लखनऊ, नेहा बाजपेयी। राम की नगरी अयोध्या में इस बार 17 लाख से ज्यादा दिए जलाकर विश्व कीर्तमान बनेगा। यह दीपक वहां के 40 घाटों पर जलेंगे। पशुपालन विभाग की तरफ से भी 1 लाख 51 हजार गाय के गोबर से निर्मित दीपकों का इंतजाम किया गया है।
दूध के अलावा अन्य चीजोें में भी गोवंशियों का उपयोग बढ़े इसके लिए पशुपालन विभाग कई तरह की योजनाओं पर कार्य कर रहा है। बीते कुछ वर्षों से प्रदेश में गोवंशियों के गोबर से निर्मित दीपक और लकड़ियां उपयोग में आनी शुरू हो चुकीं हैं। गोवंशियों के गोबर से तैयार दीपकों की भारी खपत हर साल अयोध्या में ही हो जा रही है। यूपी के अलावा अन्य प्रदेशों में भी गोवंशियों के गोबर से निर्मित दीपकों की मांग बढ़ रही है।
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दीपकों के साथ अब गोबर की मूर्तियां पर भी फोकस
उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के अपर निदेशक गोधन डॉ0 जयकेश पाण्डेय ने बताया कि गाय के दीपकों को प्रोत्साहन मिलने के बाद अब इनकी मूर्तियां बनाने पर काम किया जा रहा है। पशुपालन विभाग द्वारा कई स्वंयसेवी संस्थाओं से इस संदर्भ में बातचीत भी चल रही है। विभिन्न माध्यमों और तरीकों से लोगों को इस बात के लिए जागरूक किया जा रहा है कि गोवंशी सिर्फ दूध के लिए ही पालना जरूरी नही है बल्कि इनका गोमूत्र भी कई गुना आर्थिक लाभ दिला सकता है।
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छुट्टा पशुओं की समस्या पर लगेगा विराम
आखिर यह आवारा पशु आते कहां से हैं? किसान इनस दूध निकालता रहता है जब यह दूध देना बंद कर देते हैं तो वह इन्हे आवारा छोड़ देते है। बाद में जब वही पशु उनकी फसल चरते हैं तो वह हो हल्ला काटते हैं। डॉ. जयकेश बताते हैं कि यदि दूध के अलावा उनके गोबर की उपयोगिता उनके दूध की लागत के बराबर पहुंच जायेगी तो फिर वह उसे आवारा छोड़ेंगे नहीं बल्कि गोमूत्र के लालच में अपने पास रखंेगे। इससे छुट्टा पशुओं की समस्या पर काफी हद तक लगाम लगेगी।
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