औरैया। जनपद के जमौली गांव में एक बार फिर से अन्नदाता के ऊपर बाढ़ की आफत टूट पड़ी है। बीते तीन रोज से लगातार हो रही बारिस से पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया जिससे किसानों की तैयार सब्जियों की फसल का भारी नुकसान हुआ है। (TW: but, so and because, and)
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आर्थिक तौर पर पिछड़े जमौली गांव के ज्यादातर किसान 12हो मास सब्जियां उगाकर अपने परिवार का पेट पालते है। अति लघु श्रेणी के काश्तकारों के पास जमीन कम होने की वजह से जीवन यापन का सब्जी उत्पादन ही बेहतर जरिया है। (TW: but, so and because, and)
पहले सूखा फिर बाढ़ ले डूबी किसानों को
पहले सूखा ने इनकी कमर तोड़ी जैसे-तैसे ट्यूबवेल की मदद से किसानों ने धान की नर्सरी तैयार की लेकिन रोपाई का समय आने से पूर्व ही बाढ़ ने सबकुछ नस्ट कर दिया। धान की नर्सरी तो खराब हुई सब्जियों की फसल भी नस्ट हो गयी, जिससे उनका साल भर गुजारा चलता था। हमारे किसान संवाददाता के अनुसार गांव की शत-प्रतिशत फसल बर्वाद हो चुकी है। कुछ समय पश्चात यहां के किसानों और जानवरों के सामने भोजन और चारे की बड़ी समस्या उत्पन्न हो जायेगी। (TW: but, so and because, and)
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जल निकासी की व्यवस्था न होना जलभराव का है सबसे बड़ा कारण
मेरा गांव मेंरी खबर के संवादाता के अनुसार यहां इस मौसम में हर साल भारी मात्रा में जल भराव हो जाता है। हलांकि जल निकासी के लिए सरकारी नाला है मगर वर्षों से इसकी झड़ाई और सफाई नही हुई।
एक बार यदि पानी भर गया तो सीजन खत्म होने के बाद ही निकल पाता है। जिसकी वजह से किसान गेहूं की फसल लेट बो पाता है। यहां के किसानों ने कई बार इस बात की जानकारी वहां के कृषि अधिकारियों व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। (TW: but, so and because, and)
बम्बा है लेकिन उसका किसानों को नही मिल पाता लाभ
हालांकि जमौली गांव यहां से गुजरने वाली छोटी नहर (बम्बा) के किनारे बसा है, लेकिन उसका पानी वहां के कुछ ही किसानों के काम आता है। इसके पीछे की वजह हमारे संवाददाता ने नालियों का खत्म हो जाना बताया है। संवाददाता के अनुसार उस क्षेत्र में खेतों तक पानी ले जाने वाली नालियां खत्म हो गयी है। राजस्व विभाग ने कभी इस बात का संज्ञान नही लिया। पूर्ववर्ती सरकार ने आमपासी की व्यवस्था समाप्त कर दी थी तो राजस्व विभाग ने सिचाई के इन महत्वपूर्ण माध्यमों की ओर भी ध्यान देना बंद कर दिया। हालांकि आज से 25-30 साल पहले इसे बम्बे से क्षेत्र की सिंचाई होती है। (TW: but, so and because, and)
हमेशा लाइम लाइट में रहा है यह गांव
तमाम दिक्कतों के बावजूद औरैया जनपद के भागनगर ब्लाक का यह गांव हमेशा लाइम लाइट में रहा है। यूएमपाॅवर प्लांट ने ऊर्जा प्लांट लगाने के नाम पर यहां के किसानों की जमीनों पर पहले है अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। प्लास्टिक सिटी के नाम पर यहां के आस-पास के मजरों की बेशकीमती जमीनों पर पहले प्राईवेट व सरकारी योजनाओं का कब्जा हो चुका है। यहां लगने वाला ब्रह्मदेव का मेला 100 कोस तक ख्याति हासिल किये है। (TW: but, so and because, and)
कृषि मंत्री घर का फिर भी नही सुनते अधिकारी
- गौरतलब है कि सूबे के कृषि राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत दिबियापुर विधानसभा से पहली बार चुनकर आये और पहली ही बार में मंत्री बन गये तब ग्रामीणों के दिल उम्मीद जगी थी कि शायद अब उनके दिन बहुंरेगे। लेकिन ”दिया तले अंधेरे‘ वाली कहावत यहां बिल्कुल सटीक बैठती है। (TW: but, so and because, and)
- प्रधानमंत्री फसल बीमा, मंडी कानून और एमएसपी पर अनाज बेचने जैसी सुविधाओं से यहां का 99 फीसद किसान महरूम है। बताया जा रहा है जिस समय भाषण बारिश हुई कृषि मंत्री उस दौरान औरैया जनपद में ही थे, वह प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे। (TW: but, so and because, and)
समाचार लिखे जाने तक कृषि विभाग या राजस्व विभाग का कोई भी अधिकारी व कर्मचारी नुकसान या हालात का जायजा लेने क्षेत्र में नहीं पहुंचा था। (TW: but, so and because, and) - गांव के सब्जी उत्पादक किसान सर्वेश, सुभाष, कालिन्द्री, सती प्रसाद, जगराम, संग्राम, महेश, सुरजीत, समर सिंह, तेजसिंह, राजेन्द्र, शंकर, रविन्द्र, शिवनाथ आदि किसानों समेत 4 दर्जन से ज्यादा सब्जी उत्पादक किसानों की तैयार फसल पानी में डूब गयीं। किसानों की अब सारी उम्मीदें सूबे के कृषि राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत पर टिकीं है। देखने वाली बात होगी कि अन्नदाता की सुधि लेने योगी के मंत्री और अधिकारी कब जमौली गांव पहुंचते हैं।
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