लखनऊ, (रिपोर्ट-एस.वी.सिंह उजागर)। उ.प्र. पशुपालन विभाग की अतिमहत्वाकांक्षी योजना मोबाइल वेटनरी यूनिट सेवा इस समय खटाई में है। इस योजना के संचालन हेतु न तो विभाग के पास बजट है और न नोडल एजंेसी की स्टाफ भर्ती प्रक्रिया ही पूरी हो पायी। रत्नशिखा टाइम्स ने सबसे पहले शीर्षक, यूपी का पशुपालन विभाग शीघ्र शुरू करेगा मोबाइल वेटनरी यूनिट सेवा के समाचार को ब्रेक किया था। इसके बाद कई यूट्यूबरों और बड़के समाचार पत्रों ने इसे खूब बढ़ाचढ़ा कर पेश किया।
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तत्कालीन निदेशक डिजीज कन्ट्रोल द्वारा योजना संचालन के लिए एक 6 सदस्यी टीम का गठन किया गया जिसमें डॉ. मनीष सचान, डॉ. ए.के.वर्मा, डॉ. जेपी.वर्मा, डॉ.एस.के. अग्रवाल, डॉ.ए.के.सिंह और डॉ.एस.एन. प्रसाद को रखा गया। मीडिया को बताया गया कि तेलंगाना, राजस्थान और उड़ीसा में योजना का संचालन करने वाली एजेंसी जीवीके ही यूपी में इस योजना का संचालन करेगी।
जाने योजना के संबन्ध में कब और क्या कहा गया
- पशुपालन विभाग के तत्कालीन निदेशक डिजीज कन्ट्रोल डॉ. इन्द्रमनि ने इसे हर हाल में अक्टूबर 2022 में चालू कराने का दावा किया था।
- अक्टूबर लास्ट में पुनाः निदेशक डिजीज कन्ट्रोल द्वारा बताया गया कि, स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया चल रही है,
- इसके बाद कहा गया नवम्बर 2022 तक हर हाल में यह योजना शुरू कर दी जायेगी।
- पूरा नवम्बर और दिसंबर बीत गया लेकिन योजना का संचालन शुरू नही हो सका।
- इसी बीच प्रदेश में चुनाव का बिगुल बज गया और इस योजना को प्रदेश सरकार की उपलब्धि बताकर मीडिया में खूब हाईलाइट्स किया गया।
- अधिकारी हवा में बोल रहे थे, अब भी योजना का कहीं अता-पता नही था।
फर्जी प्रचार की चाहत ने बखेड़ा खड़ा कर दिया
- समाचार पत्रों को आधार बनाकर कई यूट्बरों और नकली वैकेंसी निकालने वाले दलालों ने बंपर भर्तियों के लिए प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया।
- प्रदेश भर में इस योजना के लिए पशुचिकित्सकों, पैरावैट और ड्रायवरों की भर्ती के लिए अलग-अलग तरीके से इंटरव्यू और नौकरी लगवाने के लिए जोर आजमाइश होने लगी।
- कुछ अभ्यर्थी नौकरी पाने की लालच में ठगी का शिकार हो गये, बाद में वह पशुपालन निदेशालय के गेट पर धरना देते नजर आये।
दिसंबर में फिर की गयी झूठी घोषणा-
- दिसंबर माह में एक बार फिर यह योजना अखवारों की सुर्खियों में आ गयी जिसमें समाचार पत्रों में लिखवाया गया कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में मुख्यमंत्री इस योजना का शुभारंभ करेंगे।
- रत्नशिखा टाइम्स ने जब पड़ताल की, कि क्या मुख्यमंत्री जनवरी में इस योजना का शुभारंभ करने वाले हैं तो किसी भी अधिकृत व्यक्ति ने इसकी पुष्टि नही की।
- 26 जनवरी से पहले पशुपालन विभाग के ट्विटर हैण्डल डीओएएचयूपी से एक तस्वीर ट्विट की जाती है जिसमें यह बताया जाता कि प्रदेश के पशुधन मंत्री लक्ष्मीनाराण चौधरी ने प्रदेश में मोबाईल वेटनरी यूनिट सेवा को लांच कर दिया हैं।
- तस्वीर और वीडियो में आप देख सकते हैं कि पशुधन मंत्री वाकायदा वैन के पास खड़ें हैं और वैन पूरी तैयार हालत में है। ट्विीट की इसी तस्वीर को आधार बनाकर एक बार फिर यूट्ब चौनलों और अखवारों ने वैकेंसी, और भर्ती आदि के लिए लोगों में भ्रम फैलाना शुरू कर दिया।
फर्जी समाचार से विभाग की पिटने लगी भद्द
