उत्तर प्रदेश में पशुधन बीमा योजना की बेहद सुस्त रफ्तार के चलते बीते पांच वर्षो में महज 2 लाख 85 हजार पशु बीमा पॉलिसी ही जारी हो सकी हैं। जब कि प्रदेश में पशुओं की संख्या लगभग 692 लाख के आस-पास है।
दोस्तो हमारा एग्रोबेस्ड न्यूज चैनल रत्नशिखा टाइम्स हंगामा खड़ा करने में नही बल्कि सूरते हाल बदलने में यकीन रखता है। हम अपने दर्शकों को ताजा तरीन जानकारियों के अलावा सरकार और शासन में बैठे विभागीय अफसरों को समय-समय पर आईना दिखाने का कार्य भी करते रहते हैं। हम दूसरे खबरिया चैनलों की तरह बेसिर पैर की ब्रेकिंग न्यूज में नही बल्कि चल रही योजनाओं का फॉलोअप दिखाने में यकीन रखते हैं।
लखनऊ, (S.V. Singh Ujagar)। उत्तर प्रदेश का यह दुर्भाग्य नही तो और क्या कहा जायेगा कि जो प्रदेश दूध उत्पादन में नंबर 1 है। वही प्रति पशु दूध उत्पदन में कई राज्यों से बहुत पीछे हैं। पशुओं को लेकर किये जाने वाले रख-रखाव और पशुधन बीमा के मामले में भी स्थिति बेहद खराब है।
देखें यह वीडियो :
भारत सरकार के साथ-साथ प्रदेश की योगी सरकार अपने बजटीय भाषण में किसानों की आमदनी दोगुनी करने और फसल बीमा व पशुधन बीमा योजना को एक बड़ी उपलब्धि बनाकर पेश करती हैं लेकिन अभी तक 20 करोड़ की आवादी वाले उत्तर प्रदेश में जहां तकरीबन 692 लाख पशु हैं वहां बीते पांच साल में महज 2 लाख 85 हजार पशुओं के बीमा की पॉलिसी ही जारी हो सकी।
इसे भी पढ़ें- उत्तर प्रदेश : कुक्कुट पालन की कई योजनाएं बजट के अभाव में रूकीं
उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद द्वारा रत्नशिखा टाइम्स को उपलब्ध कराये गये आंकड़े पर यदि गौर करें तो पशुधन बीमा के मामले में यूपी के सभी जनपदों की स्थित बेहद दयनीय है।
Watch This Video :
वर्ष 2018 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में बीमा पॉलिसी जारी करने का सालाना एवरेज लगभग 57000 के आस-पास है।
वहीं पशुओं की मौत पर यदि क्लेम की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में 11481 पशुओं के क्लेम आये जिनमें 9500 क्लेम सेटेल हुए।
कुछ इस तरह हैं सालाना सालाना आंकड़े
- वर्ष 2018-19 में 944 क्लेम सेटेल हुए।
- वर्ष 2019-20 में 4076 क्लेम सेटेल हुए।
- वर्ष 2020-21 में 3413 क्लेम सेटेल हुए।
- वर्ष 2021-22 से लेकर अब तक 1067 क्लेम सेटेल किये गये।
यह भी पढ़ें- UP : सफेद हांथी बनती जा रही मोबाइल वैटनरी यूनिट सेवा
बीते पांच वर्षो से उत्तर प्रदेश में पशुधन बीमा की जिम्मेदारी नेशनल इंश्योरेंश कंपनी के पास है। इंश्योरेंश कंपनी के अलावा निदेशाल से लेकर मण्डल, जिला और ब्लाक स्तर पर पशुधन बीमा को लेकर पशुपालकों में जागरूकता लाने के लिए एक भारी भरकम टीम काम कर रही है।
Must see watch :
पशुपालकों में जागरूकता की कमी
स्थानीय स्तर पर पशुचिकित्साधिकारी और पशुमित्र इस कार्य हेतु तैनात हैं। समय-समय पर मेले और विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा पशुपालकों की उनके पशुओं का बीमा कराने हेतु प्रेरित करने की बात की जाती है।
प्रीमियम का 50 से 75 फीसदी तक अंशदान सरकार देती है
पशुधन बीमा कराने पर लगने वाले प्रीमियम का ज्यादातर हिस्सा सरकार खुद व्यय करती है बावजूद इसके पशुपालकों में बीमा को लेकर अभी तक उदासीनता ही देखी गयी है।
ग्राउंड लेवल पर काम करने का ढिंढोरा पीटनेे वाली प्रदेश सरकार और पशुपालन विभाग के आलाअधिकारी पशुधन बीमा के मामले में काम कम और हंगामा करते ज्याद नज़र आते हैं। जबकि हम शुरूआत में ही यह बात कहकर आये हैं कि
हंगाम खड़ा करना मिरा मक़सद नही, मिरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारा यह एपिसोड बीमा कंपनी और विभागीय अधिकारियों को हकीकत का आईना जरूर दिखायेगा। हमारा अगला एपिसोड भी पशुधन बीमा पर ही आधारित होगा जिसमें हम पशुपालकों को बीमा से संबन्धित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायेंगे। यदि आप पशुपालक है तो आप अपने पशु का बीमा जरूर करायें।
देखें यह वीडियो-
सूचना: रत्नशिखा टाइम्स चैनल का अगला एपिसोड देखना न भूलें। अगले एपिसोड में हम बतायेंगे कि आप अपने पशु का बीमा कैसे करा सकते हैं। कैसे आवेदन किया जायेगा। आवेदन के वक्त क्या क्या डाक्युमेंट लगेंगें तथा प्रति पशु कितना प्रीमियम भरना होगा। पशु की मौत पर कैसे क्लेम मिलेगा। पशुधन बीमा से संबन्धित यदि आपके मन कोई सवाल चल रहा है तो हमारे अगले एपिसोड को देखना न भूलें। दोस्तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर दें ताकि अगले एपिसोड का नोटिफिकेशन आप तक आसानी से पहुंच सके।