लखनऊ, (एस.वी. सिंह उजागर)। आगामी सप्ताह में प्रदेश के पश्चिमी, पूर्वी, बुंदेलखण्ड एवं मध्य उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों मध्यम एवं हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए मौसम और कृषि वैज्ञानिकों की बैठक में किसानों कृषि प्रबन्धन के लिए विशेष गाइड लाइन जारी की गई।
क्रॉप वेदर ग्रुप की यह छठी बैठक थी जिसकी अध्यक्षता उ0प्र0 कृषि अनुसंधान परिषद महानिदेशक डा0 संजय सिंह ने की। उपकार के मीडिया प्रभारी वैज्ञानिक विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि माजूदा सत्र की यह छठी बैठक थी जिसमें मौसम परिवर्तन के विभिन्न चरणों पर चर्चा हुई।
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आगामी सप्ताह में मोसम की स्थिति
श्री तिवारी के अनुसार आगामी सप्ताह के सभी दिनों में पश्चिमी, पूर्वी, बुंदेलखण्ड एवं मध्य उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों में अनेक स्थानों पर हल्की/मध्यम वर्षा तथा प्रारंभ के दो दिनों (13 एवं 15 जुलाई ) में प्रदेश के उत्तरी तराई जनपदों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। जबकि अन्य दिनों में प्रदेश के सभी अंचलों के जनपदों में वर्षा की तीव्रता एवं क्षेत्रफलीय वितरण में आंशिक तौर पर कमी आने की संभावना है।
मौसम विभाग द्वारा जारी भीषण बिजली कड़कने और भारी वर्षा के मद्देनजर लखनऊ में कोई बाहर खुले में ना घूमे।लगभग आधा घंटा भीषण बिजली कड़कने की संभावना है। असुरक्षित भवनों व पेड़ो के संपर्क में आने से बचे। जनपदवासियों को अपने घरो मे रहने की सलाह दी जाती है। अपने घरों से न निकले। सतर्क रहें, सुरक्षित रहे – सूर्यपाल गंगवार, कलेक्टर लखनऊ।
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किसानों के लिए ये हैं मुख्य संस्तुतियां
- जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई है उन क्षेत्रों में कृषक दलहनी, तिलहनी व श्री अन्न फसलों की बुवाई प्राथमिकता के आधार पर करें।
- दलहनी फसलों का बीज यदि उपचारित नहीं है तो संस्तुति अनुसार उपचारित कर फसल के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य उपचारित करें।
- धान की रोपाई हेतु मौसम अनुकूल है अतः कृषक रोपाई का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण करें।
- धान की ‘‘डबल रोपाई या सण्डा प्लाटिंग’’ हेतु दूसरी रोपाई पुनः पहले रोपे गये धान के 03 सप्ताह बाद 10 ग 10 से.मी. की दूरी पर करें।
- रोपाई वाले खेत में 1 फीट ऊॅंची मेढ़ बनाएं ताकि वर्षा जल संचित कर लाभ लिया जा सके।
- धान की रोपाई हेतु खेत की तैयारी के समय 25 कि.ग्रा./हे. दर से जिंक सल्फेट डालें।
- धान की तैयार पौध की रोपाई जहां तक संभव हो 4 ग्रा. ट्राईकोडर्मा प्रति लीटर पानी की दर से अथवा 1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर उपचारित करें।
- कीटनाशकों व कृषि रसायनों का प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विभाग के अधिकारियों के परामर्श से ही करें।
- रोपाई के बाद जो पौधे मर गये हो उनके स्थान पर दूसरे पौधे तुरंत लगा दे, ताकि प्रति इकाई पौधों की संख्या कम न होने पायें।
- पलेवा करके ड्रम सीडर से धान की शीघ्र पकने वाली किस्मों की 50 से 55 कि.ग्रा. प्रति हे. बीज की दर से बुवाई करें।
- धान की 20-25 दिन वाली पौध की रोपाई प्रत्येक वर्गमीटर में 50-55 हिल तथा 2-3 पौधा प्रति हिल 3-4 सेमी. की गहराई तक करें।
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आकाशीय बिजली गिरने की संभावना
प्रदेश के सभी अंचलों में वर्षा के दौरान आकाशीय बिजली गिरने की संभावना के दृष्टिगत लोगों को जागरूक रहने तथा वर्षा के दौरान पेड़ों, टीन शेड, विद्युत पोलों आदि से दूर रहने तथा अपने मोबाइल में सचेत ऐप इंस्टाल करने पर सचेतक अलार्म बजने पर अपने को सुरक्षित करें।
ज्वार व बाजरा की इन किश्मों की करें बुआई
बाजरा की संकुल किस्मों घनशक्ति, डब्लू.सी.सी.-75, आई.सी.एम.बी.-155, आई.सी.टी.पी.-8203, राज-171 तथा न.दे.पफ.बी.-3 तथा संकर किस्मों 86 एम 84, पूसा-322, आई.सी.एम.एच.-451 तथा पूसा-23 की बुवाई करें।
ज्वार की संकुल प्रजातियों यथा एस.पी.बी.-1388 (बुन्देला), सी.एस.बी.-15, वर्षा, विजेता व सी.एस.बी.-13 तथा संकर प्रजातियों सी.एस.एच.-23, 13, 18, 14, 9, 16 की बुवाई यदि अभी तक नहीं की है तो यथा शीघ्र समाप्त करें।
सावां की किस्मे-
आई.पी.एम.-151, आई.पी.-149, यू.पी.टी.-8, आई.पी.एम.-100, आई.पी.एम.-148 आई.पी.एम.-97 की बुवाई यथाशीघ्र समाप्त करें।
कोदों की किस्में-
यथा जी.पी.वी.के.-3, ए.पी.के.-1, जे.के.-2, जे.के.-62, वम्बन-1 व जे.के.-6 की बुवाई करें।
मूंग की किस्में-
आजाद मूंग-1, पूसा-1431, मेहा 99-125, एम.एच.-2.15, टी.एम.-9937, मालवीय, जनकल्याणी, मालवीय, जनचेतना, मालवीय जनप्रिया, मालवीय जागृति, मालवीय ज्योति, पंत मूंग 4, नरेन्द्र मूंग-1, पी.डी.एम.-11,आशा की बुवाई करें।
उर्द की किस्में-
शेखर-1, शेखर-2, शेखर-3, आई.पी.यू.-94-1, नरेन्द्र उर्द-1, पंत उर्द-9, पंत उर्द-8, आजाद-3, डब्लू.बी.यू.-108, पंत उर्द-31, आई.पी.यू.-2-43 की बुवाई करें।
गन्ने में बेधक कीटों के नियंत्रण
2.5 कार्ड /हेक्टेयर ट्राइकोग्रामा का उपयोग करें।
गन्ने में पोक्का बोइंग को नियंत्रित करने के लिये कापर आक्सीक्लोराइड 0.2 प्रतिशत अर्थात 100 लीटर पानी में 200 ग्राम की दर से अथवा वावस्टीन 0.1 प्रतिशत की दर से अर्थात 100 लीटर पानी में 100 ग्राम की दर से 15 दिन के अंतराल पर करें।
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