- मंत्री जी द्वारा मोबाइल वेटनरी सेवा की लांचिग का समाचार जब विभिन्न माध्यमों से प्रदेश भर में फैल गया तो लोगों ने इमरजेंसी सेवा 1962 पर कॉल करना शुरू कर दिया। लोगों ने जब 1962 पर कॉल किया तो उन्हे कुछ भी रिस्पांस नही मिला। उन्होने विभागीय अस्पतालों पर इस योजना के संबन्ध में क्वाइरी सुरू की।
- जब फर्जी लांचिग पर पशुपालन विभाग की भद्द पिटने लगी तो उन्होने यह कहना शुरू दिया कि अभी यह योजना शुरू नही हुई है जल्द शुरू होने वाली है। विभाग के ट्विटर हैण्डिल से मंत्री जी द्वारा मोबाईल वैन की लांचिंग का वह फोटो और पोस्ट दोने हटा दिये गये जिसे आप इस वक्त स्क्रीन पर देख रहे हैं।
- योजना से संबन्धित अधिकारियों के सुर अब कुछ बदल से गये हैं, अब ये योजना लांचिंग की बात तो पूरी तरह से खा गये हैं पूछने पर सिर्फ इतना बताते हैं कि यह योजना जल्द शुरू होगी। कब होगी इस पर चुप्पी साध जाते हैं।
देखें यह वीडियो-
- विभाग में निदेशक डिजीज कन्ट्रोल एवं प्रक्षेत्र भी बदल गये हैं। यहां पर अब डॉ. जीवनदत्त गौतम ने चार्ज संभाला है और उस समय निदेशक डिजीज कन्ट्रोल के पद पर कार्य करने वाले डॉ. इन्द्रमनि अब निदेशक प्रशासन एवं विकास बन चुके हैं। हलांकि डॉ. इन्द्रमनि अभी भी यही कहते हैं कि योजना मार्च के प्रथम सप्ताह में चालू हो जायेगी।
- योजना वास्तव में कहां और किस स्थित में है इसे जानने के लिए रत्नशिखा टाइम्स की तरफ से इस स्टोरी पर कार्य कर रहे संवाददाता यानि स्वयं मैने पहले उक्त योजना के लिए नोडल अधिकृत की गयी कंपनी जीवीके से वास्तु स्थित जानने का प्रयास किया।
ऐसे की पड़ताल
हमारी रिसर्च टीम ने बारी-बारी से उन सभी संभावित नंबरों पर कॉल करना शुरू किया जो इस कंपनी ने सार्वजनिक कर रखे थे। पहले विज्ञापन में छपे नम्बर पर फोन किया जो कभी बंद कभी नेटवर्क कवरेज क्षेत्र के बाहर बताया गया। बाद में कंपनी के लखनऊ स्थित कार्यालय का पीएनटी नम्बर ट्राय किया गया। जवाब में उधर से सिर्फ कोरोना से सतर्क और सावधानी की टोन बजती रही।
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हम यहीं नही रूके, इसके बाद हमने दिये गये पते पर संपर्क किया और जब वहां पहुंचे हमारे सामने स्थिति एकदम साफ हो गयी। हलांकि वहां न तो किसी ने अधिकृत बयान दिया और न कोई इस योजना से संबन्धित अधिकारी बात करने के लिए तैयार हुआ। एजेंसी से जुड़े जिन लोगों से हमारी अनाधिकृत रूप से जो वार्ता हुई उसे हम यहां कोड नही कर सकते क्यों कि यह पत्रकारिता धर्म के विपरीत है।
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इस सत्र में नही सुरू हो पायेगी मोबाइल वेटनरी सेवा
दोस्तो अब तक की पड़ताल में फिलहाल मुझे तो यही लगता है कि यह योजना इस सत्र में तो नही सुरू होने वाली। अगली सरकार की रणनीति क्या रहेगी यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। हम आपको बता दें कि योजना में भ्रष्टाचार को लेकर उ.प्र. पशु चिकित्सा संघ नोडल ऐजंेसी जीवीके को ब्लैक लिस्ट करने के लिए शासन को पहले ही पत्र लिख चुका है।
मै यह नही कहता कि यह योजना भी विभागीय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है, लेकिन इसकी कवरेज के दौरान ऐसे कई सवाल उभर कर सामने आये है जो इशारा करते हैं कि भ्रष्टाचार इन्ही गलियों से होकर गुजरता है।
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