेशन एंड आईटी
- आयकर
- ऑडिटिंग
- ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट
- स्टेटिक्स
- बैंकिंग और बीमा
- कंपनी लॉ
- बिजनेस कम्युनिकेशन
- मैनेजमेंट एकाउंटिंग
- मार्केटिंग
- मैथमेटिक्स
- बिजनेस एनवायरमेंट
बीबीए / बीएमएस
यदि आप मैनेजमेंट या एमबीए करना चाहते हैं तो आप 12 वीं करने के बाद बीबीए या बीएमएस करना सबसे सही ऑप्शन रहेगा. बैचलर ऑफ बिज़नस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) / बैचलर ऑफ मैनेजमैंट स्टडीज (बीएमएस) डिग्री लेवल के कोर्सेज हैं. इसे छात्रों को मैनेजमेंट की सही समझ प्रदान करने के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है. बहुत सारे कॉलेज 12 वीं के स्कोर/ मेरिट के आधार पर प्रवेश प्रदान करते हैं. लेकिन कुछ कॉलेज ऐसे भी हैं जहाँ एडमिशन उसके एंट्रेंस एग्जाम के मार्क्स के आधार पर ही होता है.
बीए + एलएलबी
यदि आप कानून या कानूनी अध्ययन में रूचि रखते हैं, तो एक एकीकृत पांच साल का प्रोग्राम यानी बीए + एलएलबी आपके लिए सहीरहेगा. एकीकृत कार्यक्रम में छात्रों द्वारा चुने गए विषय या स्पेशलाइजेशन में पहले तीन वर्षों के दौरान अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री कोर्स को कवर करते हैं और अंतिम दो वर्षों के दौरान, वे कानूनी अध्ययन या उससे जुड़े प्रोग्राम पर फोकस करते हैजं. यह कॉमर्स के उन छात्रों के लिए एक और दिलचस्प अध्ययन विकल्प है जो कानून और उनके संबंधित क्षेत्रों जैसे कॉर्पोरेट कानून, कराधान कानून और संबद्ध डोमेन में अपना करियर बनाना चाहते हैं.
बीबीए + एलएलबी
बीए + एलएलबी कोर्सेज के समान, बीबीए + एलएलबी कोर्सेज भी एक एकीकृत चार वर्षीय प्रोग्राम है,जिसके अंतर्गत ग्रेजुएशन लेवल की पढ़ाई के साथ साथ कानून की भी पढ़ाई की जाती है. ऐसे छात्र जो कार्पोरेट कम्पनियों में लीगल कंसल्टेंट बनना चाहते हैं या फिर लीगल क्लाइंट के साथ अपना खुद का प्रैक्टिस करना चाहते हैं वे यह कोर्स कर सकते हैं.
बीसीए
आजकल हर जगह कंप्यूटर तथा टेक्नोलॉजी का बोलबाला है. इनके बिना जीवन असंभव सा हो गया है.इसलिए बीसीए या बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन लेना छात्रों के लिए एक उज्ज्वल करियर की सही शुरुआत हो सकता है. बीसीए कोर्स एक तीन साल का डिग्री लेवल कोर्स है. इसके अंतर्गत कोडिंग और कंप्यूटर एप्लीकेशन डेवेलपमेंट का अध्ययन कराया जाता. जिन छात्रों में मैथ्स सब्जेक्ट्स के साथ 12 वीं कक्षा पास की हो वे बीसीए कोर्स कर सकते हैं.
प्रोफेशनल कोर्सेज
कॉमर्स स्ट्रीम छात्रों के पास कई प्रकार के प्रोफेशनल कोर्सेज जो उनके एकेडमिक और प्रोफेशनल भविष्य को आकार दे सकते हैं,को करने की सुविधा भी है.
कक्षा 12 कॉमर्स स्ट्रीम से पूरा करने के बाद छात्रों के लिए कई प्रोफेशनल कोर्सेज उपलब्ध हैं. उनमें से प्रमुख हैं :
चार्टर्ड एकाउंटेंसी (सीए)
भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा प्रदान की गई, चार्टर्ड एकाउंटेंसी की डिग्री कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के बीच सबसे लोकप्रिय प्रोफेशनल कोर्स है. एक प्रोफेशनल कोर्स होने के नाते, यह छात्रों के लिए कई करियर के अवसर प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त स्व-रोजगार या सेल्फ प्रैक्टिस से एक स्वतंत्र सीए या प्रमुख भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों, स्थानीय और विदेशी बैंकों और लेखा परीक्षा फर्मों में सीए के रूप में अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं.
