लखनऊ,(ब्यूरो)। पशु चिकित्सा फार्मासिस्ट संघ ने पशुपालन निदेशालय पर शासन के निर्देश न मानने का आरोप लगया है। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष पंकज शर्मा ने कहा कि शासन द्वारा स्पष्ट रूप से निदेशालय को पशुचिकित्सा से जुड़े फार्मासिस्टों की मांगों और समस्याओं के निराकरण हेतु पांच सदस्यी कमेटी बनाकर रिपोर्ट शासन के पास भेजने को कहा गया था लेकिन निदेशालय की ढुलमुल नीति उसकी मंशा को जाहिर करती है।
पंकज शर्मा ने कहा कि पशुचिकित्सा फार्मासिस्ट संघ ने बीते 7 सितम्बर को ध्यानाकर्षण धरने का आह्वान किया था तब विशेष सचिव पशुधन महोदया ने संघ के पदाधिकारियों के साथ 6 सितम्बर 2021 को बैठक कर लिखित रूप में आश्वासन दिया था कि 5 सदस्यीय विभागीय समिति द्वारा समयबद्ध निर्णय लेते हुए 5 दिन के अंदर सभी मांगों पर विचार कर रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जाएगी। यही नहीं उस रिपोर्ट के आधार पर निदेशालय से सुसंगत प्रस्ताव मंगवा कर त्वरित कार्यवाही किया जाएगा।
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संघ के अध्यक्ष ने कहा कि एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर संघ ने दिनांक 7 अक्टूबर 2021 को पुनः विशेष सचिव पशुधन महोदया से मिलकर स्थिति से अवगत कराया। इस पर उन्होंने निस्तारण के लिए समयबद्ध आदेश जारी कर निदेशक, पशुपालन को आदेशित किया था कि तत्काल सुस्पष्ट प्रस्ताव प्रेषित करें लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। विभाग अपनी ही कमेटी द्वारा संस्तुति की गई 8 मांगों पर प्रस्ताव शासन को नहीं भेज रहा है और वही पहले जैसा प्रकरण लंबित रखने का रवैया अपनाये हुये है, जिसके कारण संघ को पहले आंदोलन करना पड़ा था। निदेशालय के इस रवैये से विभाग के फार्मासिस्टों में आक्रोश व्याप्त है।
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पशु चिकित्सा फार्मासिस्ट संघ के महामंत्री शारिक हसन ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि शासन के आदेश के बावजूद निदेशक पशुपालन कार्यों को ऐसे ही लंबित रखें रहेंगे तो हम पुनः अपने साथी संघों राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एवं उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के साथ संयुक्त रूप से आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
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