published by Neha Bajpai
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के करीब 12 जिलों में तैनात करीब एक हजार सिपाहियों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2005 में नई पेंशन नीति लागू करने के आदेशों को चुनौती दी है और सरकार से पुरानी पेंशन बहाली की मांग की है।
उच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ ने सिपाहियों की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद केन्द्र सरकार,यूपी सरकार एवं पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों समेत डीजीपी मुख्यालय से चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायाधीश एस एस शमशेरी की खंडपीठ ने जय नारायण एवं शिव प्रताप सिंह द्वारा सैकड़ों सिपाहियों की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर दिया है। सिपाहियों की तरफ से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि केंद्र सरकार द्वारा पारित निर्णय के क्रम में यूपी सरकार द्वारा वर्ष 2005 में नई पेंशन योजना लाना संविधान के प्रावधानों के प्रतिकूल होने के कारण असंवैधानिक है । इस नीति को असंवैधानिक करार देने की कोर्ट में मांग की गई है । वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा कहा गया है कि सरकार की नई पेंशन स्कीम संविधान के अनुच्छेद 21,14,16 व 39 के विपरीत होने के कारण असंवैधानिक है ।
गौरतलब है कि मथुरा, आगरा, हापुड, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर नगर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर व बरेली में तैनात आरक्षियो ने यह याचिका दाखिल की है। इन आरक्षियो की नियुक्ति सपा शासनकाल में हुई थी। इनकी नियुक्ति को बाद में बसपा शासनकाल में निरस्त कर दिया गया था। इन आरक्षियो को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सेवा में पुनः बहाल किया गया था । ये सभी आरक्षी बहाली के बाद अपने भर्ती तिथि से काम कर रहे हैं ।
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ न देकर कानूनी भूल की है। नई पेंशन स्कीम में इन्हें शामिल करना गलत व असंवैधानिक है ।