जहां तक कोर्स स्ट्रक्चर का सवाल है, चार्टर्ड एकाउंटेंसी कोर्स में निम्नलिखित मॉड्यूल शामिल हैं:
मॉड्यूल 1: सीपीटी – सामान्य प्रवीणता परीक्षा (कॉमन प्रोफिसीएंसी टेस्ट):
इस परीक्षा में प्रमुख विषयों जैसे अकाउन्ट्स का ज्ञान शामिल हैं
- अर्थशास्त्र
- मैथमेटिक्स
- स्टेटिस्टिक्स
- मर्केंटाइल लॉ
मॉड्यूल 2: आईपीसीटी – एकीकृत पेशेवर योग्यता पाठ्यक्रम (इंटिग्रेटेड प्रोफेशनल कॉम्पीटेन्सी कोर्स)
इस कोर्स में दो भाग हैं और ये विभिन्न विषयों को शामिल करते हैं
भाग 1 में शामिल है:
- अकाउंट्स
- लॉ
- कॉस्टिंग एंड फायनेंसियल मैनेजमेंट
- टैक्सेशन
भाग 2 में शामिल हैं:
- एडवांस एकाउंटिंग
- ऑडिटिंग एंड एश्योरेंस
- इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
- स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट
मॉड्यूल 3: आर्टिकलशिप / ट्रेनिंग
इस मॉड्यूल में सीए कोर्स करने वाले छात्रों को एक प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड एकाउंटेंट के अंडर इंटर्नशिप करनी होगी.
छात्र इस प्रशिक्षण के दौरान एक पेशे के रूप में चार्टर्ड एकाउंटेंसी से संबंधित व्यावहारिक पहलुओं को सीख सकते हैं.
मॉड्यूल 4: सीए अंतिम परीक्षा
एक सर्टिफाइड प्रोफेशनल चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के लिए चौथा और अंतिम मॉड्यूल को क्लियर करना होता है.सीए अंतिम परीक्षा में 8 विषयों को शामिल किया गया है जो दो समूहों में विभाजित हैं. दोनों समूहों के अंतर्गत शामिल विषयों का विस्तृत विवरण नीचे उपलब्ध है :
सीए : फाइनल एग्जाम ग्रुप 1
- फायनेंसियल रिपोटिंग
- स्ट्रेटेजिक फायनेंसियल मैनेजमेंट
- एडवांस ऑडिटिंग एंड प्रोफेशनल एथिक्स
- कॉर्पोरेट कानून और अलाइड लॉ (दो खंड शामिल हैं)
धारा ए : कंपनी लॉ
धारा बी: अलाइड लॉ
सीए : फाइनल एग्जाम ग्रुप 2
- एडवांस मैनेजमेंट एकाउंटिंग
- इन्फॉर्मेशन कंट्रोल एंड ऑडिट
- डाइरेक्ट टैक्स लॉ
इनडाइरेक्ट टैक्स लॉ (तीन खंड शामिल हैं)
- धारा ए : केंद्रीय उत्पाद शुल्क
- धारा बी : सेवा कर और वैट
- धारा सी : सीमा शुल्क
कंपनी सचिव (कंपनी सेकरेट्री)
कक्षा 12 की परीक्षा पूरी होने के बाद कंपनी सचिव कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों के लिए एक और लोकप्रिय कोर्स है. यह प्रोफेशनल कोर्स आईसीएसआई द्वारा तीन चरण के परीक्षा प्रारूप में पेश किया जाता है.
