लखनऊ, (एस.वी. सिंह उजागर )। कोरोना काल में जहां एक ओर आयुष चिकित्सा पद्धति (AYUSH) से तैयार काढ़े ने लोगों के जीवन की रक्षा की वहीं आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा तिब्बी बोर्ड के क्रियाकलापों में भी भारी बदलाव नजर आने लगा है।
शसन के अधिकारियों और बोर्ड रजिस्ट्रार के बीच लम्बे समय तक चली खींचतान अब यहां फ़िलहाल नजर नहीं आती। इसे योगी सरकार की उपलब्धि कहें या किसी अधिकारी की कार्यशैली दोनो बात का मतलब एक ही निकलता है। आयुष विभाग में चिकित्सकों को अब रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के लिए लंबा इंतजार नही करना पढ़ता है। यहां का ज्यादातर सिस्टम ऑनलाइन हो चुका है, जिसके चलते शैक्षणिक कार्यो में काफी सहूलियत हो गयी है।
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बोर्ड के रजिस्ट्रार डॉ. अखिलेश वर्मा ने बताया कि एनओसी से लेकर रजिस्ट्रेशन तक की प्रक्रिया सब ऑनलाइन है। हिन्दुस्तान के किसी भी कोने से लोग अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। विभागीय वेरिफिकेशन के बाद उनका पंजीयन प्रमाण पत्र उनके पते पर पोस्ट कर दिया जाता है।
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आयुष भवन का हो चुका है शिलान्यास
डॉ. अखिलेश वर्मा के अनुसार आयुष विभाग (AYUSH) के खाते में एक नई उपलब्धि जुड़ने जा रही है। लोक भवन के अंदर आयूष भवन की स्थापना की जायेगी। इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किया जा चुका है। अब लोक भवन, सचिवालय और विधान भवन में एलोपैथी और होम्योपैथी की तरह आर्युवेद का इलाज भी उपलब्ध होगा।
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कोरोना में आयूष काढ़ा आया सबसे ज्यादा काम
डॉ. अखिलेश वर्मा ने बताया कि कोरोना काल में जब इलाज का कोई रास्ता नजर नही आ रहा था उस समय आयुर्वेद (AYUSH) के काढ़े को लोगों ने विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया और स्वयं तथा अपने परिवार की जीवन रक्षा की। उन्होंने बताया कि विभिन्न आयुर्वेद कॉलेजों में इसको लेकर तमाम तरह के शोध चल रहे हैं।
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