ऋषिकेश, (उत्तराखंड ब्यूरो)। पूरे प्रदेश में नशे से दूर रहने के लिए जागरूकता अभियान जोरों पर है। वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए बाकायदा राजाजी रिजर्व पार्क भी बनाया गया है। दूसरी तरफ अराजकता का आलम देखते ही बनता है। हाल ही में अंग्रेजी शराब का ठेका इसी रोजर्व पार्क क्षेत्र में ही संचालित करने की छूट नियमों को परे रखकर दे दी गई है।
शराब ठेकेदार ने भी जिला प्रशासन और आबकारी विभाग सहित पुलिस का संरक्षण पाते ही वन्य जीवों के लिए आरक्षित क्षेत्र में धड़ल्ले से जाम परोसना शुरू कर दिया है। अब फजीहत इस बात की है कि वन विभाग मानव वन्यजीव के संभावित संघर्ष के खतरे को लेकर परेशान है। रिजर्व पार्क अफसरों ने ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर लिखवाई, लगातार जिलाधिकारी पौड़ी को इस अवैध गतिविधि को रोकने के लिए पत्राचार कर रहे हैं। लेकिन नतीजा सिफर है।
वन विभाग अधिकारी रोक के लिए डीएम को लगातार भेज रहे पत्र
ऊत्तराखण्ड में शराब की बिक्री राजस्व का बड़ा जरिया है। दूसरी हकीकत ये है कि अधिकांश क्षेत्र वनविभाग के अंतर्गत है। लिहाजा जहां पर शराब की दुकान खोलनी हो और वह क्षेत्र वन विभाग के अंतर्गत आता हो तो विभागीय एनओसी अनिवार्य होती है। सरकारी विभागों का तालमेल यहां इतना अनोखा है कि आबकारी विभाग अपनी तरफ से लाइसेंस जारी कर पल्ला झाड़ लेता है जबकि वन विभाग अपने क्षेत्र में शराब बिक्री के लिए एनओसी नहीं जारी करता जबतक चयनित स्थल रेवेन्यू एरिया में न आता हो।
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ताज़ा मामला भी इसी से ओतप्रोत है। हाल ही में चीला बैराज रोड पर शराब की बिक्री करने का लाइसेंस जारी कर दिया गया। जबकि राजाजी रिजर्व पार्क से एनओसी ही जारी नहीं की गई। ढेकेदार ने लाइसेंस मिलते ही जाम परोसना शुरू कर दिया। पता चलते ही गांव वालों ने प्रदर्शन शुरू किया और पार्क प्रशासन भी हरकत में आया। इसी क्रम में गौहरी रेंज की ओर से ठेकेदार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया गया। साथ ही मानव वन्यजीव के संभावित खतरे को देखते हुए पार्क प्रशासन ने डीएम पौड़ी को भी पत्र भेज शराब की अवैध बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश की। इतने कागजी घोड़े और स्थानीय लोगों का विरोध फिलहाल तूती में नक्कारखाने जैसा ही साबित हुआ है। ठेकेदार सारे नियमों और खतरों को दरकिनार कर शराब परोसने में मगन है। न तो पुलिस ध्यान दे रही है और न ही जिला प्रशासन के कान पर जूं रेंग पा रहा है। पार्क प्रशासन को इस बात की चिंता खाये जा रही है कि दुर्भाग्य से कहीं अप्रिय घटना हुई तो सारा ठीकरा उन पर फूटेगा।
गंगा किनारे मदिरा की धारा
ऋषिकेश। वैसे तो गंगा किनारे कोई भी अवैध गतिविधि प्रतिबंधित है। हकीकत ये है कि ऐसे संकल्प और संवैधानिक बातें किताबी दिख रही हैं। जहां रात 9 बजे के बाद आम आवाजाही भी रोकटोक के दायरे में होती है वहां देर रात तक मयकशों का शोर गूंज रहा है। गंगा तट पर शराब के शौकीन मन भर के जाम छलका रहे हैं। शोर शराबे से वन्यजीवों का चैन छीना जा रहा है। ये तांडव स्थानीय प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है।
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