चरण 1: फाउंडेशन प्रोग्राम
योग्यता : कक्षा 12/10 + 2 या समकक्ष (ललित कला छात्रों को छोड़कर)
मुख्य मॉड्यूल:
- बिजनेस एनवायरनमेंट एंड लॉ
- बिजनेस मैनेजेमेंट एथिक्स एंड इंटरप्रेन्योरशिप
- बिजनेस इकोनोमिक्स
- फंडामेंटल्स ऑफ ऑडिटिंग एंड एकाउंटिंग
चरण 2: कार्यकारी कार्यक्रम (एक्सक्यूटिव प्रोग्राम)
योग्यता: स्नातक (ललित कला छात्रों को छोड़कर)
मुख्य मॉड्यूल:
- न्यायशास्र, व्याख्या और सामान्य कानून
- कंपनी लॉ
- व्यापार संस्थाओं की स्थापना और उसकी समाप्ति
- टैक्स लॉ
चरण 3: प्रोफेशनल प्रोग्राम
पात्रता: एक्स्क्यूटिंग प्रोग्राम को क्लियर करना
मुख्य मॉड्यूल:
- कॉर्पोरेट और मैनेजमेंट एकाउंटिंग
- प्रतिभूति कानून और पूंजी बाजार
- इकोनिमिक, बिजनेस एंड कॉमर्शियल लॉ
- फायनेंसियल एंड स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट
लागत और प्रबंधन लेखाकार (कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटेंट,सीएमए)
लागत और प्रबंधन लेखाकार एक और प्रोफेशनल कोर्स है जिसे कॉमर्स स्ट्रीम के छात्रों द्वारा किया जा सकता है. इस प्रोग्राम को भारत के कॉस्ट एकाउंटिंग इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित किया जाता है और इसे तीन चरणों में विभाजित किया गया है-
- फाउंडेशन
- इंटरमीडिएट
- फाइनल
इस प्रोग्राम के पूरा होने के बाद, आप एक सर्टिफाईड कॉस्ट एकाउंटेंट होंगे. एक सर्टिफाईड कॉस्ट एकाउंटेंट की प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
- कॉस्ट एकाउंट रिकॉर्ड बनाए रखना
- कॉस्ट एकाउंट की योजना
- कॉस्ट ऑडिटिंग
कई बड़ी कंपनियां, उद्योग और निगम उत्पादन या परिचालन लागत की लागत का प्रबंधन करने के लिए सीएमए को हायर करते हैं. सीएमए आउटपुट या उत्पादन को प्रभावित किए बिना किसी प्रबंधित तरीके से लागत में कटौती करके कंपनी की को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है.
प्रमाणित वित्तीय योजनाकार ( सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर,सीएफपी)
यदि पर्सनल फायनेंस और वेल्थ मैनेजमेंट में आपकी रूचि है तो सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर बनना छात्रों लिए सही करियर विकल्प साबित होगा. कॉमर्स स्ट्रीम वाले स्टूडेंट्स पहले से ही अपने प्रारंभिक सिलेबस के अंतर्गत टैक्सेसन पॉलिसी,इन्वेस्टमेंट की मुलभूत बातें और जनरल अवेयरनेस आदि का अध्ययन कर चुके होते हैं और इसलिए उन्हें सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर का कोर्स करने तथा उन्हें एक सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर बनने में बहुत उपयोगी साबित होता है.
एक प्रमाणित वित्तीय योजनाकार (सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर) बनने के लिए, छात्रों को वित्तीय योजना मानक बोर्ड (फायनेंसियल प्लानिंग स्टैण्डर्ड बोर्ड ऑफ इंडिया,एफपीएसबीआई) से प्रमाण पत्र प्राप्त करना जरुरी होता है. फायनेंसियल प्लानिंग स्टैण्डर्ड बोर्ड ऑफ इंडिया कॉमर्स स्ट्रीम वाले छात्रों को फायनेंसियल प्लानिंग, पर्सनल फायनेंसियल एडवाइजरी प्रैक्टिसेज,टैक्सेशन,रिस्क मैनेजमेंट तथा अन्य विषयों के आर्ट और साइंस का सम्पूर्ण ज्ञान प्रदान करने तथा सही प्रशिक्षण के उद्देश्य से एक टेक्नीकल प्रोग्राम ऑफर करता है.
सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर का कोर्स मुख्यतः 6 मॉड्यूल में विस्तृत है और प्रत्येक मॉड्यूल के लिए परीक्षा ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित की जाती है और एमसीक्यू / मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चन स्टाइल पैटर्न पर सवाल पूछे जाते हैं. सर्टिफाइड फायनेंसियल प्लानर के स्टडी मॉड्यूल में निम्नांकित विषय शामिल हैं
- वित्तीय योजना का परिचय ( इंट्रोडक्शन टू फायनेंसियल प्लानिंग)
- जोखिम विश्लेषण और बीमा योजना (रिस्क एनालिसिस एंड इंश्योरेंस प्लानिंग)
- सेवानिवृत्ति योजना और कर्मचारी लाभ (रिटायरमेंट प्लानिंग एंड एम्प्लोयी बेनिफिट्स)
- निवेश योजना (इन्वेस्टमेंट प्लानिंग)
- कर योजना और एस्टेट योजना (टैक्सेशन प्लानिंग एंड एस्टेट प्लानिंग)
- अग्रिम वित्तीय योजना (एडवांस फायनेंसियल प्लानिंग)
इस प्रकार हम देखते हैं कि किसी भी एंगल से कॉमर्स स्ट्रीम को साइंस स्ट्रीम के वनिस्पत कम आंकना सही नहीं है. इस विषय से पढ़ाई करने के बाद छात्रों का भविष्य उज्जवल है तथा वे अपनी मनचाही लाइफस्टाइल को अपनाकर अपनी जिन्दगी खुशहाल तरीके से जी सकते हैं.