लखनऊ, (एस.वी.सिंह उजागर)। मौसम विभाग ने आगामी सप्ताह को लेकर वर्षा का अनुमानित शेड्यूल बुधवार को जारी किया। क्रॉप वेदर वॉच गु्रप की वर्ष 2023-24 की पंचम बैठक उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. संजय सिंह, की अध्यक्षता में 05 जुलाई, को सम्पन्न हुई।
प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य के देखते हुए किसानों को अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए किन सावधानियों को अपनाना चाहिए इस पर गहन चर्चा हुई।
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उत्तर प्रदेश के ज्यादातर अंचलों में पिछले सप्ताह से मानसून पूर्ण रूप से सक्रिय है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी सप्ताह में पश्चिमी, बुंदेलखण्ड व मध्य उत्तर प्रदेश के सभी अंचलों में ज्यादातर स्थानों पर हल्की एवं मध्यम वर्षा का दौर जारी रहने की संभावना है, वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ अंचलों (विशेषकर विंघ्यांचल, गोरखपुर एवं अयोध्या) के कुछ जनपदों में 6 व 7 जुलाई, को वर्षा के तीव्रता में आंशिक कमी आने की संभावना है।
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मैसम वैज्ञानिकों के अनुसार 08 जुलाई, से पुनः वर्षा की तीव्रता में वृद्धि होना आरंभ हो जायेगी। इन सभी क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा का क्रम पूरे सप्ताह जारी रहने की संभावना है।
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वैज्ञानिकों की ओर से मुख्य संस्तुतियां
- धान की रोपाई हेतु मौसम अनुकूल है अतः कृषक रोपाई का कार्य यथाशीघ्र पूर्ण करें।धान की ‘‘डबल रोपाई या सण्डा प्लाटिंग’’ हेतु तीन सप्ताह की अवधि के पौधे की प्रथम रोपाई 20 ग 10 से.मी. एवं दूसरी रोपाई पुनः पहले रोपे गये धान के 03 सप्ताह बाद 10 ग 10 से.मी. की दूरी पर करें।
- पलेवा करके ड्रम सीडर से धान की शीघ्र पकने वाली किस्मों की 50 से 55 कि.ग्रा. प्रति हे. बीज की दर से बुवाई करें।
- रोपाई के बाद जो पौधे मर गये हो उनके स्थान पर दूसरे पौधे तुरंत लगा दे, ताकि प्रति इकाई पौधों की संख्या कम न होने पायें।
- धान की 20-25 दिन वाली पौध की रोपाई प्रत्येक वर्गमीटर में 50-55 हिल तथा 2-3 पौधा प्रति हिल 3-4 सेमी. की गहराई तक करें।
- रोपाई वाले खेत में 1 फीट ऊॅंची मेढ़ बनाएं ताकि वर्षा जल संचित कर लाभ लिया जा सके।
- रोपाई हेतु खेत की तैयारी के समय 25 कि.ग्रा./हे. दर से जिंक सल्फेट डालें।
- पौध की तैयार पौध की रोपाई जहां तक संभव हो 4 ग्रा. ट्राईकोडर्मा प्रति लीटर पानी की दर से अथवा 1 ग्रा. कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर उपचारित करें।
- अरहर, मूंगफली एवं तिल की बुआई प्राथमिकता के आधार पर करें।
- कीटनाशकों व कृषि रसायनों का प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों या कृषि विभाग के अधिकारियों के परामर्श से ही करें।
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गन्ना किसानों के लिए सलाह
- गन्ने की लंबाई पांच फुट हो गई हो तो ढ़ाई फुट की ऊॅंचाई पर प्रथम बॅधाई करें।
- प्रथम बॅधाई हेतु गन्ने को लाइनों में एक लाइन के दो झुण्डों को एक साथ नीचे की सूखी पत्तियों से बॅधाई करें।
- मानसून काल में मिलीबग कीट से बचाव हेतु प्रोफेनोफास 40 प्रतिशत तथा साइपर 4 प्रतिशत 750 मिली. को 625 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- पोक्का बोइंग रोग से बचाव हेतु 0.1 प्रतिशत बाविस्टीन अथवा 0.2 प्रतिशत कापर आक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें।
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